अंग्रेजों का भारत आगमन
1578ई. में सर फ्रांसिस ड्रेक नामक एक अंग्रेज नाविक ने जो कि समुद्र मार्ग से पृथ्वी की परिक्रमा करने निकला था उसने लिसबन जो कि पुर्तगाल की राजधानी थी वहाँ जने वाले एक पुर्तगाली जहाज को लूटा
इस लूट से उसे कुछ नक्शे मिले और भारत की समृध्दि और आशा अंतरी की ओर जाने वाले मार्ग का ज्ञान मिला
मर्चेट एडवेंचरस
उसे पता चला कि भारत एक बहुत समृध्द स्थल है ऐसे उसे भारत आने का मार्ग पता चला व्यापारियों के एक समूह जिसे मर्चेट एडवेंचरस कहा जाता था इनके द्वारा 1599 ई. में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का गठन किया गया
महारानी एलिजाबेथ द्वारा कम्पनी को एक चार्टर
1600 ई. में ब्रिट्रेन की महारानी एलिजाबेथ के द्वारा कम्पनी को एक चार्टर दिया गया जिसमें कम्पनी को पूर्वी देशों के साथ 15 वर्षो के लिए व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान किया
हॉकिंस का भारत आगमन
महारानी एलिजाबेथ इन कम्पनी के हिस्सेदारों में से एक थी इसके पश्चात व्यापारिक रियायतें प्राप्त करने के लिए हेक्टर नामक जहाज पर कप्तान हॉकिंस 1608 ई. में सूरत आया
जहाँगीर के दरबार में हॉकिंस
हॉकिंस ने जहाँगीर के दरबार में जाकर फारसी भाषा में बात की जहाँगीर ने उससे प्रभावित होकर उसे इंग्लिश खाँ की उपाधि दी और 400 का मनसब भी दिया
ब्रिट्रिश कम्पनी की पहली फैक्ट्री
सन 1611 में मसूलीपट्टनम आन्ध्राप्रदेश में ब्रिट्रिश कम्पनी की अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित हुई
सूरत में स्थायी रूप से कोठी
1613 ई. में जहाँगीर ने एक आज्ञा पत्र द्वारा अंग्रेजों को सूरत में स्थायी रूप से एक कोठी स्थापित करने की अनुमति प्रदान की
सर टॉमस रो का जहाँगीर के दरबार में आगमन
1615 में इंग्लैड के राजा जेम्स प्रथम का राजदूत सर टॉमस रो जहाँगीर के दरबार में आया और 3 साल तक यहीं रहा इसका उद्देश्य व्यापारिक संधि करना था इसने साम्राज्य के सभी भागों में व्यापारिक कोठियां स्थापित करने की अनुमति प्राप्त कर ली
मैग्नाकार्टा या महाधिकार पत्र
1717 में जॉन सुमिरन का शिष्य मण्डल मुगल सम्राट फरुखशियर के दरबार में पहुँचा इस शिष्ट मण्डल का एक सदस्य विलियम हेमिल्टन जो कि चिकित्सक था उसने फरुख्शियर की कोई बहुत ही गम्भीर बीमारी ठीक कर दी फरुख्शियर ने प्रसन्न होकर 1717 ई. में कम्पनी के नाम एक फरमान जारीकिया जिसे कम्पनी का मैग्नाकार्टा या महाधिकार पत्र भी कहा जाता है
मैग्नाकार्टा के फरमान
1717 के फरमान में अंग्रेजों को 3,000 वार्षिक कर के बदले बंगाल में मुक्त व्यापार की अनुमति दी जाये
दूसरा उन्हें किराये पर कलकत्ता के आस-पास की जमीन लेने की अनुमति दी गई
तीसरा हैदराबाद के समूचे सूबे में उन्हें जो पहले से चुंगी की छूट मिली थी वह कायम रहे
चौथा 10,000रु. वार्षिक कर के बदले उन्हें चुंगी देने से छूट मिले
पाँचवा बम्बई में कम्पनी द्वारा ढाले गये सिक्कों को सम्पूर्ण राज्य में चलाने की अनुमति दे दी गई
अंग्रेजों की फैक्ट्रियां
1623 ई. में कम्पनी ने सूरत, अहमदाबाद, आगरा, कन्नौज और बडौदा में फैक्ट्री स्थापित कर ली ये सभी फैक्ट्रियां सूरत की कोठी के प्रिसिंडेंट और कौसिंल के नियंत्रण में रख दी गई
भडौच और बडौदा में फैक्ट्री स्थापित करने का उद्देश्य
भडौच और बडौदा में अंग्रेजी फैक्ट्री स्थापित करने का उद्देश्य पूरे इलाकों में बने कपडों को सीधे खरीद लेना था आगरा में कोठी स्थापित करने का उद्देश्य शाही दरबार के अफसरों को कपडा बेचना और नील खरीदना
सबसे अच्छी किस्म का नील बयाना में होता था
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<<<डच ईस्ट इंडिया कम्पनी-ऑडियो नोट्स
अतिरिक्त जानकारी
सन 1600 में शुरू हुई ये अंग्रेजी कम्पनी 2005 में एक भारतीय कारोबारी “संजीव मेहता” द्धारा खरीद ली गयी, और अब ये कम्पनी एक भारतीय के नाम है, संजीव मेहता ने इस कम्पनी को इसके 30-40 मालिकों से खरीदा, और इसे दोबारा शुरू किया अब ये कम्पनी Food, real state, furniture, health, hospitality आदि में बिजनेस करती है,
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