इल्तुतमिश ने अपनी ही पुत्री रजिया को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया
रजिया सुल्तान दिल्ली सल्तनत की पहली तथा अंतिम महिला शासक थी
रजिया 1236 ई0 में दिल्ली की शासिका बनी
विषय सूची
इन लोगो को पद पर नियुक्त किया
रजिया की चुनौतीयां
क्या थे रज़िया के पतन के कारण
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इन लोगो को पद पर नियुक्त किया
रजिया बेगम ने ‘जमालुद्दीन याकूत’ को ‘अमीर-आखूर’ (अश्वशाला का प्रधान) नियुक्त किया
रजिया ने मलिक हसन गौरी को सेनापति के पद पर नियुक्त किया
रजिया की चुनौतीयां
रजिया 1240 ई0 में तबरहिंद के अक्तादार (भटिण्डा के गवर्नर) अल्तुनिया के विद्रोह को कुचलने के लिए तबरहिंद की ओर गयी
1240 ई0 में तुर्क अमीरों ने याकूत की हत्या कर रजिया को बंदी बना लिया तथा दिल्ली के सिहासन पर इल्तुतमिश के तीसरे पुत्र बहरामशाह को बैठाया
रजिया ने दिल्ली की सत्ता को पुन; प्राप्त करने के लिए तबरहिंन्द के अक्तादार (भटिण्डा के सूबेदार) अल्तूनिया से विवाह किया
रजिया ने साम्राज्य में शांति स्थापित की और अमीरों से अपनी आज्ञा मनवाई
रजिया ने न्याय का प्रतीक लाल वस्त्र पहन कर जनता से न्याय की अपील की तथा जनसमर्थन से ही गद्दी पर बैठ पायी
रजिया पर्दाप्रथा त्यागकर तथा पुरुषों की तरह चोगा (काबा) व कुलाह (टोपी) पहन कर राजदरबार में खुले मुँह जाने लगी
रजिया घोडे पर सवार हो कर युध्द के मैदान में जाती थी
रजिया सुल्तान का विरोध कर रहे तुर्की अमीरो के दल के नेता निजामुल मुल्क जुनैदी था
रजिया का शासनकाल मात्र साढे तीन वर्ष का (1236 से 1240 ई0) तक रहा
13 अक्टूबर 1240 को कैथल के निकट मार्ग़ में कुछ डाकुओं ने रजिया व अल्तुनिया की हत्या कर दी
मिन्हाज-उस-हिंद के अनुसार, वह महान शासिका, बुध्दिमान, ईमानदार, न्याय करने वाली प्रजापालक तथा युध्दप्रिय थी
क्या थे रज़िया के पतन के कारण
रजिया की असफलता का प्रमुख कारण तुर्की गुलामों (सरदारों) की महत्वकांक्षाऐ थी
रजिया के पतन के प्रमुख कारण उसका स्त्री होना व समस्त शासन का नियंत्रण अपने हाथों में लेना था
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