चंगेज खां: चंगेज खां एक मंगोल शासक था, जो मंगोल साम्राज्य के विस्तार का अहम किरदार था। अपनी बेहतरीन संगठन शक्ति, बर्बरता और साम्राज्य विस्तार के लिए वह दुनिया में बेहद प्रसिद्ध हुआ। इतिहास कहता है कि चंगेज खां भारत पर आने के लिए मन बना चुका था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। पूरे एशिया को जीतने वाला मंगोलिया का यह महान योद्धा, भारत आया था, लेकिन सिंधु नदी के तट से दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश के हार मानने के बाद वापस लौट गया। उसके लौटने का कारण भीषण गर्मी, कुदरती आवास की दिक्कतें थीं। सन् 1227 में उसकी मृत्यु हो गई।
अतिल्ला हुण: अत्तिला हूण (406-453) या अत्तिला होश संभालने के बाद से अपनी मौत तक हूणों का राजा था। यह हूण साम्राज्य का नेता था, जो जर्मनी से यूराल नदी और डैन्यूब नदी से बाल्टिक सागर तक फैला हुआ था। अत्तिला हूण के खौफ ने भारत तक में हूणों के आतंक का लोहा मनवाया। भारत में अतिल्ला ने अपना आक्रमण हूणों के नेता तोरमाण और उसके पुत्र मिहिरकुल के नेतृत्व में करवाया। हूणों ने भारत में गुप्त वंश की जड़े मिटा दी और लगातार भारत में लूटपाट करते रहे। हूणों ने पंजाब और मालवा की विजय करने के बाद भारत में स्थाई निवास बना लिया था।
तैमूर लंग: तैमूर लंग बचपन से लंगड़ा था। उसका किसी राजवंश से संबंध नहीं था, लेकिन लड़ाकू लोगों की सेना बनाकर उसने भारत समेत दक्षिणी, पश्चिमी और मध्य एशिया को जीत लिया। भारत में उसने 1399 में दिल्ली पर धावा किया और तुगलक बादशाह को हरा दिया। उसका हमला इतिहास का सबसे क्रूर हमला था, उसने दिल्ली में एक ही दिन में लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
महमूद गजनवी: महमूद गजनवी वास्तव में एक लुटेरा था। जिसने भारत में 18 बार कत्लेआम मचाया। 971 से 1030 ईसा पूर्व तक वह मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था। वह तुर्क मूल का था और बाद में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ। उसने सन् 1024 में भारत के सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और वहां से उसने अथाह सोना लूटा। उसने उस दौर में पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत को जीत लिया था।
नादिर शाह अफ़्शार: नादिर शाह फ़ारस का शाह था, उसने 1739 में भारत पर आक्रमण की योजना बनाई और दिल्ली की सत्ता से मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह आलम को हरा दिया। जीत के बाद उसने वहां से अपार सम्पत्ति इकट्ठी की, जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था। हालांकि उसने दिल्ली से साम्राज्य विस्तार नहीं किया और वह दिल्ली से लौट गया।
बाबर:बाबर भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक शासक था। उसका पूरा नाम ज़हिर उद-दिन मुहम्मद बाबर था। मूल रूप से वह मध्य एशिया का था। तैमूर लंग का परपोता बाबर खुदको चंगेज़ ख़ान और उसके वंश का पूर्वज मानता था। बाबर को लगता था कि भारत पर तैमूर वंश का शासन होना चाहिए। उसने पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहिम लोदी को हरा दिया और दिल्ली की सल्तनत पर कब्जा कर लिया। इस तरह बाबर ने भारत में 1526 में मुगलवंश की नींव डाली।
मुहम्मद बिन कासिम: बाबर मूल रूप से भारत में मुगल शासक का संस्थापक कहा जाता है, लेकिन भारत में इस्लामी सल्तनत के आगमन के संकेत मुहम्मद बिन क़ासिम के हमलों से ही मिलते हैं। मुहम्मद बिन कासिम इस्लाम के शुरूआती वक्त में उमय्यद ख़िलाफ़त का एक अरब सिपहसालार था। उसने 17 साल की उम्र में 710 र्इसा पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी इलाक़ों पर हमला बोला और सिंध के राजा हिंदू राजा दाहिर सेन को हराया दिया। सिंध सहित पंजाब क्षेत्र उसके कब्जे में आ गए थे। इसी तरह उसने गुजरात की ओर से भी अपने सैनिक भेजे और कई राष्ट्रों से समर्पण करने के लिए कहा। हालांकि आगे आदेश नहीं मिलने पर उसने अभियान को रोक दिया।
मुहम्मद गौरी: मोहम्मद गौरी दरअसल एक अफ़ग़ान सेनापति था। उसने 1202 ई. में गौरी साम्राज्य की सल्तनत संभाली। उसने भारत के गुजरात पर 1178 ईस्वी में पहला आक्रमण किया,लेकिन गुजरात के शासक भीम द्वितीय से बुरी तरह हार गया। हालांकि गौरी ने अपने प्रयास जारी रखे और भारत के आखिरी हिंदू राजा पृथ्वीराज चौहान पर फिर आक्रमण किया। पहला युद्ध हारने के बाद उसने दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को बुरी तरह हरा दिया। गज़नी लौटने के बाद गौरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में गुलाम राजवंश की नीव डाली।
अहमदशाह अब्दाली:अब्दाली को ‘अहमदशाह दुर्रानी’ के नाम से भी जाना जाता है। दुर्रानी एक लुटेरा था और उसकी नजर भारत की संपत्ति पर थी। उसने भारत पर सन् 1748 से सन् 1758 तक बहुत बार चढ़ाई की और लूटपाट करता रहा। सबसे बड़ा हमला उसने 1757 में दिल्ली पर किया। उस दौरान उसने दिल्ली के बेहद डरपोक शासक आलमगीर द्वितीय से अपमानजनक समझौता किया, जिसके मुताबिक उसे दिल्ली को खुलेआम एक माह तक लूटने की अनुमति मिल गई। उस दौरान उसने करोड़ों की संपदा अपने कब्जे में कर ली। भारत में कुछ समय रुक कर वह दोबारा अफगानिस्तान चला गया।
सिंकदर: सिंकदर को विश्व विजेता भी कहा जाता है। माना जाता है कि उसने अपने शासन काल 356 ईसा पूर्व से 323 ईसा पूर्व तक तक दुनिया के उस हिस्से को जीत चुका था। सिंकदर ने भारत पर हमले की शुरुआत 326 ई. पू. में करना शुरू की। जब 326 ई. पू. में सिन्धु पार कर वह तक्षशिला पहुँचा तो वहां के राजा आम्भी ने उसकी अधीनता स्वीकार कर ली। हांलाकि पुरू राज्य जीतने के बाद उसकी सेना काफी थक चुकी थी और उसके सैनिक मगध के नन्द शासक की विशाल सेना का सामना करने को तैयार न थे। 325 ई. पू. में भारत छोड़कर सिकन्दर बेबीलोन चला गया। जहां उसकी मृत्यु हो गई।
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