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तृतीय कर्नाटक युध्द- Audio Notes in Hindi

 तृतीय कर्नाटक  युध्द

कर्नाटक तृतीय युध्द 1758 ई. से 1763 ई. तक चला ये युध्द यूरोपीय संघर्ष का विस्तार मात्र था

1756 ई. में सप्त वर्षीय युध्द के आरम्भ होते ही भारत में दोनों कम्पनियों के बीच शांति की स्थिति समाप्त हो गयी

काउंट द लाली का भारत आगमन

 फ्रांसिसी सरकार ने काउंट द लाली को अप्रैल 1758में भारतीय प्रदेशों का गवर्नर बना कर भेजा जो बहुत उग्र स्वभाव का व्यक्ति था

काउंट द लाली का फोर्ट सेंट डेविड पर अधिकार 

काउंट द लाली ने 1758ई. में फोर्ट सेंट डेविड पर अधिकार कर लिया और तंजौर पर बकाया 56 लाख रु. हासिल करने के लिए आक्रमण कर दिया

अंग्रेजों ने सिदाउद्दौला को हरा कर बंगाल पर अधिकार कर लिया

काउंट लाली का मद्रास पर घेरा 

1758ई. में काउंट लाली ने मद्रास पर घेरा डाला तथा हैदराबाद से भुस्सी को भी बुला लिया भुस्सी को वापस बुलाना लाली की बहुत बडी राजनैतिक भूल थी इस अवसर पर गवर्नर क्लाइव ने बंगाल से अंग्रेजों की एक सेना हैदराबाद के लिए भेजी

फ्रांसिसी व अंग्रेजों की संधि

 सालार जंग जो कि बहुत डरपोक व्यक्ति था उसने अंग्रेजों से संधि कर ली इसके साथ ही हैदराबाद से फ्रांसिसी प्रभुत्व समाप्त हो गया

. 1760 ई. में सर आयरकूट की इस अंग्रेज सेना ने वांसिवाश युध्द में अंग्रेजी सेना को बुरी तरह परास्त कर दिया

 वांडिवाश युध्द के पश्चात फ्रांसिसियों का विरोध समाप्त हो गया और वे बस पाण्डुचेरी तक सीमित रह गये

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