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मूल कर्तव्य( मौलिक कर्तव्य) ( भाग 4(क), अनु 51 क)

 विषय सूची

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( भाग 4(क), अनु 51 क)

 संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्य

 मौलिक कर्तव्यों का क्रियान्वयन

मौलिक कर्तव्यों का महत्व

 मौलिक कर्तव्य और सर्वोच्च न्यायालय

 वर्मा समिति की प्रमुख सिफारिशें

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( भाग 4(क), अनु 51 क)

29 मई 1978 को संवैधानिक सुधारों पर अनुशंसाएं देने के लिए सरदार स्वर्ण सिंह समिति गठित की गई

स्वर्ण सिंह समिति ने अपनी संपत्ति में 8 मौलिक कर्तव्यों का सुझाव दिया

स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसाओं के आधार पर 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा अनुच्छेद 51 (क)  संविधान में जोड़ा गया तथा संविधान में 10 मौलिक कर्तव्य शामिल हुए

वर्ष 2002 में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा एक मौलिक कर्तव्य और जोड़ दिया गया है अतः मौलिक कर्तव्यों की कुल संख्या अब 11 है

संविधान में उल्लिखित मूल कर्तव्य

अनुच्छेद 51 (ए) के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह


संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्र ध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें

स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें


 

भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें

देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें

भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है

हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझें और उसका परीक्षण करें

प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन झील नदी और वन्य जीव  है उनकी रक्षा और संवर्ध्दन करें तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें

वैज्ञानिक दृष्टिकोण,  मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें

सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे

व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में  उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि  की नई  ऊंचाइयों को छू ले


 

अभिभावकों का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर दें

मौलिक कर्तव्यों का क्रियान्वयन

मूल कर्तव्य, मौलिक अधिकार  की भांति ना तो  वाद योग्य है और आम जनता के लिए बाध्यकारी हैं सरकार ने प्रत्यक्षत: तो को मौलिक कर्तव्यों को बाध्यकारी नहीं बनाया लेकिन अप्रत्यक्षत:इनका क्रियान्वयन  सरकार की विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों द्वारा किया जा रहा है  जो कि निम्न है –


राष्ट्रीय गोरखपुर अपराध अधिनियम 1971 में राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान करने पर दंड की व्यवस्था है

देश की एकता व अखंडता के विरुद्ध कार्य करने पर नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता छीनी जा सकती है 16वें संशोधन अनुच्छेद19(2)  में व्यवस्था की गई कि  यदि कोई भारतीय एकता और अखंडता के विरुद्ध विचार व्यक्त करता है तो उसे दंडित किया जा सकता है

अनुच्छेद 23(2) में प्रावधान है कि राष्ट्र की रक्षा हेतु  राज्य नागरिकों की अनिवार्य सेवाएं ले सकता है


 

महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार ने 1987 व 2001 को महिला सशक्तीकरण नीति पारित की है और स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण प्रदान किया है

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम अधिनियम, जल प्रदूषण रोकथाम अधिनियम पारित किए सरकार ने वनों को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय वन नीति 1952, 1988 बनाई है सरकार ने वनों की रक्षा व वृद्धि के लिए सामाजिक वानिकी( 1976) और संयुक्त वन प्रबंधन( 1990) कार्यक्रम भी प्रारंभ किए हैं

आम जनता को अहिंसा के कर्तव्य पालन करने के लिए सरकार गांधीवादी दर्शन का प्रचार कर रही है

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानववाद के विकास के लिए सरकार अमानवीय और वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान कर रही है ताकि लोग अपने कर्तव्य को भली-भांति पालन कर सके

मौलिक कर्तव्यों का महत्व

भारतीय लोकतांत्रिक कल्याणकारी राज्य में मौलिक कर्तव्यों का महत्वपूर्ण स्थान है


संविधान में मूल कर्तव्य की स्थापना से अधिकारों और मूल कर्तव्य में संतुलन स्थापित होता है

मौलिक कर्तव्य व्यक्ति में सामाजिक दायित्व की भावना का संचार करते हैं अंततः जिससे राष्ट्रीय भावना में वृद्धि होती है


 

यह कर्तव्य भारतीय संस्कृति के अनुकूल है और यह कर्तव्य भारतीय जनता में बंधुत्व की भावना बढ़ाते हैं

मौलिक कर्तव्य और सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय  ने  मई 1998 में भारत सरकार कोई अधिसूचना जारी की कि राज्य का कर्तव्य है कि मौलिक कर्तव्य के बारे में जनता को शिक्षित करें ताकि अधिकार तथा कर्तव्य के मध्य संतुलन बन सके इस अधिसूचना के बाद भारत सरकार ने एक समिति का गठन किया जिसके कार्य थे


प्राथमिक, माध्यमिक,उच्च माध्यमिक एवं विश्व विद्यालय के स्तर पर मौलिक कर्तव्य की शिक्षा हेतु विषय वस्तु विकसित करना

पाठ्यक्रम और सह पाठ्यक्रम क्रियाकलापों के भाग के रूप में गतिविधियों का निर्धारण करना

सेवा पूर्ण एवं सेवा काल में विभिन्न स्तरों पर शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु कार्यक्रम विकसित करना

NCERT द्वारा पहले से क्रियान्वित कार्यक्रमों को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा में शामिल करना तथा  अतिरिक्त सुझावों को प्राप्त करना

वयस्क शिक्षा/ अनौपचारिक शिक्षा/ मीडिया के माध्यम से नागरिकों को प्रशिक्षण हेतु प्रथक विषय वस्तु का विकास करना   


 

भारत सरकार ने मौलिक कर्तव्यों के क्रियांवयन हेतु 2001 में जे.एस. वर्मा समिति का गठन किया  समिति ने अपनी प्रस्तुत रिपोर्ट में मौलिक कर्तव्यों के क्रियान्वयन हेतु प्रचार प्रसार पर बल दिया है


वर्मा समिति की प्रमुख सिफारिशें

जे.एस.वर्मा समिति( 1999) ने कुछ मूल्य कर्तव्यों की पहचान और  क्रियान्वयन के लिए कानूनी प्रावधानों को लागू करने की सिफारिश की है

सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 जाति एवं धर्म से संबंधित अपराधों पर दंड की व्यवस्था करता है

वन जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 दुर्लभ एवं लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर प्रतिबंध लगाता है

राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 यह भारत के संविधान राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के अनादर का निवारण करता है

वन अधिनियम 1980 वनों की अनियंत्रित कटाई एवं वन भूमि के गैर वन उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल पर रोक लगाता है

भारतीय दंड सहिंता( IPC)  घोषणा करती है कि राष्ट्रीय अखंडता के लिए पूर्वाग्रह से प्रेरित अभ्यारोपण और अभिकथन दंडात्मक अपराध होगा

मुख्य विषय

ज्ञानकोश इतिहास भूगोल 

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