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केंद्र शासित प्रदेश एवं उनका प्रशासन

 (भाग – 8, अनु. -239 से 242)

1949 के मूल संविधान में श्रेणी C की राज्यों की संख्या 10 थी  अजमेर, भोपाल, बिलासपुर, कोडगू, दिल्ली हिमाचल प्रदेश,  कच्छ, मणिपुर, त्रिपुरा तथा विंध्य

राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत अजमेर, भोपाल, कोडगू, पक्षी एवं विद्युत प्रदेश को उनके सन्निकट राज्यों में विलीन कर दिए गए

1973 से  लक्ष्यद्वीप( लक्खा दीव,मिनिकाय एव  ओमानी दीव को मिलाकर)का केंद्रीय शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व कायम हुआ

संसद में अनुच्छेद 239 ( क) के तहत 1962 ईस्वी में अधिनियम पारित कर पांडिचेरी के लिए विधान मंडल का  उपबंध किया

1998 में संविधान का संशोधन करके दो  नए  अनुच्छेद अर्थात अनुच्छेद 239 (क, क) एवं अनुच्छेद( क, ख) स्थापित  किए गए जिसके तहत दिल्ली के लिए विधानसभा एवं मंत्रिमंडल का प्रावधान किया गया

अनुच्छेद 239 (क, क) द्वारा दिल्ली का नाम बदलकर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कर दिया गया

संविधान के अनुच्छेद 239(1) के उपबंधों के अनुसार केंद्र शासित प्रदेशों का शासन राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक द्वारा उसकी मंत्रिपरिषद की सहायता से होता है

इस प्रकार सभी संघ राज्य क्षेत्र राष्ट्रपति के अभिकर्ता के रूप में कार्य करते हुए प्रशासक द्वारा प्रकाशित होते हैं

 1962 ईस्वी में संविधान का संशोधन करके अनुच्छेद 239(क)( 37वें संशोधन अधिनियम द्वारा 1974 में यथा संशोधित) अंतः स्थापित करके संसद को यह शक्ति दी गई कि वह संघ राज्य क्षेत्रों के लिए विधान मंडल एवं मंत्रिपरिषद  का  सृजन कर सकती है

1993 यूपी से दिल्ली में विधान सभा एवं मंत्रिपरिषद कार्यरत हैं दीदी शासन को राज्य सूची की समस्त शक्तियां हासिल  है केवल तीन( लोक व्यवस्था, पुलिस एवं भूमि) को छोड़कर

दिल्ली में 1966 से ही पृथक उच्च न्यायालय कार्यरत है

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