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सूर साम्राज्य | शेरशाह सूरी का इतिहास

 विषय सूची


शेरशाह सूरी का परिचय

शेरशाह का मकबरा

शेर खां ने किससे विवाह किया

चौसा पर कब्जा

कौन सा विद्रोह दबाया

शेरशाह की मृत्यु

शेरशाह ने क्या क्या कार्य किये

शेरशाह ने कौन से राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कराया

सैनिक व्यवस्था में सुधार

ये सिक्के चलवाये

लगान की व्यवस्था

शेरशाह के काल में रची गई रचना

ऑडियो नोट्स सुनें

Quick Revision

शेरशाह सूरी का परिचय

सूर वंश की स्थापना शेरशाह सूरी ने की इसका बचपन का नाम फरीन था और इसके पिता का नाम हसन था, जौनपुर के खाने आजम जो कि वहाँ के शासक थे जिनका नाम था जमाई खाँ सुरवानी इन्होंने हसन को (शेरशाह के पिता को) सासाराम खवासपुर की जागीर सौंपी थी

शेरशाह का मकबरा

सासाराम बिहार में स्थित है यहीं पर शेरशाह का मकबरा स्थित है यह मकबरा बहुत ही प्रसिध्द है क्योकि यह हिंदू ईरान वास्तु कला का समंवय है यह मकबरा ससराम में एक तालाब के बीच ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ है

1527 औए 1528 में बिहार के शासक मुहम्मद खाँ नोहानी (मुहम्मद शाह) के दरबार में से लाया गया जिसने उसे अपना वकील और अपने बेटे जलाल खां नोहानी के लिए अटाली नियुक्त किया यहीं उसे एक बाघ मारने के लिए शेर खां की उपाधि दी गई घाघरा की लडाई में महमूद लोदी का इसने साथ दिया 1530 में हजरत-ए-आला बन कर उसने गद्दी छीन ली

शेर खां ने किससे विवाह किया

एक लार्ड मलिका थी जो कि चुनार के किलेदार ताज खां की विधवा थी इससे शेर खां ने शादी कर ली और चुनार के किले पर अधिकार कर लिया

चौसा पर कब्जा

हुमायुँ ने जब चुनार गढ के किले पर आक्रमण किया तो शेरशाह ने 1539 ई. में चौसा पर कब्जा कर लिया इसी वर्ष शासक के रूप में शेरशाह की उपाधि धारण की

कौन सा विद्रोह दबाया

1540 में कन्नौज के बाद लाहौर में पर कब्जा जमाया 1541 में बंगाल के शासक खिज्र खां के विद्रोह को दबाया और बंगाल में नबाब पध्द्ति खत्म करके उसे जिलों में विभक्त कर दिया

शेरशाह की मृत्यु

1545 में कलिंजर फतह के दौरान इसकी मृत्यु हो गई जहाँ बारूद में विस्फोट हो गया था और इन्होने वहीं अपनी अंतिम सांस ली परंतु किला इन्होंने कलिंजर का किला जीत लिया

शेरशाह ने क्या क्या कार्य किये

शेरशाह व्यक्तिगत रुप से सुन्नी मुसलमान था शेरशाह ने लोक कल्याणकारी कार्य करते हुए सडकें व सरायें बनवायी

शेरशाह ने कौन से राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कराया

पहली सडक लाहौर से सोनार गांव (बंगाल) तक जाती थी जो सबसे लम्बी सडक थी यह सडक ‘सडक-ए-आजम’ कहलाती थी इसी सडक का नया नाम ग्राण्ड ट्रंक रोड है

सैनिक व्यवस्था में सुधार

शेरशाह धार्मिक रुप से सहिष्णु शासक था इसने सैनिक व्यवस्था में भी अनेक सुधार किये ये सैनिक सुधार अलाउद्दीन खिलजी के सैनिक सुधारों से काफी प्रभावित थे जैसे- नकद वेतन देना

ये सिक्के चलवाये

शेरशाह ने घिसे-पिटे सिक्कों के स्थान पर सोने,चाँदी व ताँबे के सिक्कों का प्रचलन करवाया व ताँबे का दाम चलवाया

लगान की व्यवस्था

इसके समय लगान की व्यवस्था रैय्यतवादी थी इसके समय में आय का सबसे बडा स्त्रोत भूमि पर लगने वाला कर था

शेरशाह बुधवार का दिन मुकदमों की सुनवाई करता था इसने अपने सम्पूर्ण शासन क्षेत्र में एक समान नाप तौल व मुद्रा प्रणाली लागू की

शेरशाह के काल में रची गई रचना

मलिक मुहम्मद जायसी की ‘पद्मावत’, ‘अखरावट’, ‘बारहमासा’, ‘आखिरीकलाम’ ये शेरशाह के काल में रची गई है !

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Quick Revision

सूर साम्राज्य की स्थापना शेर शाह (शासनकाल-1540-45 ई०) ने की। 

शेर शाह का जन्म 1472 ई० में बजवाड़ा (होशियारपुर) में हुआ था। उसके बचपन का नाम फरीद खाँ था। वह सूर वंश में पैदा हुआ था। 

फरीद खाँ के पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अंतर्गत सासाराम के जमींदार थे। 

एक बार एक शेर को तलवार के एक ही वार से मार देने के कारण मुहम्मद बहार खाँ लोहानी ने फरीद खाँ को शेर खाँ की उपाधि से विभूषित किया। 

शेर खाँ ने चुनार के स्वर्गीय गवर्नर ताज खाँ की विधवा पत्नी लाड मलिका से विवाह किया। 

शेर खाँ 1529 ई० में बिहार एवं 17 मई, 1540 ई० को हुए बिलग्राम-युद्ध में हुमायूँ को हराकर दिल्ली का शासक बना। उसके साम्राज्य में कश्मीर को छोड़कर लगभग संपूर्ण उत्तर भारत शामिल था। 

सासाराम (बिहार) में शेर शाह के मकबरे का का निर्माण हुआ। 

शेर शाह ने रोहतासगढ़ के किले एवं किला-ए-कुन्हा मस्जिद का निर्माण कराया। 

शेर शाह का पुत्र इस्लाम शाह उसका उत्तराधिकारी बना।

भूमि की माप हेतु शेर शाह ने 32 अंकों वाला सिकंदरी गज चलाया। 

शेर शाह ने 380 ग्रेन का दाम (तांबे का सिक्का) एवं 178 ग्रेन का चाँदी का रुपया चलाया। 

शेर शाह के शासनकाल में भू-राजस्व, कुल उपज का 1/3 भाग वसूला जाता था। । 

शेर शाह ने कबूलियत एवं पट्टा प्रथा आरंभ की तथा डाक-व्यवस्था प्रारंभ की।

शेर शाह ने पाटलिपुत्र का पुनर्निर्माण कर 1541 ई० में इसका नाम पटना रखा। 

शेर शाह ने पूर्व में सोनार गाँव (बंगाल) से पश्चिम में सिंधु नदी (पंजाब) तक 3000 मील लंबी ग्रैंड ट्रंक रोड (तत्कालीन नाम-सड़क-ए-आजम) का निर्माण कराया।  

पद्मावत नामक ग्रंथ के रचयिता मलिक मुहम्मद जायसी शेर शाह के समकालीन थे।

शेरशाह ने प्रत्येक परगने में एक कानूनगो नियुक्त किया जिससे परगने की स्थिति की जानकारी लेता था, अब्बास खां शेरवानी की तारीख-ए-शेरशाही से शेरशाह के जीवन व कार्यकलापों की जानकारी मिलती है

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