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संसद में आरक्षित सीटें, स्पीकर का कार्यकाल व निर्वाचन

 विषय सूची

संसद में आरक्षित सीटें

स्पीकर का कार्यकाल व निर्वाचन

स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव

उपाध्यक्ष

महासचिव

विरोधी दल के नेता

संसद में आरक्षित सीटें

2008 में परिसीमन से पहले और बाद में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए लोकसभा की आरक्षित सीटें |

स्पीकर का कार्यकाल व निर्वाचन

लोकसभा स्पीकर का कार्यकाल अपनी लोकसभा की प्रथम तिथि से लेकर अगली लोक सभा की प्रथम बैठक तक होता है |

इस प्रकार लोकसभा विघटन के समय भी लोकसभा संबंधी सभी कार्यों का संचालन यही करता है |

राष्ट्रपति द्वारा प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के बाद संसद सदस्य शपथ लेते हैं |

इसके बाद अगला कार्यक्रम में स्थाई स्पीकर का चुनाव होता है निर्वाचन की पद्धति प्रतियोगिता के स्थान पर सहमति पर आधारित होती है |

अतः प्रोटेम स्पीकर पहले एक उम्मीदवार का प्रस्ताव सदन के समक्ष रखता है यदि उसे बहुमत प्राप्त हो जाए तो वह स्पीकर बन जाता है |

यदि प्रथम प्रस्ताव को सदन का बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो प्रोटेम स्पीकर द्वितीय उम्मीदवार का प्रस्ताव सदन के समक्ष रखता है |


 

स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव

लोकसभा के बहुमत द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को हटाया जा सकता है अथवा वह अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को सौंप सकता है |

लोकसभा अध्यक्ष के हटाने के प्रस्ताव को मूल प्रस्ताव की संज्ञा दी जाती है |अब तक भारतीय संसदीय इतिहास में केवल तीन स्पीकर के विरुद्ध ही हटाने के प्रस्ताव लाए गए हैं जो पास नहीं हो सके जी वी मालंकर, हुकुम सिंह, बलराम जाखड़ |

 जब तक अध्यक्ष को हटाने के लिए संकल्प विचाराधीन है तो अध्यक्षीय पीठासीन नहीं होगा किंतु उसे लोकसभा में बोलने पर उसकी कार्यवाहियों में भाग लेने का अधिकार होगा |

उसे मत देने का भी अधिकार होगा किंतु मत बराबर होने की दशा में मत देने का अधिकार नहीं होगा |

उपाध्यक्ष

लोकसभा अध्यक्ष की भाँति उपाध्यक्ष भी निर्वाचित करती है |

यह उपाध्यक्ष अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करता है |

उपाध्यक्ष सचिवालय बजट समिति का अध्यक्ष रहता है |


 

उपाध्यक्ष गैर सरकारी सदस्य के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति की अध्यक्षता भी करता है |

इसके अतिरिक्त पुस्तकालय व संग्रहालय समिति को भी अध्यक्षता करता है |

पहले लोकसभा उपाध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा (1921) थे, परंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रथम उपाध्यक्ष अनंतशयनम आयंगर थे |

महासचिव

यह कार्यपालिका का स्थाई पदाधिकारी होता है, जो 60 वर्ष की उम्र तक इस पद पर कार्य कर सकता है |

वह संसदीय लोकसभा के प्रति नहीं अपितु लोकसभा अध्यक्ष के प्रति उत्तरदाई होता है, महासचिव के निम्न कार्य हैं –

वह राष्ट्रपति की ओर से सदन के अधिवेशन में उपस्थित होने के लिए सदस्यों को आमंत्रण जारी कर सकता है |

अध्यक्ष की अनुपस्थिति में विधायकों को प्रमाणित करता है |

वह सदन की ओर से संदेश भेजता है व अध्यक्ष के संदेशों को प्राप्त भी करता है |

सदन या समितियों के समक्ष जो गवाह प्रस्तुत होते हैं, उनके विरुद्ध वारंट जारी कर सकता है |

विरोधी दल के नेता

विरोधी दल के नेता का कोई प्रावधान मूल संविधान में नहीं था, यह पद 1977 में संसद द्वारा पारित अधिनियम के अंतर्गत स्थापित किया गया |

इस नियम में प्रबंधन किया गया कि शासक दल के अतिरिक्त किसी भी दल के नेता को जिसके संसद में सबसे अधिक सदस्य हैं |

विरोधी दल के नेता के रूप में मान्यता प्रदान की जाएगी ऐसा करने के लिए यह आवश्यक है कि उस दल के नेता को लोकसभा के कुल सदस्य के 10% स्थान प्राप्त होने चाहिए |

विरोधी दल के नेता को कैबिनेट स्तर के मंत्री के समान माना जाता है, प्रथम विरोधी दल के नेता के रूप में ए के गोपालन को पांचवी लोकसभा के लिए चुना गया |

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