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वित्त विधेयक एवं विनियोग विधेयक में अंतर जान लीजिये ।

 विषय सूची

वित्त विधेयक – 

धन विधेयक

वित्त विधेयक श्रेणी (क)

वित्त विधेयक श्रेणी (ख)

वित्त विधेयक

विनियोग विधेयक

धन विधेयक और वित्त विधेयक में संबंध

संविधान संशोधन विधेयक

वित्त विधेयक – 

धन विधेयक, वित्त विधेयक श्रेणी (क), वित्त विधेयक श्रेणी (ख)

धन विधेयक

राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति,

राज्यसभा 14 दिन तक रोक सकती है,

संयुक्त बैठक नहीं हो सकती |

वित्त विधेयक श्रेणी (क)

राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति आवश्यक,

लोकसभा में प्रस्तुतीकरण,

संयुक्त बैठक हो सकती है |

वित्त विधेयक श्रेणी (ख)

सामान्य विधेयक की भांति संयुक्त बैठक हो सकती है और राज्यसभा में पहले प्रस्तुत किया जा सकता है,

परंतु राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना विस्तार से चर्चा नहीं हो सकती है |

 


वित्त विधेयक

साधारण वित्त विधेयक ऐसे विधेयक को कहते हैं जो आय व्यय से संबंधित है यह तीन प्रकार के होते हैं |

वित्त विधेयक में आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नए प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं |

द्वितीय पाठन के बाद वित्त विधेयक प्रवर समिति को भेजा जाता है, प्रवर समिति द्वारा विधेयक की समीक्षा उपरांत जब पुनः सदन में पेश किया जाता है उस समय से वह विधेयक लागू माना जाता है |


 

वित्त विधेयक के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया जा सकता और उसे तत्काल मतदान के लिए रखा जाता है |

इसे पेश किए जाने के 75 दिनों के अंदर सदन से पारित हो जाना चाहिए तथा उस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति भी मिल जानी चाहिए |

सामान्यतया विधेयक वार्षिक बजट पेश किए जाने के तत्काल बाद लोकसभा में पेश किया जाता है |

विनियोग विधेयक

अनुच्छेद 114 के अनुसार भारत की संचित निधि में से कोई धन, संसद द्वारा विधि के अधिनियम के बिना नहीं निकाला जा सकता है |

संचित निधि से धन विनियोग विधेयक द्वारा ही निकाला जा सकता है |

यह एक प्रकार का धन विधेयक है जिसे राज्यसभा केवल 14 दिनों तक की रोक सकती है |

धन विधेयक और वित्त विधेयक में संबंध

सभी धन विधेयक वित्त विधेयक होते हैं परंतु सभी वित्त विधेयक धन विधेयक नहीं होते हैं |

संविधान संशोधन विधेयक

अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संविधान संशोधन विधेयक पारित किए जाते हैं संविधान संशोधन विधेयक अधिनियम बनने के लिए दो विधियों से पारित किए जाते हैं –

प्रथम संसद के दोनों सदनों में उपस्थित सदस्य 2/3 व कुल सदस्य की संख्या बहुमत से पारित होना चाहिए |

द्वितीय संसद के 2/3 बहुमत व 1/2 राज्यों के विधानमंडल के अनुसमर्थन से पारित होते हैं इस प्रकार के विधेयक सातवीं अनुसूची में परिवर्तन से संबंधित राष्ट्रपति निर्वाचन संबंधी संघ की विधायिका कार्यपालिका न्यायपालिका की शक्ति में परिवर्तन संबंधी अनुच्छेद 368 में परिवर्तन करने वाले विधेयक |

मुख्य विषय

ज्ञानकोश इतिहास भूगोल 

गणित अँग्रेजी रीजनिंग 

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