ऐतिहासिक स्त्रोत | प्रागेतिहासिक संस्कृतियां | सिन्धु घाटी सभ्यता
history facts in hindi
Indian History Notes in Hindi – For UPSC, SSC, Railway and all other competitive Examinations
सर्वप्रथम 1837 ई. में जेम्स प्रिन्सेप को अशोक के अभिलेख को पढ़ने में सफलता मिली।
भारत से बाहर सर्वाधिक प्राचीनतम अभिलेख मध्य एशिया के बोगजकोई नामक स्थान से लगभग 1400 ई.पू. के मिले हैं, जिसमें इन्द्र, मित्र, वरुण और नासत्य आदि वैदिक देवताओं के नाम मिलते हैं।
सिक्कों के अध्ययन को मुद्राशास्त्र (न्यूमिस्मेटिक्स) कहा जाता है।
सर्वप्रथम हिन्द-यूनानियों ने ही स्वर्ण मुद्राएँ जारी कीं। | सर्वाधिक शुद्ध स्वर्ण मुद्राएँ कुषाणों ने तथा सबसे अधिक स्वर्ण मुद्राएँ गुप्तों ने जारी कीं।।
चार वेदों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद) को सम्मिलित रूप से संहिता कहा जाता है।
ऋग्वेद में मुख्यतः देवताओं की स्तुतियाँ तथा यजुर्वेद में यज्ञों के नियम तथा विधि-विधानों का संकलन है।
सामवेद में यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले मन्त्रों का संग्रह तथा अथर्ववेद में धर्म, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, तन्त्र-मन्त्र, जादू टोना जैसे अनेक विषयों का वर्णन है।
उपनिषदों में अध्यात्म तथा दर्शन के गूढ़ रहस्यों का विवेचन हुआ है। वेदों का अन्तिम भाग होने के कारण इसे वेदान्त भी कहा जाता है।
सबसे प्राचीन बौद्ध ग्रन्थ पालि भाषा में लिखित त्रिपिटक हैं। ये – हैं-सुत्तपिटक, विनयपिटक एवं अभिधम्मपिटका
जैन साहित्य को आगम कहा जाता है, इनकी रचना प्राकृत भाषा में हुई है।
हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है, जिनकी प्रसिद्ध पुस्तक हिस्टोरिका’ है।
अज्ञात लेखक की रचना ‘पेरिप्लस ऑफ द एरिथ्रियन सी’ में भारतीय बन्दरगाहों तथा वाणिज्यिक गतिविधियों का विवरण मिलता है।
फाह्यान की प्रसिद्ध रचना ‘फोक्यो-की’ अथवा ‘ए रिकार्ड ऑफ द बुद्धिस्ट कण्ट्रीज’ है।
द्वेनसाँग के यात्रा वृत्तान्त, सी-यू-की अथवा एस्से ऑन वेस्टर्न वर्ल्ड है।
अलबरूनी की रचना ‘तहकीके हिन्द’ में गुप्तोत्तर कालीन समाज का विविधतापूर्ण विवरण मिलता है।
पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में आदिमानव का कोई जीवाश्म नहीं मिला है |
पशुपालन का प्रारम्भिक साक्ष्य मध्य पाषण काल काल में मध्य प्रदेश के आदमगढ़ तथा राजस्थान के बागोर से प्राप्त होता है |
भीमबेटका से चित्रकारी के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त होते हैं |
मेहरगढ़ से कृषि का प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त होता है |
मानव द्वारा प्रयुक्त सर्वप्रथम अनाज जौ था |
नवपाषाण कालीन स्थल बुर्झोम से गर्त निवास तथा कब्रों में मालिक के साथ पालतू कुत्ते दफनाये जाने का साक्ष्य मिलता है |
पिक्लीहल (कर्नाटक) से राख के ढेर एवं निवास स्थल दोनों मिले हैं
ताम्र पाषण काल के लोग गेंहू, धान और दाल की खेती करते थे, जो नवादाटोली (महाराष्ट्र) से प्राप्त हुए हैं |
चित्रित मृदभाँड़ो का प्रयोग सर्वप्रथम ताम्रपाशानिक लोगों ने ही किया |
अहाड का प्राचीन नाम ताम्ब्वती था यहाँ के लोग पत्थर के बने घरों में रहा करते थे |
सर्वप्रथम 1921 ई. में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के अध्यक्ष जॉन
मार्शल के निर्देशन में हड़प्पा स्थल का ज्ञान हुआ। हड़प्पा की खोज 1921 ई. में दयाराम साहनी ने की थी।
सिन्धु घाटी सभ्यता का समूचा क्षेत्र त्रिभुजाकार है, जिसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी है।
हड़प्पा से कब्रिस्तान R-37 प्राप्त हुआ है।
हड़प्पा से काँसे का इक्का एवं दर्पण तथा सर्वाधिक अभिलेख युक्त मुहरें प्राप्त हुई हैं।
मोहनजोदड़ो का अर्थ होता है मृतकों का टीला।
काँसे की नग्न नर्तकी तथा दाढ़ी वाले साधु की मूर्ति मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है |
कालीबंगा का अर्थ काले रंग की चूड़ियाँ हैं। |
कालीबंगा से भूकम्प के प्राचीनतम साक्ष्य, ऊँट की हड्डियाँ तथा शल्य चिकित्सा के साक्ष्य भी प्राप्त हुए है। |
चन्हूदड़ो से मनके बनाने का कारखाना, बिल्ली का पीछा करता हुआ कुत्ता तथा सौन्दर्य प्रसाधनों में प्रयुक्त लिपिस्टिक का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
चन्हूदड़ो एकमात्र पुरास्थल है जहाँ से वक्राकार ईंटें मिली हैं।
लोथल से गोदीवाड़ा (डॉकयार्ड) के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
लोथल से स्त्री-पुरुष शवाधान (युग्म शवाधान) के साक्ष्य प्राप्त होते हैं।
बनावली से अच्छे किस्म का जौ, ताँबे का वाणाग्र तथा पक्की मिट्टी के बने हल की आकृति का खिलौना प्राप्त हुआ है। |
सुरकोटडा से घोड़े की अस्थियाँ तथा एक विशेष प्रकार की कब्र प्राप्त हुई है |
रंगपुर से धान की भूसी का ढेर प्राप्त हुआ है। |
सुत्कागेण्डोर का दुर्ग एक प्राकृतिक चट्टान पर बसाया गया था। |
सिन्ध से बाहर सिर्फ कालीबंगा की मुहर पर बाघ का चित्र मिलता है।
सर्वाधिक संख्या में मुहरें मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई हैं, जो मुख्यतः चौकोर हैं।
लोथल का अर्थ मुर्दो का नगर है। /
मोहनजोदड़ो का सबसे महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार है। |
सिन्धु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत अन्नागार है।
सिन्धु सभ्यता के लोग सूती एवं ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्रों का उपयोग करते थे।
लोथल से धान एवं बाजरे की खेती के अवशेष मिले हैं।
चावल की खेती का प्रमाण लोथल एवं रंगपुर से प्राप्त हुआ है।
सबसे पहले कपास पैदा करने का श्रेय सिन्धु सभ्यता के लोगों को दिया जाता है।
घोड़े के अस्तित्व के संकेत मोहनजोदड़ो, लोथल, राणाघुण्डई एवं सुरकोटदा से प्राप्त हुए हैं।
कूबड़ वाला साँड़ सिन्धु घाटी सभ्यता का सबसे प्रिय पशु था।
मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर पर पशुपति शिव की आकृति से गैंडा, भैंसा, हाथी, बाघ एवं हिरण की उपस्थिति के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
भारत में चाँदी सर्वप्रथम सिन्धु सभ्यता में पाई गई है।
सैन्धवकालीन लोगों ने लेखन कला का आविष्कार किया था
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