विषय सूची
मराठों का उत्थान
मराठा राज्य के संस्थापक
शिवाजी का पालन पोषण
शिवाजी का राजनैतिक जीवन
बीजापुर की घटना
सूरत लूट
पुरंदर संधि
औरंगजेब के दरबार में शिवाजी
छत्रपति की उपाधि
शिवाजी की मृत्यु
कर प्रणाली
सरदेशमुखी कर प्रणाली
चौथ प्रणाली
अन्य महत्वपूर्ण बातें
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शिवाजी के अष्टप्रधान
मराठों का उत्थान
17 वीं शताब्दी में मराठों का उत्थान हुआ वास्तव में दक्षिण भारत में चलने वाले सामाजिक धार्मिक जागरण का परिणाम था
इस क्षेत्र ने अपनी भौगोलिक क्षेत्रता का लाभ मराठों को प्रदान किया इसके फलस्वरुप कुशल नेतृत्व के निर्देशन में मराठों का उत्थान हुआ
मराठे 17 वीं सदी से बीजापुर अहमद नगर तथा गोलकुण्डा की सेना में कार्य करते थे उनके पहाडी किलों को मराठे ही नियंत्रित करते थे
इन मराठो को राजा, नायक, राय आदि की उपाधि दी जाती थी
बीजापुर के शासक इब्राहिम आदिल शाह ने मराठो को बारगीर के रुप में नियुक्त किया उसने अपने लेखा विभाग में भी मराठा ब्राह्मणों की नियुक्ति की
कालांतर मे मराठा राज्य संघ में ग्वालियर के सिंधिया, नागपुर के घोसले, बडौदा के गायकवाड, इंदौर के होलकर तथा पूना के पेशवार सम्मिलित हुए
मराठा राज्य के संस्थापक
इनमें सर्वप्रमुख नाम शिवाजी का आता है शिवाजी मराठा राज्य के संस्थापक थे इनका जन्म 1627 ई. में पूना में हुआ था इनके पिता का नाम शाह जी था जो बीजापुर राज्य में एक अधिकारी थे
शिवाजी का पालन पोषण
इनकी माता का नाम जीजाबाई था शिवाजी का पालन पोषण दादा जी कोणदेव और गुरु रामदास के संरक्षण में हुआ
शिवाजी का राजनैतिक जीवन
आगे चलकर शिवाजी ने अपने राजनैतिक जीवन का शुभारम्भ किया और बीजापुर राज्य की सीमाओं के अंतर्गत पडने वाले दुर्गो पर अधिकार कर लिया
बीजापुर की घटना
बीजापुर के सुल्तान ने अफजल खां के नेतृत्व में 1659 ई. में एक सेना भेजी
शिवाजी ने अफजल खां को मार डाला और बीजापुर की सेना को पराजित कर दिया
बीजापुर के बाद शिवाजी में मुगल सम्राट औरंगजेब का सामना किया औरंगजेब ने शाहिस्ता खां के एक दल को शिवाजी का दमन करने के लिए भेजा
शिवाजी ने गौरिल्ला युध्द पध्दति से पूना मे विश्राम कर रहे शाहिस्ता खां पर रात्रि में ही हमला कर दिया इस में शाहिस्ता खां का पुत्र मारा गया और शाहिस्ता खां भाग गया
सूरत लूट
1664 ई. में शिवाजी ने सूरत शहर को लूटा था सूरत शहर से मुगलों को बहुत अधिक राजस्व की प्राप्ति होती थी
पुरंदर संधि
क्रुध्द होकर औरंगजेब ने राजा जय सिंह के नेतृत्व में सेना भेजी जिससे विवश होकर शिवाजी ने राजा जय सिंह के साथ 1665 में पुरंदर की संधि कर ली
इस संधि के अनुसार शिवाजी ने अपने 35 दुर्गो में से 23 दुर्ग मुगलों को सौंपे
औरंगजेब के दरबार में शिवाजी
जयसिंह के द्वारा सुरक्षा का आस्वासन मिलने के बाद शिवाजी औरंगजेब से मिलने आगरा दरबार में पहुँचे
औरंगजेब ने शिवाजी और उनके पुत्र शम्भा जी को आगरा नगर के जयपुर भवन में कैद कर लिया
शिवाजी वहाँ से भाग निकले और अपने राज्य में पहुँच गये विवश हो कर औरंगजेब ने उन्हें राजा की उपाधि प्रदान की
छत्रपति की उपाधि
1674 ई. में रायगढ में शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक कराया और छत्रपति की उपाधि धारण की
उन्होंने अपना राज्याभिषेक बनारस के महान पण्डित विश्वेशर या श्री गंगाधर से कराया
शिवाजी ने रायगढ को अपनी राजधानी बनाया
शिवाजी की मृत्यु
1680 ई. में शिवाजी की मृत्यु हो गई
कर प्रणाली
शिवाजी के समय में दो तरह की कर प्रणाली थी सरदेशमुखी दूसरी चौथ
सरदेशमुखी कर प्रणाली
सरदेशमुखी मालगुजारी के 101 भाग के बराबर होता था महाराष्ट्र में पूरे क्षेत्र से भूराजस्व बसूलने वाले अधिकारी को देशमुख कहते थे तथा एक बडे क्षेत्र के देश प्रमुख को सरदेशमुख कहते थे ये दोनों पदाधिकारी वंशानुगत होते थे तथा अपने पद को वतन कहते थे
शिवाजी स्वयं को समस्त महाराष्ट्र का सरदेशमुख कहते थे
चौथ प्रणाली
चौथ मालगुजारी के 14 भाग के बराबर होता था और चौथ के रूप में राजस्व देने वाले क्षेत्र को कभी लूटा नहीं जाता था
शिवाजी के काल में जो मालगुजारी वसूलते थे उन्हें पटेल कहा जाता था
अन्य महत्वपूर्ण बातें
शिवाजी का राज्य 16 प्रांतों में विभक्त था
प्रशासन की सबसे छोटी ईकाई मौजा थी
मराठों के जिलों को तरफ कहा जाता था
केंद्रिय सचिवालय को हुजूर दफ्तर कहा जाता था
शिवाजी की अश्वारोही सेना दो भागों में बँटी होती थी वर्गी और सिलहेदार
मराठो को उस वक्त के साहित्य में गनीम अर्थात शत्रु कहा गया है
सूरत बंदरगाह को मुगल काल में मक्का द्वार कहा जाता था
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मराठा साम्राज्य की स्थापना शिवाजी ने की।
शिवाजी का जन्म शिवनेर नामक स्थान पर 20 अप्रैल, 1627 ई० को हुआ था।
शिवाजी के पिता का नाम शाह जी भोंसले तथा माता का नाम जीजाबाई था।
शिवाजी ने अपनी माँ के उपदेशों से प्रभावित होकर संपूर्ण ब्राह्मण एवं मराठा जाति की रक्षा करने का व्रत लिया।
शिवाजी ने दादा जी कोणदेव से आरंभिक शिक्षा ली तथा उनके व्यक्तित्व का प्रभाव भी उसके ऊपर पड़ा।
इसके अतिरिक्त शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु रामदास ने भी शिवाजी के व्यक्तित्व को प्रभावित किया।
शाह जी ने 1640 ई० में शिवाजी को पूना की जागीर सौंप दी एवं स्वयं बीजापुर के रियासत में नौकरी कर ली। 1640 ई० में साई बाई से शिवाजी का विवाह हुआ।
अपने आरंभिक सैन्य अभियानों के तहत शिवाजी ने सिंहगढ़ (1643 ई०) एवं बीजापुर के तोरण दुर्ग (1646 ई०) पर अधिकार कर लिया।
शिवाजी ने 1655 ई० में जावली एवं 1656 ई० में रायगढ़ पर अधिकार कर लिया तथा ‘रायगढ़’ में अपनी राजधानी स्थापित की।
शिवाजी ने 1659 ई० में अफजल खाँ के नेतृत्व वाली बीजापुर की सेना को पराजित किया।
शिवाजी ने 15 अप्रैल 1663 ई० को मुगल साम्राज्य के दक्षिण के सुबेदार शाइस्ता खाँ पर आक्रमण किया एवं मुगल सेना के पाँव उखाड़ दिये। शाइस्ता खाँ ने अपनी कुछ उंगलियाँ गंवाकर जान बचाईं।
शिवाजी द्वारा मुगल आधिपत्य के क्षेत्र सूरत को 1664 ई० एवं 1679 ई० में दो बार लूटा गया।
शिवाजी ने मुगल सम्राट औरंगजेब के दूत अंबर नरेश जयसिंह के साथ 22 जून 1665 ई० को पुरंदर की संधि की।
शिवाजी 9 मई 1666 ई० को आगरा पहुँचकर मुगल दरबार में उपस्थित हुए जहाँ उन्हें औरंगजेब ने धोखे से कैद कर लिया, साथ में उनका पुत्र शंभाजी भी मौजूद था।
उपरोक्त कैद से किसी तरह छूटकर शिवाजी पुनः 30 नवम्बर, 1666 ई० को वापस महाराष्ट्र पहुँचे।
1668 ई० में हुए एक समझौते के तहत मुगलों ने शिवाजी को एक स्वतंत्र शासक मान लिया तथा बरार की जागीर उन्हें सौंप दी गई एवं उनके पुत्र शंभाजी को 5000 का मनसब प्रदान किया गया।
1670 ई०-1680 ई० का काल शिवाजी के लिए भारी सफलता का काल था, इस काल में साल्हेर, मुल्हे, ज्वाहेर, रामनगर एवं सूरत से महावत खाँ के नेतृत्व वाली मुगल सेना के पाँव उखाड़ दिये।
1670 ई० के बाद शिवाजी ने निकटवर्ती मुगल इलाकों से भी चौथ एवं सरदेशमुखी जैसे कर वसूले।
16 जून, 1674 को शिवाजी ने रायगढ़ में पं० गंगाभट्ट से अपना राज्याभिषेक करवाया तथा छत्रपति, गौ-ब्राह्मण-प्रतिपालक एवं हिंदू-धर्मोद्धारक की पदवियाँ धारण की।
शिवाजी ने राज्याभिषेक के पश्चात हिंदू-पद-पादशाही का नारा दिया।
शिवाजी की मृत्यु 4 अप्रैल 1680 ई० को हुई।
शिवाजी का मंत्रिमंडल अष्टप्रधान कहलाता था। मंत्रिमंडल में पेशवा का पद सर्वाधिक महत्वपूर्ण था।
किलों की सुरक्षा हेतु शिवाजी ने निम्न अधिकारियों की नियुक्ति की- हवलदार-किले में आंतरिक व्यवस्था की देख-भाल करने वाला अधिकारी।
सर-ए-नौबत-किले की सेना का नेतृत्व करने वाला अधिकारी।
सवनिस-किले की अर्थव्यवस्था, पत्र-व्यवहार भंडार की देख-रेख करने वाला पदाधिकारी।
शिवाजी ने अपनी सेना को तीन महत्वपूर्ण भागों में विभाजित किया |
पागा सेना-नियमित घुड़सवार सेना,
सिलहदार-अनियमित घुड़सवार सेना,
पैदल-पैदल सेना।
शिवाजी ने ‘कराधान’ व्यवस्था में मलिक अंबर का अनुकरण किया।
शिवाजी के शासन काल में भू-राजस्व की दर कुल उपज का 33% होती थी। बाद में इसे बढ़ाकर 40% किया गया।
शिवाजी ने चौथ (किसी भी तरह के आक्रमण से बचाने के लिए लिया जाने वाला कर) एवं सरदेशमुखी (देश के वंशानुगत एवं सबसे बड़े देशमुख होने के नाते वसूला जाने वाला कर) नामक नये कर लगाये।
चौथ की दर कुल आय का 25% हुआ करती थी तथा सरदेशमुखी की दर कुल आय का 1/10 होती थी।
शिवाजी के अष्टप्रधान
पेशवा-प्रधानमंत्री एवं. सर-ए-नौबत-सेनापति।
अमात्य-राजस्व मंत्री।
वकियानवीस-सूचना, गुप्तचर विभाग एवं संधि-विग्रह विभागों का अध्यक्ष,
चिटनिस-राजकीय पत्रों की भाषा-शैली की देखरेख करने वाला पदाधिकारी।
सुमंत-विदेशी मामलों का मंत्री।
पंडित राव-धार्मिक कार्यों के लिए तिथि का निर्धारण करने वाला पदाधिकारी |
न्यायाधीश-न्याय विभाग का प्रधान।
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