डेनिस का भारत आगमन
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बाद 1616 ई. में डेनिस कम्पनी का भारत आगमन हुआ
डेनिसों की पहली फैक्ट्री
इसकी पहली फैक्ट्री तंजौर के त्रावन कौर में 1620 ई. में स्थापित हुई
अन्य फैक्ट्रियां
इसके बाद बंगाल के श्रीरामपुर या सीरापुर में 1676 ई. में इनकी फैक्ट्री स्थापित हुयी
यही सीरापुर डेनिस कम्पनी की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र था
डेनिस की असफलता का कारण
डेनिस भारत में अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ नहीं कर पाये और अंतत: अपनी भारतीय बस्तियों को अंग्रेजो को 1845 ई. में इन्होंने बेच दिया
इन्होंने व्यापार की तुलना में धर्म प्रचार सम्बधी कार्यो में अधिक ध्यान दिया यहीं इनकी असफलता का कारण बना
अतिरिक्त जानकारी
तमिलनाडु स्थित “ट्रांकेबार”(वर्तमान तरंगमबाडी) 1620 से 1845 तक डेनिश बस्ती हुआ करता था, ट्रांकेबार जो कि तमिल शब्द तरंगमबाडी से बना है जिसका अर्थ होता है, “एक स्थान जहॉं तरंगें गाती हैं” , ये स्थान 1845 में श्रीरामपुर(वर्तमान में पश्चिम बंगाल में स्थित) और कुछ अन्य स्थानों के साथ अंग्रेजों को बेच दिया गया
निकोबार द्वीप भी पहले डेनिश लोगों द्वारा ही बसाया गया था जो कि 1868 में अंग्रेजों को बेच दिया गया
आजादी के बाद सन 1957 में निवर्तमान प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा डेनमार्क यात्रा करके भारत और डेनमार्क के बीच दोस्ती की नींव डाली, जो अभी भी कायम है
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