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डच (हॉलैडवासी) ईस्ट इण्डिया कम्पनी- Audio Notes

 स्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना


1602 ई. में डच ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की गई ये ड्च हॉलैण्ड के निवासी थे

डचों की प्रथम फैक्ट्री

 1605 ई. में डचों ने अपनी सबसे पहली फैक्ट्री मूसलीपट्टम में स्थापित की इनकी और भी फैक्ट्रियां सूरत, कासिम बाजार, बडा नगर, पटना, बालापट्टनम, कोचीन आदि थी

इनके आगमन से भारत में पुर्तगालियों का व्यापार में एकाधिकार समाप्त हो गया


 

डचों द्वारा निर्यात

ये मसाले, वस्त्र, नील, शोरा, सिल्क आदि सभी का निर्यात करते थे


 

जहांगीर का फरमान

डचों ने पश्चिमी तट पर व्यापार करने के लिए मुगल बादशाह जहांगीरसे फरमान जारी करवाया

राहदारी से मुक्ति


 

1642 ई. में शाहजहाँ ने पीपली से आगरा तक राहदारी से मुक्त कर दिया

डचों के व्यापार का अंत

18 वीं सदी की शुरुआत में डचों के व्यापारिक कार्य कलापों का अंत होना शुरु हो गया अंतत: 1759 में वेदरा के युध्द में अंग्रेजों द्वारा पराजित होने पर इनकी गतिविधियां पूर्णत: समाप्त हो गई

डचों के पतन के कारण

डचों के पतन के कारण थे कि मसालों के द्वीप पर बहुत अधिक ध्यान देना जो इण्डोनेशिया मे था

अंग्रेजों की तुलना में डचों की नौशक्ति कम थी, अत्याधिक केंद्रियकरण की नीति इनकी सत्ता काफी केंद्रियकृत थी, डचों की बिगडती हुई आर्थिक स्थिति

डचों ने भारत में अंग्रेजो और फ्रांसिसीयों के साथ गम्भीर प्रतियोगिता की

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