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भारत के प्रमुख गवर्नर जनरल तथा वायसराय

 भारत के प्रमुख गवर्नर जनरल तथा वायसराय

ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 1757 ई. से 1772 ई. तक बंगाल में 4 गवर्नरों की नियुक्ति की

1773 ई. के रेगुलेटिंग एक्ट के तहत बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल बना दिया गया तथा मद्रास और बम्बई के गवर्नरों को उसके अधीन कर दिया गया

बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल

1774 ई. में बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल बनने का सौभाग्य वारेंग हेग्स्टिंग को प्राप्त हुआ

भारत में 1833 ई. में चार्टर एक्ट के प्रावधानों के अनकूल बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया

भारत का प्रथम गवर्नर

भारत का प्रथम गवर्नर बनने का सौभाग्य लार्ड विलियम वेंटिक को प्राप्त हुआ

अधिनियम 1858के द्वारा गवर्नर जनरल को वायसराय की उपाधि दी गई तत्पश्चात ये पद इसी नाम से पुकारा जाने लगा

भारत का प्रथम वायसराय

भारत का प्रथम वायसराय बनने का सौभाग्य लार्ड केने को प्राप्त हुआ ये पराधीन भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था

कम्पनी ने 1772 ई. तक क्लाइव, परिलर्स, कर्टियर और वांरेंग हेंगिस्टिंग की नियुक्ति गवर्नर के तौर पर की लेकिन इनमें क्लाइव और वारेंग हेग्स्टिंग की ही प्रमुख थे

राबर्ट क्लाइव

 राबर्ट क्लाइव बंगाल का पहला गवर्नर था ये 1757 से 1760 तक तथा फिर 1765 से 1766 तक बंगाल का गवर्नर रहा

1765 ई. में अवध के नबाब शिजाउदौला एवं शाह आलम के साथ इलाहबाद की संधि की

मुगल बादशाह शाह आलम ने बंगाल, बिहार व उडीसा की दीवानी का अधिकार 1765 में कम्पनी को दिया

1765 ई. में बंगाल में द्वैत शासन का प्रारम्भ किया

1766 ई. में उसने घोषणा की कि दोहरी सत्ता उन सेना अधिकारियों को दी जायेगी जो बंगाल और बिहार सीमा क्षेत्र के बाहर सेवा दे रहे है

हालवेल का शासन1760 पेंटेटार्ट का शासन1760 से1765 तक रहा

1764 का बक्सर का युध्द इसी गवर्नर जनरल के शासन काल में लडा गया

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