प्रदेश का अर्थ एवं विशेषताएं तथा भूगोल में प्रदेशों के अध्ययन का महत्व:-
प्रदेश का अर्थ:-
पृथ्वीतल का वह इकाई क्षेत्र जो अपने विशेष लक्षणों के कारण अपने समीपवर्ती अन्य इकाई क्षेत्रों से अलग समझा जाता है। वह प्रदेश कहलाता है।
प्रदेश की विशेषताएं:-
प्रदेश की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं।
1. प्रदेश एक निश्चित अर्थ वाली क्षेत्र इकाई है जिसकी विशिष्ट स्थित होती है।
2. प्रदेश का निश्चित क्षेत्र विस्तृत होता है।
3. प्रदेश का निहित उद्देश्य के आधार पर अध्ययन किया जाता है।
4. किसी ना किसी प्रकार की समरूपता प्रदेश में होती हैं। एक उद्देश्य अथवा बहुउद्देश्य हो सकते हैं।
5. प्रदेश की सुपष्ट सीमाा नहीं होती है।
6. इसका आकार विस्तार अनियत प्रकार का हो सकता है।
7. प्रदेश में समीपवर्ती क्षेत्र के संदर्भ में स्पष्ट भिन्नता होती है।
8. प्रदेश की सीमाएं स्थाई नहीं होती वह अस्थाई होती हैं। उनमें समय के साथ परिवर्तन होता रहता है।
9. प्रदेश का स्वरूप आंतरिक तत्व के निरंतर गतिशील एवं सक्रिय रहने से विकसित होता है।
10. प्रदेशों की व्याख्या तथ्यों एवं सिद्धांतों के आधार पर होती है।
11. प्रदेश की समस्याएं अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग होती है।
12. प्रदेश का आकार इतना बड़ा होना चाहिए। कि उसमें संसाधनों का दोहन किया जा सके।
13. प्रदेश में प्रशासनिक ढांचा होता है जिससे प्रदेश में घटित होने वाली क्रियाओं का नियंत्रण किया जा सकता है।
14. प्रदेश अपने अंदर निवास करने वाले लोगों की जीवन शैली का स्थेतिक रूप दर्शाता है।
15. प्रदेश आसपास के क्षेत्रों से किसी ना किसी प्रकार अलग होता है। उसका विस्तार कितनी दूरी तक होता है जितनी दूरी तक प्रभेद व्याप्त होता है।
भूगोल में प्रदेश अध्ययन का महत्व:-
भौगोलिक अध्ययन के 2 उपागम होते है।
1. क्रमबद्ध उपागम
2. प्रादेशिक उपागम
क्रमबद्ध उपागम, प्रादेशिक उपागम आपस में एक दूसरे में समाविष्ट रहते हैं। अर्थात क्रमबद्ध भूगोल में प्रादेशिक उपागम होता है। और प्रदेशिक उपागम में क्रमबद्ध भूगोल का अध्य्यन रहता है। फिर भी भूगोल के समस्त क्रमबद्ध प्रकरणों का प्रयोग प्रदेशों के अध्ययन के लिए किया जाता है।
प्रादेशिक अध्य्यन ही भूगोल के विकास का पक्ष है। क्रमबद्ध अध्य्यन तथ्यों के विश्लेषण पर आधारित होता है जबकि प्रादेशिक भूगोल में तथ्यों का संश्लेषण और समाकलन होता है।
भूगोल में प्रदेशों का केंद्रीय स्थान है और भूगोल का सबसे अधिक शास्त्री साहित्य प्रदेशिक ग्रंथों का है जबकि प्रदेशों के संबंध में कुछ मतभेद रहे है फिर भी भौगोलिक ज्ञान के संगठन की सबसे अधिक तर्कसंगत और संतोषप्रद विधि प्रदेशीकरण की है। पिछले 20 वर्षों से प्रदेशों के अध्य्यन के वर्गीकरण की विधियां और प्रदेशों के विश्लेषण संश्लेषण पर अधिक बल दिया जा रहा है।
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