एकाउस्टिक्स (Acoustics): इस विज्ञान में ध्वनि तथा उसके प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
एग्रोनॉमिक्स (Agronomics): यह विज्ञान की वह शाखा है जिसमें भूमि व फसलों के प्रबन्धन (Management) का अध्ययन किया जाता है।
ऐग्रोनॉमी (Agronomy): इस विज्ञान में खाद्यान्नों के उत्पादन व कृषि सम्बन्धी प्रौद्योगिकी एवं विकास (Agricultural technology and development) का अध्ययन किया जाता है।
ऐग्रोस्टोलॉजी (Agrostology): इस विज्ञान में घास (Grass) का अध्ययन किया जाता है।
ऐल्केमी (Alchemy): इस शब्द का प्रयोग मध्ययुगीन रसायन विज्ञान (Medieval chemistry) के लिए किया जाता है। जिसमें रसायनज्ञ विभिन्न धातुओं को सोना और चांदी में परिवर्तित करने की विधियां खोजते थे तथा मानव को अमर बनाने वाले अमृत की खोज करते थे।
ऐनेस्थेसियोलॉजी (Anaesthesiology): यह चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जिसमें निश्चेतकों तथा निश्चेतना की अवस्था में रोगी की स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
एपीग्राफी (Apigraphy): इसमें शिलालेख सम्बन्धी विषयों का अध्ययन किया जाता है।
आर्बोरीकल्चर (Arboriculture): इस विज्ञान में वृक्षों (Trees) तथा सब्जियों के उगाने से सम्बन्धित समस्त प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
पुरातत्व विज्ञान (Archaeology): विज्ञान की इस शाखा में प्राचीन ऐतिहासिक स्मारकों, प्राचीन मानव संस्कृति तथा प्राचीन अभिलेखों का अध्ययन किया जाता है।
ऐरेक्नोलॉजी (Arachnology): विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत मकड़ियों का अध्ययन किया जाता है।
मृत्तिका-शिल्प (Ceramics): इस शाखा में कांच व चीनी मिट्टी के बर्तन, आदि बनाने की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
कीमोथेरैपी (Chemotherapy): कुछ विशेष रसायनों (जैसे सल्फा ड्रग्स, ऐण्टिबायोटिक औषधियां, सिस्प्लैटिन, आदि) का प्रयोग करके रोगों का निरोध करने या उनका उपचार करने की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
कॉण्ड्रोलॉजी (Chondrology): इसके अन्तर्गत उपास्थि (Cartilage) का अध्ययन किया जाता है।
क्रोनोबायोलॉजी (Chronobiology): जीवन की अवधि (Duration of life) से सम्बन्धित विज्ञान का अध्ययन इस शाखा में किया जाता है।
तैथिकी या क्रोनोलॉजी (Chronology): विज्ञान की इस शाखा में ऐतिहासिक तिथियों और तथ्यों का कालक्रमानुसार अध्ययन किया जाता है।
कोन्कोलॉजी (Conchology): इस विज्ञान में मोलस्का वर्ग (शंख, सीपी, आदि धारण करने वाले) के जन्तुओं के बाह्म खोल या आवरण (Shell) का अध्ययन किया जाता है।
ब्रह्माण्डविज्ञान (Cosmology): इस शाखा के अन्तर्गत विश्व की संरचना, उत्पत्ति एवं विकास का अध्ययन किया जाता है।
निम्नतापिकी (Cryogenics): विज्ञान की इस शाखा में अति निम्न ताप की उत्पत्ति, नियन्त्रण व उसके अनुप्रयोगों का अध्ययन किया जाता है। अभी तक लगभग 108 केल्विन (परम शून्य के अति निकट) तक के निम्न ताप प्राप्त किए जा चुके हैं।
क्रायोसर्जरी (Cryosurgery): यह शल्य-चिकित्सा विज्ञान (Surgery) की अत्याधुनिक शाखा है जिसमें
अतिशीतलन (Super cooling) द्वारा रोगी कोशिकाओं को नष्ट करके उपचार करने की विधि का अध्ययन किया जाता है।
अंगुलिछापविज्ञान (Dactylography): संसार में किन्हीं भी दो व्यक्तियों की अंगुलियों का छाप (Finger prints) एकसमान नहीं होती है। इस तथ्य से सम्बन्धित सभी पहलुओं का अध्ययन अंगुलिछाप विज्ञान में किया जाता है।
डेन्ड्रोक्रोनोलॉजी (Dendrochronology): यह वनस्पति विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पेड़ों के वृद्धि वलयों (Growth rings of trees) द्वारा उनकी आयु ज्ञात करने की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
कीटविज्ञान (Entomology): विज्ञान की इस शाखा में कीटों (Insects) का सम्पूर्ण अध्ययन किया जाता है।
जानपदिक रोग विज्ञान (Epidemiology): यह चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जिसमें जानपदिक रोगों (Epidemic diseases, जैसे—प्लेग, हैजा, चेचक, आदि महामारियों) की उत्पत्ति, प्रसार व उपचार का अध्ययन किया जाता है।
एथनोलॉजी (Ethnology): विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत मनुष्य की जातियों का अध्ययन किया जाता है !
हीमैटोलॉजी (Haematology): विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत रुधिर एवं रुधिर रोगों का अध्ययन किया जाता है।
हेल्मिन्थोलॉजी (Helminthology): इसके अन्तर्गत परजीवी कृमियों का अध्ययन किया जाता है।
उद्यानविज्ञान (Horticulture): यह वनस्पति विज्ञान (Botany) की एक शाखा है, जिसमें फूल, फल एवं सजावट के आकर्षक पौधों को उगाने की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
होलोग्राफी (Holography): लेसर किरणों द्वारा किसी वस्तु का त्रिविमीय (Three dimensional) चित्र प्राप्त करने की तकनीक को होलोग्राफी कहते हैं।
द्रवगतिकी (Hydrodynamics): यह भौतिकी की एक शाखा है जिसमें गतिशील द्रव पर कार्य करने वाले बल, दाब एवं उसकी ऊर्जा का अध्ययन किया जाता है।
जलचिकित्सा (Hydropathy): जल के द्वारा रोगों की चिकित्सा पद्धतियों का अध्ययन इस विज्ञान में किया जाता है।
जल कृषि (Hydroponics): यह कृषि की नवीन पद्धति है जिसमें मिट्टी के बिना पौधों को खनिज लवण घुले हुए जल में उगाया जाता है। इसे ही मृदारहित कृषि या ‘जल संवर्द्धन’ (Water culture) भी कहते हैं।
जल-ध्वनिविज्ञान (Hydrophonics): विज्ञान की इस शाखा में ध्वनि तरंगों को जल की सतह के नीचे प्रेषित करके वहां पर उपस्थिति पदार्थों का पता लगाया जाता है।
काइनेस्थेटिक्स (Kinesthetics): एक शब्दों की भाषा होती है और दूसरी शरीर की भाषा (Body language) होती है जिसमें बिना कहे ही शरीर की क्रियाओं द्वारा अन्दर के भाव प्रकट हो जाते हैं। इस अनकही शरीर की भाषा को समझने के विज्ञान को ही ‘काइनेस्थेटिक्स’ कहते हैं।
मापविज्ञान (Metrology): इस शाखा में तौल एवं माप (Weights and measures) की विधियों का अध्ययन किया जाता है।
मौसमविज्ञान (Meteorology): विज्ञान की इस शाखा में वायुमण्डल तथा इसमें होने वाले परिवर्तनों एवं विभिन्न घटनाओं का अध्ययन किया जाता है तथा मौसम का पूर्वानुमान भी किया जाता है।
कवक विज्ञान (Mycology): यह जन्तुविज्ञान की वह शाखा है जिसमें कवक (Fungi) की संरचना, उसकी जैविक प्रक्रियाओं तथा उनके द्वारा जीवों में उत्पन्न किए जाने वाले रोगों का अध्ययन किया जाता है।
ऑब्सटेट्रिक्स (Obstetrics): यह चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत गर्भाधान, प्रसव एवं बच्चे के जन्म का अध्ययन किया जाता है।
ओशीनोग्राफी (Oceanography): विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत समुद्र एवं उनसे सम्बन्धित विषयों का अध्ययन किया जाता है।
दन्तविज्ञान (Odontology): दन्त की उत्पत्ति, संरचना, विन्यास एवं उसके रोगों का अध्ययन इस शाखा में किया जाता है।
ओनिरोलॉजी (Oneirology): इसमें मानव के स्वप्नों का अध्ययन किया जाता है, अर्थात यह स्वप्न विज्ञान है।
ऑन्कोलॉजी (Oncology): इसमें कैंसर रोग और टयूमर का अध्ययन किया जाता है।
प्रकाशिकी (Optics): भौतिकी की इस शाखा में प्रकाश की प्रकृति, गुण तथा द्रव्य के साथ उसकी अन्तक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
ऑप्थाल्मोलोजी (Opthalmology): यह चिकित्सा विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत आंख व उसके रोगों का अध्ययन किया जाता है।
पक्षीविज्ञान (Ornithology): यह जन्तुविज्ञान की वह शाखा है जिसमें पक्षियों के स्वभाव, व्यवहार एवं उन पर पर्यावरण के प्रभावों का अध्ययन किया जाता है।
आप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (Optical Coherence Tomo-graphy): मानव शरीर के अन्दर के भागों को देखने की यह एक नई तकनीक है। इस तकनीक से प्राप्त चित्र अल्ट्रासाउण्ड के चित्रों की अपेक्षा 10 गुना अधिक स्पष्ट होते हैं। इससे क्षतिग्रसत ऊतकों (Tissues) की पहचान अधिक सरलता से की जा सकती है।
ओरोलॉजी (Orology): विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत पर्वतों का अध्ययन किया जाता है।
ऑलफैक्टोलॉजी (Olfactology): विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत गन्ध की संवेदनाओं का अध्ययन किया जाता है।
फल-कृषि विज्ञान (Pomology): यह कृषि विज्ञान की एक शाखा है, जिसमें फलों के उत्पादन, वृद्धि, सुरक्षा एवं उनकी नस्ल सुधार, आदि का अध्ययन किया जाता है।
भूकम्प विज्ञान (Seismology): यह भूगर्भ विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पृथ्वी के भूकम्पों के कारण, विस्तार, पूर्वानुमान, आदि सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
चन्द्र विज्ञान (Selinology): विज्ञान की इस नवीन शाखा में चन्द्रमा की उत्पत्ति, उसकी सतह की बनावट एवं उसकी गति का अध्ययन किया जाता है।
रेशम कीटपालन विज्ञान (Sericulture): इस शाखा में रेशम के कीड़ों को सुचारु रूप से पालन करने की विधियों तथा कच्चे रेशम के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अच्छी नस्ल के कीड़े उत्पन्न करने की तकनीक का अध्ययन किया जाता है।
वर्णक्रम विज्ञान या स्पेक्ट्रम विज्ञान (Spectroscopy): यह भौतिकी की एक शाखा है जिसमें स्पेक्ट्रोमीटर, स्पेक्ट्रोस्कोप, आदि का प्रयोग करके विभिन्न पदार्थों के वर्णक्रम प्राप्त किए जाते हैं !
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