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मध्यकालीन भारतीय इतिहास को जानने के स्त्रोत

 मध्यकालीन भारत (MEDIEVAL INDIA)

 “भारत में 1206 ई० में दिल्ली सल्तनत की स्थापना से लेकर 1739 ई० में नादिरशाह के आक्रमण एवं मुगल साम्राज्य के पूर्ण पतन तक का काल ‘मध्यकाल’ कहलाता है।

 इस काल की जानकारी के लिए पुरातात्विक एवं साहित्यिक दोनों प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं, परंतु यहाँ सिर्फ साहित्यिक स्रोतों का विवरण दिया जा रहा है –

मध्यकालीन भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोत

अली अहमद द्वारा रचित फतहनामा (चचनामा) से अरबों के आक्रमण से पूर्व एवं बाद के सिंध के इतिहास की जानकारी मिलती है|

मीर मुहम्मद मासूम रचित तारीख-ए-सिंध से अरबों के सिंध-विजय का उल्लेख मिलता है।

सुबुक्तगीन एवं महमूद गजनी के संबंध में उत्बी रचित किताब-उल-यामिनी से जानकारी मिलती है।

जैनुल-अखबार की रचना अबु सईद ने की थी, इससे महमूद गजनी के जीवन पर प्रकाश पड़ता है। मिनहाज-उस-सिराज जुजानी रचित तबकात-ए-नासिरी से दिल्ली सल्तनत का कालक्रमिक एवं क्रमबद्ध विवरण प्रस्तुत होता है। इस तरह का विवरण प्रस्तुत करने वाला यह पहला ग्रंथ है। 

जियाउद्दीन बरनी रचित तारीख-ए  फिरोजशाही द्वारा बलबन के राज्याभिषेक से फिरोज तुगलक के शासनकाल के छठवें वर्ष तक के इतिहास की जानकारी मिलती है।

कल्हण कृत राजतरंगिणी से कश्मीर की जानकारी प्राप्त होती है।

फिरोज तुगलक रचित फुतुहात-ए-फिरोजशाही से उसके शासनकाल का विवरण मिलता है।

अलबरूनी द्वारा रचित किताब-उल-हिंद . (तहकीक-ए-हिंद) महमूद गजनी कालीन भारतीय समाज का सजीव चित्रण प्रस्तुत  करता है।

याह्या-बिन-अहमद-सरहिन्दी ने अपने ग्रंथ तारीख-ए-मुबारकशाही में तैमूर के आक्रमण के पश्चात सैय्यद वंश के शासनकाल का वर्णन किया है।


 

अमीर खुसरो की प्रसिद्ध रचनाएँ 


किरान उस सादेन बुगरा खाँ एवं उसके बेटे कैकुबाद के मिलन का वर्णन है।

मिफता उल फुतूह अलाउद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों का वर्णन।

खजाइन उल फुतूह अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के पहले 15 वर्षों का चाटुकारितापूर्ण विवरण।

आशिकी गुजरात के राजा करन की पुत्री देवलरानी एवं अलाउद्दीन खिलजी के पुत्र खिज्र खाँ की प्रेमकथा का विवरण।

नूह सिपिहर मुबारक खिलजी का चाटुकारितापूर्ण वर्णन।

तुगलकनामा खुसरो शाह पर ग्याशुद्दीन तुगलक के विजय का वर्णन।

जियाउद्दीन बरनी रचित फतवा-ए-जहाँदारी से मुहम्मद-बिन-तुगलक के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। 

फख्ने मुदब्बीर ने अदब-उल-हर्ब में तुर्कों के सैन्य संगठन की संरचना एवं युद्ध-कौशल का विवरण दिया है।

निजाम-उल-मुल्क तुसी की कृति सियासतनामा से सल्तनत काल में प्रयुक्त ‘अक्ता प्रणाली’ की जानकारी मिलती है।

बरनी की रचना के 50 वर्षों बाद शम्स-ए-सिराज अफीफ ने उसी नाम से रचित एक ग्रंथ तारीख-ए-फिरोजशाही से ग्याशुद्दीन तुगलक एवं मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल की जानकारी मिलती है।

मोरक्को निवासी इब्नबतुता द्वारा रचित किताब-उल-रेहला से मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल की जानकारी मिलती है। 

मुहम्मद-बिन-तुगलक के विषय में एक अन्य ग्रंथ फुतूह-अस-सलातीन से जानकारी मिलती है। इसमें मुहम्मद तुगलक के बाद की स्थितियों का भी विवरण है।

फुतूह-अस-सलातीन के लेखक ख्वाजा अब्दुल मलिक इसामी थे।

सल्तनत कालीन हिन्दू समाज का विवरण हसन निजामी की कृति ताज-उल-मआसिर से प्राप्त होती है।

मार्को पोलो के यात्रा वृत्तांत दि ट्रैवेल्स से सल्तनत कालीन दक्षिण भारत की समृद्धि का ज्ञान होता है। 

निकोलस काँटी के यात्रा वृत्तांत से ‘विजय नगर साम्राज्य’ की जानकारी मिलती है।

बाबर द्वारा रचित आत्मकथा तुजक-ए-बाबरी  में तत्कालीन हिंदुस्तान की राजनीतिक दशा, प्राकृतिक दृश्य, आबोहवा, फल-फूल, सब्जियाँ,एवं पौधों की जानकारी दी गई है। 

मिर्जा हैदर दोगलत द्वारा रचित तारीख ए-रशीदी से मुगलों एवं मध्य-एशियाई तुर्कों के विषय में जानकारी मिलती है।

खोंदमीर रचित हबीब-उस-सियार यँ तो विश्व का साधारण इतिहास है, परंतु इससे हिंदुस्तान पर कब्जा करने के पूर्व का बाबर का इतिहास वर्णित है।

खोंदमीर रचित कानून-ए-हुमायुनी हुमायूँ के शासनकाल का समसामयिक विवरण प्रस्तुत करती है।


 

बाबरनामा


मुगल साम्राज्य की आधारशिला रखने वाले जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर ने ‘तुर्की’ भाषा में अपनी आत्मकथा ‘तुजूक-ए-बाबरी’ की रचना की

बाबर के सदर-उस-सुदूर (धार्मिक मामलों का मंत्री) शेख जेतुद्दीन ख्वाजा ने फारसी भाषा में इसका अनुवाद किया।

तजक-ए-बाबरी ‘ती’ गद्यशैली की एक उत्कृष्ट रचना है।

शेख जेतुद्दीन ख्वाजा द्वारा रचित ‘तुजूक’ का फारसी अनुवाद बाबर की खनवा की लड़ाई तक की जानकारी ही प्रदान करती है।

अकबर के 1583 ई० के आदेशानुसार 1589- 90 ई० में अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने इस ग्रंथ का फिर से फारसी भाषा में अनुवाद किया एवं तब से यह बाबरनामा के नाम से प्रसिद्ध है। 

बाबरनामा में जून 1504 से 1529 ई० तक. यानि बाबर की मृत्यु से एक वर्ष पूर्व तक के हालातों का विवरण है।

इस ग्रंथ का अंग्रेजी अनुवाद 1826 ई० में किया गया।

मिसेज ए०एस० बेवरिज ने इसका दूसरा अनुवाद 1905 में किया जो दो भागों में हैं।

बाबर की बेटी एवं हुमायूँ की बहन गुलबदन बेगम द्वारा रचित हुमायूँनामा के पहले भाग से बाबर के विषय में एवं दूसरे भाग से हुमायूँ के विषय में जानकारी मिलती है। 

रिजकुल्लाह मुश्ताकी द्वारा रचित वाकयात-ए-मुश्ताकी से बहलोल लोधी से लेकर अकबर के शासन के मध्यकाल तक की जानकारी प्राप्त होती है।

अब्बास खाँ शेरवानी ने अपने ग्रंथ तोहफा-ए-अकबरशाही में ‘शेर शाह सूर’ के विषय में विवरण प्रस्तुत किये हैं। 

मीर अलाउद्दौला कजवीनी द्वारा रचित नफाइस-उल-मासिर संभवतः अकबर काल का विवरण देने वाली पहली रचना है। 

अबूल फजल द्वारा 7 वर्षों (1590-91 से 1597-98 ई०) में रचित ऐतिहासिक ग्रंथ अकबरनामा से अकबर के जीवन के 30 वर्षों के इतिहास की जानकारी मिलती है। 

अकबरनामा तीन जिल्दों में बंटा हुआ, इसके तीसरे जिल्द को आइने अकबरी नाम दिया गया है।

निजामुद्दीन अहमद द्वारा रचित तबकातए-अकबरी से दिल्ली सल्तनत के उत्तरार्द्ध एवं मुगकालीन भारत की जानकारी प्राप्त होती है।

अब्दुल कादिर बदायूँनी द्वारा रचित मुन्तख-उत-त्वारीख में अकबर के शासनकाल एवं कार्यों का आलोचनात्मक विवरण प्रस्तुत किया गया है।

 मुगल बादशाह जहाँगीर द्वारा रचित तुजुक-ए-जहाँगीरी से उसके शासनकाल का विवरण मिलता है (जहाँगीर ने इसमें अपने शासन काल के 16वें वर्ष तक का ही विवरण लिखा है, 16वें वर्ष से 19वें वर्ष तक का हाल मौतमिद खाँ बख्शी ने लिखा परंतु इसे मौलवी मुहम्मद हादी ने पूरा किया)।

मुगल बादशाह जहाँगीर के विषय में मौतमिद खाँ बख्शी द्वारा रचित इकबालनामा-ए जहाँगीरी से भी पर्याप्त जानकारी मिलती है। यह ग्रंथ ‘तुजूक-ए-जहाँगीरी’ से अत्यंत प्रभावित है।

शाहजहाँ के काल का पहला सरकारी इतिहास मोहम्मद अमीन कजवीनी द्वारा रचित पादशाहनामा है (इस नाम से अब्दुल हमीद लाहौरी ने भी शाहजहाँ कालीन इतिहास लिखा)।

मोहम्मद सालेह रचित अमल-ए-सालेह से शाहजहाँ के काल के पूरे इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।


 

मुगल कालीन विदेशी यात्री 


फादर एन्थोनी मोंसेरात-1578 में अकबर के दरबार में आया था, उसने अपने यात्रा विवरण में अकबर के चरित्र एवं व्यक्तित्व का विशद वर्णन प्रस्तुत किया है। 

राल्फ फिच-वह भारत में 1588-91 ई० के दौरान रहा। वह पहला अंग्रेज यात्री था जिसने भारत के लोगों, उनकी वेशभूषा एवं रिवाजों का वर्णन किया। 

विलियम हॉकिन्स-वह जहाँगीर के शासन काल में 1608 से 1613 तक भारत में रहा, उसने अपने यात्रा विवरण में जहाँगीर की दिनचर्या का सटीक विवरण प्रस्तुत किया है। 

सर टॉमस रो-सर टॉमस रो 1616 ई० में जहाँगीर के शासन काल में भारत आया, उसने मुगल दरबार एवं जहाँगीर की अभिरुचियों का विस्तृत वर्णन किया है। |

जीन बैप्टिस्ट ट्रैवर्नियर-17वीं शताब्दी का सबसे ख्याति प्राप्त फ्रांसीसी यात्री शाहजहाँ के काल में आया। उसने मुगलकालीन भारत का बेहतरीन चित्र अपने यात्रा वृत्तांत Mag num Opus, the Six Voyages (मैग्नम ओपसद सिक्स वॉयजेज) में प्रस्तत किया है। 

फ्रांसिस बर्नियर-उसके 1670 ई० में  प्रकाशित यात्रा वृत्तांत ट्रैवल्स इन दी मुगल एम्पायर में तत्कालीन भारतीय समाज की झांकी प्रस्तुत की गई है।

शाहजहाँ कालीन शासन के हालात एवं अफसरों से संबंधित जानकारी तारीख-ए-शाहजहानी से मिलती है। 

शाहजहाँ की शासन-प्रणाली एवं उसकी कार्यप्रणाली के विषय में चंद्रभान ब्राह्मण रचित चहार चमन से विशेष जानकारी मिलती है। 

शाहजहाँ की मृत्यु तक के इतिहास का विवरण सुजान राय भंडारी रचित खुलासत-उत-त्वारीख से प्राप्त होता है।

 मुगल सम्राट औरंगजेब के पहले 10 सालों का विवरण आलमगीरनामा नामक दो पुस्तकों में दिया गया है। एक के लेखक काजेम शीराजी है एवं दूसरे का लेखक हातिम खाँ है। 

औरंगजेब के उत्तराधिकार की लड़ाई का विवरण आकिल खाँ रचित वाकयात-ए-आलमगीरी में दिया गया है। 

खफी खाँ की मुन्तखाब-उल-लुबाब से औरंगजेब के शासनकाल का आलोचनात्मक विवरण प्राप्त होता है।

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