विषय सूची
जैन धर्म (JAINISM)
जैन धर्म (JAINISM)
जैन संगीतियाँ
जैन तीर्थकर एवं उनके प्रतीक (Jain Tirthankars and their symbols)
जैन धर्म से संबंधित पर्वत (Mountains related to Jainism)
जैन धर्म के 24 तीर्थंकर
श्वेतांबर एवं दिगंबर में अंतर
जैन धर्म (JAINISM)
जैन धर्म छठवीं शताब्दी में उदित हुए उन 62 नवीन धार्मिक संप्रदायों में से एक था। परंतु अंत में जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म ही प्रसिद्ध हुए। छठी शताब्दी ई०पू० में भारत में उदित हुए प्रमुख धार्मिक संप्रदाय निम्न थे –
जैन धर्म [(वर्धमान महावीर (वास्तविक संस्थापक)]
बौद्ध धर्म (गौतम बुद्ध)
आजीवक सम्प्रदाय (मक्खलि गोशाल)
अनिश्चयवाद (संजय वेट्टलिपुत्र)
भौतिकवाद (पकुध कच्चायन)
यदृच्छवाद (आचार्य अजाति केशकम्बलीन)
घोर अक्रियावादी (पूरन कश्यप)
सनक संप्रदाय (द्वैताद्वैत) (निम्बार्क)
रुद्र संप्रदाय (शुद्धाद्वैत) (विष्णुस्वामी वल्लभाचार्य)
ब्रह्म संप्रदाय (द्वैत) (आनंद तीर्थ)
वैष्णव सम्प्रदाय (विशिष्टाद्वैत) (रामानुज)
रामभक्त सम्प्रदाय (रामानंद)
परमार्थ सम्प्रदाय (रामदास)
श्री वैष्णव सम्प्रदाय (रामानुज)
बरकरी संप्रदाय (नामदेव)
वर्धमान महावीर : एक संक्षिप्त परिचय
जन्म–कुंडय़ाम (वैशाली)
जन्म का वर्ष–540 ई०पू०
पिता–सिद्धार्थ (ज्ञातृक क्षत्रिय कुल)
माता–त्रिशला (लिच्छवी शासक चेटक की बहन)
पत्नी–यशोदा,
पुत्री–अनोज्जा प्रियदर्शिनी
भाई–नंदि वर्धन,
गृहत्याग–30 वर्ष की आयु में ( भाई की अनुमति से)
तपकाल–12 वर्ष
तपस्थल–जम्बीग्राम (ऋजुपालिका नदी के किनारे) में एक साल वृक्ष
कैवल्य–ज्ञान की प्राप्त 42 वर्ष की अवस्था में
निर्वाण–468 ई०पू० में 72 वर्ष की आयु में पावा में
धर्मोपदेश देने की अवधि–12 वर्ष
जैन धर्म (JAINISM)
जैन धर्म के संस्थापक इसके प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे।
जैन परंपरा में धर्मगुरुओं को तीर्थंकर कहा गया है तथा इनकी संख्या 24 बताई गई है।
जैन शब्द जिन से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ होता है इंद्रियों पर विजय प्राप्त करने वाला।
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महावीर को ‘जिन’ की उपाधि मिली एवं इसी से ‘जैन धर्म नाम पड़ा एवं महावीर इस धर्म के वास्तविक संस्थापक कहलाये।
जैन धर्म को संगठित करने का श्रेय वर्धमान महावीर को जाता है। परंतु, जैन धर्म महावीर से पुराना है एवं उनसे पहले इस धर्म में 23 तीर्थंकर हो चुके थे। महावीर इस धर्म के 24वें तीर्थंकर थे।
इस धर्म के 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ एवं ‘24वें तीर्थंकर महावीर को छोड़कर शेष तीर्थंकरों के विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं हैं।
यजुर्वेद के अनुसार ऋषभदेव का जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ।
जैनियों के 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ का जन्म काशी में 850 ई०पू० में हुआ था।
पाश्र्वनाथ के पिता अश्वसेन काशी के इक्ष्वाकू–वंशीय राजा थे। पाश्र्वनाथ ने 30 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया।
पाश्र्वनाथ ने सम्मेत पर्वत (पारसनाथ पहाड़ी) पर समाधिस्थ होकर 84 दिनों तक घोर तपस्या की तथा कैवल्य (ज्ञान) प्राप्त किया। पाश्र्वनाथ ने सत्य, अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रहका उपदेश दिया।
पार्श्वनाथ के अनुयायी निग्रंथ कहलाये।
भद्रबाहु रचित कल्पसूत्र में वर्णित है कि पार्श्वनाथ का निधन आधुनिक झारखंड के हजारीबाग जिले में स्थित पारस नाथ नामक पहाड़ी के सम्मेत शिखर पर हुआ।
महावीर के उपदेशों की भाषा प्राकृत (अर्द्धमगधी) थी।
महावीर के दामाद जामलि उनके पहले शिष्य बने।
नरेश दधिवाहन की पुत्री चम्पा जैन–भिक्षुणी बनने वाली पहली महिला थी।
जैन धर्म में ईश्वर की मान्यता तो है, परन्तु जिन सर्वोपरि है |
स्यादवाद एवं अनेकांतवाद जैन धर्म के ‘सप्तभंगी ज्ञान’ के अन्य नाम हैं।
जैन धर्म के अनुयायी, कुछ प्रमुख शासक थे–उदयन, चंद्रगुप्त मौर्य, कलिंगराज खारवेल, अमोधवर्ष, राष्ट्रकूट राजा, चंदेल शासक।
जैन धर्म के आध्यात्मिक विचार सांख्य दर्शन से प्रेरित हैं |
अपने उपदेशों के प्रचार के लिए महावीर ने जैन संघ की स्थापना की।
महावीर के 11 प्रिय शिष्य थे जिन्हें गणघट कहते थे।
इनमें 10 की मृत्यु उनके जीवनकाल में ही हो गई।
महावीर का 11वाँ’ शिष्य आर्य सुधरमन था जो महावीर की मृत्यू के बाद जैन संध का प्रमुख बना एवं धर्म प्रचार किया |
10 वीं शताब्दी के मध्य में श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) में चामुंड (मैसूर के गंग वंश के मंत्री) ने गोमतेश्वर की मूर्ती का निर्माण कराया |
चंदेल शासकों ने खजुराहो में जैन मंदिरों का निर्माण कराया |
मथुरा मौर्य कला के पश्चात जैन धर्म का एक प्रसिद्द केंद्र था |
नयचंद्र सभी जैन तीर्थंकरों में संस्कृत का सबसे बड़ा विद्वान था।
महावीर के निधन के लगभग 200 वर्षों के पश्चात मगध में एक भीषण अकाल पड़ा।
उपरोक्त अकाल के दौरान चंद्रगुप्त मौर्य मगध का राजा एवं भद्रबाहु जैन संप्रदाय का प्रमुख था।
राजा चंद्रगुप्त एवं भद्रबाहु उपरोक्त अकाल के दौरान अपने अनुयायियों के साथ कर्नाटक चले गये।
जो जैन धर्मावलंबी मगध में ही रह गये उनकी जिम्मेदारी स्थूलभद्र पर दी गई।
भद्रबाहु के अनुयायी जब दक्षिण भारत से लौटे तो उन्होंने निर्णय लिया की पूर्ण नग्नता‘ महावीर की शिक्षाओं का आवश्यक आधार होनी चाहिए।
जबकि स्थूलभद्र के अनुयायियों ने श्वेत वस्त्र धारण करना आरंभ किया एवं श्वेतांबर कहलाये, जबकि भद्रबाहु के अनुयायी दिगंबर कहलाये
भद्रबाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र में जैन तीर्थंकरों की जीवनियों का संकलन है।
महावीर स्वामी को निर्वाण की प्राप्ति मल्ल राजा सृस्तिपाल के राजाप्रासाद में हुआ।
जैन धर्म के त्रिरत्न
सम्यक श्रद्धा – सत्य में विश्वास
सम्यक ज्ञान – शंकाविहीन एवं वास्तविक ज्ञान
सम्यक आचरण – बाह्य जगत के प्रति उदासीनता
पंच महावृत
अहिंसा – न हिंसा करना और ना ही उसे प्रोत्साहित करना
सत्य – क्रोध, भय, लोभ पर विजय की प्राप्ति से “सत्य” नामक वृत पूरा होता है |
अस्तेय – चोरी ना करना (बिना आज्ञा के कोई वस्तु ना लेना)
अपरिग्रह – किसी भी वस्तु में आसक्ति (लगाव) नहीं रखना |
ब्रह्मचर्य – सभी प्रकार की वासनाओं का त्याग
जैन संगीतियाँ
प्रथम संगीति
कालक्रम–322–298 ई०पू०
स्थल–पाटलिपुत्र
अध्यक्ष–स्थूलभद्र
शासक–चंद्रगुप्त मौर्य
कार्य–प्रथम संगीति में 12 अंगों का प्रणयन किया गया।
द्वितीय संगीति
कालक्रम–512 ई०,
स्थल–वल्लभी (गुजरात में),
अध्यक्ष देवर्धि क्षमाश्रमण,
कार्य–द्वितीय जैन संगीति के दौरान जैन धर्मग्रंथों को अंतिम रूप से लिपिबद्ध एवं संकलित किया गया।
जैन तीर्थकर एवं उनके प्रतीक (Jain Tirthankars and their symbols)
प्रथम ऋषभदेव सांड
द्वितीय अजीत नाथ हाथी
इक्कीसवें नेमिनाथ शंख
तेइसवें पार्शवनाथ सांप
चौबीसवें महावीर सिंह
जैन धर्म से संबंधित पर्वत (Mountains related to Jainism)
कैलाश पर्वत ऋषभदेव का शरीर त्याग
सम्मेद पर्वत पार्शवनाथ का शरीर त्याग
वितुलांचल पर्वत महावीर का प्रथम उपदेश
माउंट आबू पर्वत दिलवाड़ा जैन मंदिर
शत्रुंजय पहाड़ी अनेक जैन मंदिर
जैन धर्म के 24 तीर्थंकर
1 ऋषभदेव (आदिनाथ) 13 अजीत नाथ
2 संभवनाथ 14 अभिनंदन
3 सुमितिनाथ 15 पदम प्रभु
4 सुपार्शवनाथ 16 चंद्रप्रभु
5 सुविधिनाथ 17 शीतलनाथ
6 श्रेयांशनाथ 18 वासुमल
7 विमलनाथ 19 अनंतनाथ
8 धर्मनाथ 20 शांतिनाथ
9 कुंथुनाथ 21 अरनाथ
10 मल्लीनाथ 22 मुनि सुब्रत
11 नेमीनाथ 23 अरिष्टनेमि
12 पार्शवनाथ 24 महावीर स्वामी
श्वेतांबर एवं दिगंबर में अंतर
श्वेतांबर
दिगंबर
1 मोक्ष की प्राप्ति के लिए वस्त्र त्याग आवश्यक नहीं | मोक्ष के लिए वस्त्र त्याग आवश्यक
2 इसी जीवन में स्त्रियां निर्वाण के अधिकारी स्त्रियों को निर्वाण संभव नहीं |
3 कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति के बाद भी लोगों को भोजन की आवश्यकता | केवली प्राप्ति के बाद भोजन की आवश्यकता नहीं
4 श्वेतांबर मतानुसार महावीर विवाहित थे | दिगंबर मतानुसार महावीर अविवाहित है |
5 19वीं तीर्थकर स्त्री थी | 19वें तीर्थकर पुरुष थे |
जैन धर्म ऑडियो नोट्स
1..महावीर ने अपना उपदेश किस भाषा में दिया ?
– प्राकृत (अर्द्धमागधी)
2. जैन धर्म …………को भी मानता था ?
– पुनर्जन्म
3. महावीर के माता का नाम क्या था ?
– त्रिशाला
4. महावीर के बचपन का नाम क्या था ?
– वर्द्धमान
5. महावीर के पत्नी का नाम था ?
– यशोदा
6. महावीर के पिता का क्या नाम था ?
– सिद्धार्थ
7. अनोज्जा प्रियदर्शनी किसके पुत्री का नाम है ?
– महावीर
8. महावीर के दामाद का नाम क्या था ?
– जमाली
9. महावीर के बड़े भाई का नाम क्या था ?
– नंदिवर्धन
10. महावीर की मृत्यु के बाद कौन जैन धर्म का प्रथम थेरा या मुख्य उपदेशक हुआ ?
– सुधर्मन
11. जैन धर्म किसको प्रधान मानता था ?
– कर्म
12. जैन धर्म के आध्यात्मिक विचार किससे प्रेरित है ?
– सांख्य दर्शन
13. जैन धर्म का उदय का कारण क्या था ?
– ब्राह्मणों के बढ़ते जटिल कर्मकाण्डों की प्रक्रिया के खिलाफ
14. जैन धर्म का उदय कब हुआ ?
– 6ठी शताब्दी ई०पू०
15. जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थकर कौन थे ?
– महावीर स्वामी
16. महावीर का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
– 540 ई०पू० वैशाली के कुण्डग्राम में
17. महावीर को किस नदी के तट पर ज्ञान की प्राप्ति हुई ?
– ऋजुपालिका
18. महावीर के मुख्य शिष्य को क्या कहा जाता था ?
– गणधर
19. महावीर के धार्मिक उपदेश का संकलन किस पुस्तक में है ?
– पूर्व
20. श्वेताम्बर का अर्थ क्या थे ?
– जो श्वेत वस्त्र धारण करते थे
21. दिगंबर का अर्थ क्या थे ?
– जो पूर्णतः नग्न थे
22. महावीर को कितने वर्ष की अवस्था में ज्ञान की प्राप्ति हुई ?
– 42 वर्ष
23. जैन धर्म का संस्थापक कौन थे ?
– ऋषभदेव
24. जैन धर्म सर्वाधिक किस वर्गों के बीच फैला था ?
– व्यापारी वर्ग
25. महावीर के अनुयायी को किस रूप में जाना जाता है ?
– निर्ग्रन्थ
26. दक्षिण भारत में जैन धर्म का प्रचार किसने किया था ?
– भद्रबाहु
27. चन्द्रगुप्त मौर्य किससे प्रेरणा लेकर जैन धर्म को अपनाया ?
– भद्रबाहु28. जैनियों का प्रसिद्ध मदिर का नाम क्या है ?
– दिलवाड़ा मंदिर
29. जैन साहित्य को क्या कहा जाता है ?
– आगम
30. महावीर के पहले अनुयायी कौन बने थे ?
– जामिल
31. जैन धर्म में कितने तीर्थकर हुए ?
– 24
32. महावीर ने अपने शिष्यों को कितने गणधरों में बंटा था ?
– 11
33. मोक्ष प्राप्ति के बाद महावीर ने किसको जैन संघ का प्रमुख बनाया था ?
– सुधर्मन
34. जैन धर्म के 23वें तीर्थकर कौन थे ?
– पाशर्वनाथ
35. पाशर्वनाथ किस राजा के पुत्र थे ?
– अश्वसेन
36. महावीर का देहांत कहाँ हुआ था ?
– राजगृह (नालन्दा जिला)
37. दिलवाड़ा मंदिर कहाँ स्थित है ?
– माउन्ट आबू38. प्रसिद्ध जैन-तीर्थस्थल का नाम क्या है और किस राज्य में स्थित है ?
– श्रवणवेलगोला, कर्नाटक
39. खजुराहो में जैन मंदिरों का निर्माण किसने करवाया था ?
– चंदेल शासकों ने
40. जैन मंदिर हाथी सिंह किस राज्य में स्थित है ?
– गुजरात
41. महावीर को जिस वृक्ष के निचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी उस वृक्ष का नाम क्या है ?
– साल
42. जैन धर्म को मानने वाले राजा कौन-कौन थे ?
– चन्द्रगुप्त मौर्य, कलिंग नरेश खारवेल, चंदेल शासक, वंद राजा एवं राजा अमोघवर्ष
43. प्रसिद्ध जैनी ‘जल-मंदिर’ बिहार राज्य के किस शहर में स्थित है ?
– पावापुरी
44. मथुरा कला का संबंध किस धर्म से है ?
– जैनधर्म
45. पाशर्वनाथ ने भिक्षुओं को किस रंग का वस्त्र पहनने को कहा ?
– सफ़ेद
46. पाशर्वनाथ का प्रतिक चिन्ह क्या था ?
– सर्फ़
47. जैन धर्म में किस पर सर्वाधिक जोर दिया गया है ?
– अहिंसा
48. महावीर के मृत्यु के बाद जैन धर्म कितने भागो में विभक्त हो गया ?
– दो (1. श्वेताम्बर 2. दिगंबर)49. महावीर की 72 वर्ष की अवस्था में कब देहांत हुआ ?
– 468 ई०पू०
50. जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर एवं प्रवर्तक कौन थे ?
– ऋषभदेव
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