विषय सूची
जहाँगीर का जीवन परिचय
जहांगीर का विवाह
जहांगीर का नूरजहाँ से विवाह
नूरजहाँ ने किसे बादशाह घोषित किया
जहांगीर के पुत्र खुसरो का विद्रोह
काँगडा विजय
दक्षिण विजय
हिंदू प्रांतों के शासक
जहांगीर पर ईसाई धर्म का प्रभाव
महावत खां का विद्रोह
अस्पा प्रथा
जहांगीर के काल के चित्रकार
इन भाषाओं का जानकार था जहांगीर
जहांगीर की मृत्यु
जहांगीर के बारे में अन्य बातें
Quick Revision
जहाँगीर का जीवन परिचय
नूरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर का जन्म 30 अगस्त 1559 ई. को हुआ थाजहांगीर के बचपन का नाम सलीम था जहाँगीर की माता मरियम-उज-जमानी थी
सलीम को सर्वप्रथम बैरम खां के पुत्र अब्दुर्रहीम खानेखाना के संरक्षण में रखा गया था जो सलीम का शिक्षक था
जहांगीर का विवाह
सलीम का पहला विवाह आमेर (जयपुर) के राजा भगवान दास की पुत्री मानबाई से 1885 ई. में हुआ था यह विवाह हिंदू व मुस्लिम दोनों रीतियों से सम्पन्न हुआ सबसे बडे पुत्र खुसरो का जन्म भी इस मानबाई से हुआ था
खुसरो के जन्म के बाद मानबाई शाहबेगम कहलाने लगी आगे चलकर पिता-पुत्र के बीच उपजे विवाद से तंग आकर मानबाई ने आत्महत्या कर ली शाहबेगम को इलाहबाद में दफनाया गया, जहाँ आगे चलकर उसके पुत्र खुसरो को भी दफनाया गया और उसी के नाम पर बाग का नाम खुसरोबाग पड गया
सलीम का दूसरा महत्वपूर्ण विवाह राजा उदय सिंह की पुत्री जोधाबाई(Jodhabai) से 1586 ई. में हुआ इसी का पुत्र खुर्रम (Khuram/Shahjahan-शाहजहां) था
जहांगीर के तीसरे पुत्र परवेज का जन्म साहिब-ए-जमल से हुआ
जहांगीर के चौथे पुत्र शहरयार का जन्म अन्य बेगम से हुआ
जहांगीर का नूरजहाँ से विवाह
बादशाह बनने के बाद भी जहांगीर ने अनेक विवाह किये जिनमें मिर्जा गयास बेग की पुत्री मेहरूत्रिसा का नाम उल्लेखनीय है
जहांगीर ने मेहरूत्रिसा का नाम नूरजहाँ रख दिया नूरजहाँ का पहला विवाह अली कुल बेग(ali kul beg) के साथ हुआ था जहांगीर जब युवराज था तब उसने अली कुल बेग को शेर मारने के उपलक्ष्य मे शेर खां(Sher khan) की उपाधि दी
आगे चलकर शेर खां की हत्या हो गई और 1611 ई. में जहांगीर ने 42 वर्ष की अवस्था में 24 वर्ष की मेहरूत्रिसा से शादी कर ली और उसे नूरमहल और फिर नूरजहाँ की उपाधि प्रदान की धीरे- धीरे शासन में नूरजहाँ का प्रभुत्व बढता गया, जो शाहजहां के विद्रोह(Revolt of Shahjahan) का कारण बना
नूरजहाँ ने किसे बादशाह घोषित किया
जहांगीर की मृत्यु के बाद नूरजहाँ ने शहरयार(Shaharyar) को बादशाह घोषित किया था
जहाँगीर द्वारा किये गये कार्य(works done by Jahangir)
जहांगीर ने रविवार(Sunday) (जो उसके पिता का जन्मदिन था) तथा बृहस्पतिवार(Thursday) (जो उसके सिंहासनारोहण का दिन था) को पशु वध बंद करवा दिया
जहांगीर ने शराब व मादक(wine and intoxicant) वस्तुओं के निर्माण व बिक्री पर रोक लगवा दी थी
अपने शासन के प्रथम वर्ष जहांगीर ने 1606 ई. में नौरोज (पारसी त्यौहार) जो 9दिन का होता है धूमधाम से मनाया
जहांगीर ने आगरा के किले से कुछ दूर एक स्थान से आगरा के किले तक घंटियां लगवाई, जिसमें एक स्वर्ण जंजीर (golden chain of justice) लगी थी पीडित व्यक्ति घंटा बजाकर सीधे बादशाह से फरियाद कर सकता
जहांगीर के पुत्र खुसरो का विद्रोह
जहांगीर के सबसे बडे पुत्र ने विद्रोह किया खुसरो आगरा के किले से भाग निकला और तरनतारन नामक स्थान पर सिक्ख गुरू अर्जुन सिंह ने खुसरो को आशीर्वाद दिया व आर्थिक मदद भी की 1622 ई. में खुर्रम ने खुसरो की हत्या करा दी जहाँगीर ने सिक्ख गुरू अर्जुन सिंह(Arjun singh) को मरवा डाला, जिससे सिक्खों व मुगलों में कटुता उत्पन्न हो गई
काँगडा विजय
जहांगीर के काल में काँगडा विजय हुई इस विजय को खुर्रम ने स्थापित किया
दक्षिण विजय
जहांगीर के समय दक्षिण में अहमदनगर मुगलों के दक्षिण विजय में बाधा उत्पन्न कर रहा था अहमदनगर का प्राधानमंत्री मलिक अम्बर अहमद नगर के निजामशाही राज्य की स्थिति सुदृढ करने में लगा था मुगल शहजादा खुर्रम ने कूटनीतिक सफलता से अहमदनगर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया खुर्रम की इस सफलता पर जहांगीर ने उसे शाहजहाँ की उपाधि प्रदान की
मेवाड को जीत कर (चित्तौड का किला भी) पुन: जहांगीर ने राणा को सौंप दिया
ईस्ट इंडिया कंपनी से संपर्क(Contact with East India Company)
जहांगीर के काल में ही ईस्ट इंडिया कंपनी से विधिवत सम्पर्क हुआ
हिंदू प्रांतों के शासक
जहांगीर के काल में तीन हिंदू प्रांतों के शासक थे- मानसिंह, विक्रमादित्य, तथा कल्याण सिंह था (जो टोडरमल का बेटा था)
जहांगीर पर ईसाई धर्म का प्रभाव
जहांगीर जेसुइट पादरियों खासकर जेवियर से अत्यधिक प्रभावित था जहांगीर ने अपने भतीजे दानियाल के पुत्रों को ईसाई धर्म में दीक्षित होने के लिये प्रेरित किया जहांगीर के इस कार्य से स्पेन के राजा फिलिप तृतीय ने उसकी काफी प्रशंसा की
महावत खां का विद्रोह
जहांगीर के काल में महावत खां ने विद्रोह किया झेलम नदी के किनारे महावत खां का विद्रोह कुचलने में नूरजहाँ की मुख्य भूमिका रही
अस्पा प्रथा
जहांगीर ने दो अस्पा, सिंह अस्पा प्रथा चलाई दो अस्पा के अंतर्गत मनसबदार को अपने सवार पद के दुगने घोडे रखने पडते थे, जबकि सिंह अस्पा के अंतर्गत मनसबदार को अपने सवार पद के तीन गुने घोडे रखने पडते थे
जहांगीर के काल के चित्रकार
जहांगीर के दरबार में उस्ताद मंसूर एवं अबुल हसन सर्बाधिक महत्वपूर्ण चित्रकार थे जहांगीर ने उस्ताद मंसूद को नादिर-उल-असर तथा अबुल हसन को नादिरूज्जमा की उपाधि प्रदान की
जहांगीर की आत्मकथा(Biography of Jahangir- tujuk e jahagiri)
जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगीरी की रचना फारसी भाषा में की
जहांगीर द्वारा बनबाई गई इमारतें (Buildings made by Jahangir)
जहांगीर ने सिकंदरा में अकबर का मकबरा बनवाया और लाहौर की मस्जिद का निर्माण कराया
जहांगीर के काल के साहित्यकार (writers)
जहांगीर के काल के एक मुख्य साहित्यकार मौतमिद खाँ ने इकबालनामा-ए-जहांगीरी की रचना की
इन भाषाओं का जानकार था जहांगीर
जहांगीर फारसी व तुर्की भाषा का जानकार था
जहांगीर की मृत्यु
1627 ई. में जहांगीर की मृत्यु हो गई उसे लाहौर के निकट शहादरा में दफनाकर समाधि बना दी गई
जहांगीर के बारे में अन्य बातें
जहांगीर की मुख्य सफलता मेवाड पर विजय थी
नूरजहाँ की माता अस्मत बेगम नूरजहाँ की मुख्य परामर्शदात्री थी तथा इत्र की आविष्कारक मानी जाती है
जहांगीर के काल में सबसे पहले पुर्तगाली आये थे
जहांगीर मध्ययुगीन शासकों में अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिध्द था
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Quick Revision
जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त, 1569 को हुआ था।
अकबर द्वारा जहाँगीर का नाम सूफी संत शेख सलीम चिश्ती से प्रेरित होकर रखा।
जहाँगीर की माता मारियम जमानी अम्बर के राजा. भारमल की पुत्री थी।
सलीम (जहाँगीर) की 18 फरवरी, 1585 ई० में अम्बर के राजा भगवान दास की पुत्री मानबाई से शादी हुई।
सलीम ने मानबाई को शाह बेगम की उपाधि प्रदान की।
1586 ई० में सलीम ने उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाईं से विवाह किया जिससे शहजादा खुर्रम का जन्म हुआ।
सलीम ने 1599 ई० से 1603 ई० तक अपने पिता सम्राट अकबर के विरुद्ध विद्रोह किया।
आगरा के किले के शाहबुर्ज एवं यमुना तट पर एक खंभे में सोने की जंजीर लगी हुई थी जो जहाँगीर की न्याय की जंजीर कहलाती थी।
जहाँगीर ने 1606 ई० में अपने सबसे बड़े पुत्र खुसरो के विद्रोह को दबा दिया एवं उसे कैद में डाल दिया।
जहाँगीर द्वारा सिखों के ‘5वें’ गुरु अर्जुनदेव को विद्रोही राजकुमार खुसरो को सहायता देने के कारण मृत्युदंड दिया गया।
शाहजादा खुर्रम द्वारा अहमदनगर के वजीर मलिक अंबर का दमन करने के कारण जहाँगीर ने उसे शाहजहाँ की उपाधि से नवाजा।
1611 ई० में जहाँगीर ने ईरान निवासी मिर्जा ग्यासबेग की पुत्री मेहरुनिस्सा से विवाह किया।
विवाह के पश्चात जहाँगीर ने मेहरूनिस्सा को नूरजहाँ (Light of the world) एवं उसके पिता ग्यासबेग को एतमाद-उद्-दौला की उपाधि से नवाजा।
जहाँगीर ने 1613 ई० में नूरजहाँ को बादशाह बेगम के पद पर नियुक्त किया।
जहाँगीर ने मिर्जा ग्यास बेग को शाही दीवान के पद पर नियुक्त किया।
1622 ई० में शाह अब्बास (ईरान का शासक) ने कंधार मुगलों से छीनकर अपने अधिकार में कर लिया।
नूरजहाँ ने 1611 ई० से 1627 ई० तक के जहाँगीर के प्रशासन को एक हद तक अपने हाथों में ले लिया था। जहाँगीर के खुर्रम, खुसरो, परवेज, शहरयार एवं जहाँदार नामक 5 पुत्र थे।
जहाँगीर के शासनकाल में अस्मत बेगम (नूरजहाँ की माता) ने गुलाब से इत्र बनाने की कला विकसित की।
भीमवार नामक स्थान पर जहाँगीर की मृत्यु 7 नवंबर 1627 ई० को हुई।
जहाँगीर का शासनकाल मुगल चित्रकारी का स्वर्णकाल माना जाता है।
जहाँगीर के दरबार में आगारजा, अबुल हसन, मुहम्मद नासिर, मुहम्मद मुराद, उस्ताद मंसूर, विशनदास, मनोहर एवं गोवर्धन, फारूख बेग एवं दौलत आदि चित्रकार थे।
जहाँगीर ने आगरा में एक चित्रशाला स्थापित की।
जहाँगीर के काल का प्रमुख निर्माण 1626 ई० में नूरजहाँ द्वारा बनवाया गया एतमाद-उद्-दौला का मकबरा है।
एतमाद-उद्-दौला का मकबरा ऐसी प्रथम इमारत है जो पूर्णतः श्वेत संगमरमर से निर्मित है।
नूरजहाँ ने ही जहाँगीर के मकबरे (शाहदरा-लाहौर) का निर्माण करवाया।
नूरजहाँ द्वारा जहाँगीर के एक अन्य पुत्र शहश्यार को जहाँगीर के उत्तराधिकारी के रूप में समर्थन देने के कारण खुर्रम ने सम्राट के खिलाफ 1622-25 ई० की अवधि में विद्रोह कर दिया।
खुर्रम के विद्रोह को महावत खाँ ने दबाया।
जहाँगीर के शासनकाल में महावत खाँ ने 1626 ई० में विद्रोह कर दिया।
जहाँगीर कालीन निर्मित फारसी भाषा के ऐतिहासिक ग्रंथों में तुजूक-ए-जहाँगीरी (जहाँगीर), इकबालनामा-ए-जहाँगीरी (मौतमिद् खाँ), मुहासिर-ए-जहाँगीरि (ख्वाजा कामगार), मजखान-ए-अफगाना (नियामतुल्ला) एवं तारीख-ए-फरिश्ता (मुहम्मद कासिम फरिश्ता) आदि प्रमुख हैं।
जहाँगीर के दरबार में 1615 ई० से 1618 ई० तक व्यापारिक सुविधाएँ प्राप्त करने के उद्देश्य से विलियम हॉकिंस, पालिकेनि, सर टॉमस रो एवं टेरी इंगलैंड के राजा के दूत के रूप में भारत आये। जहाँगीर विलियम हॉकिंस को इंगलिश खान कहता था।
सिकंदरा में अकबर के मकबरे का निर्माण उसी की योजना के अनुसार जहाँगीर ने 1612 में करवाया।
जहाँगीर की मृत्यु के पश्चात 4 फरवरी, 1628 ई० को शाहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) का राज्याभिषेक आगरा में हुआ।
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