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इस्लाम का अभ्युदय एवं प्रसार

 7वीं शताब्दी ई० में पश्चिमी अरब व्यापारिक मार्ग पर काफिलों के एक शहर मक्का का उदय हुआ।

कुरैश नामक जनजाति ने उस काल में मक्का पर अपना प्रभुत्व जमा रखा था। 

मक्का में ही अरबों का सर्वप्रमुख धार्मिक केन्द्र काबा स्थित था।

इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब का जन्म 570 ई० में मक्का के कुरैश बानू हाशिम वंश में हुआ था।

हजरत मुहम्मद की माता का नाम अमीना तथा पिता का नाम अब्दुल्ला था।

हजरत मुहम्मद ने खदीजा नामक एक विधवा से विवाह किया।

इस्लाम के पाँच प्रसिद्ध स्तंभ


अल्लाह के अंतिम दूत के रूप में पैगम्बर मोहम्मद को मान्यता।

कुरान की ईश्वर के अंतिम एवं अटल सत्य के रूप में मंजूरी। 

काबा की ओर मुँह करके दिन में पाँच बार नमाज अदा करना। 

मुस्लिम समाज के कल्यानार्थ जकात का दान करना।

रमजान के महीने में उपवास एवं मक्का की यात्रा करना।

हजरत मुहम्मद साहब को मक्का के पास हिरा नामक एक गुफा में 610 ई० में ज्ञान की प्राप्ति हुई।

उपरोक्त गुफा में देवदूत ने हजरत मुहम्मद साहब को स्वप्न में दर्शन दिया एवं उन्हें संबोधित कर ज्ञान प्रदान किया। 

उपरोक्त घटना को इस्लामी परम्पराओं रहस्य को उद्घटित करने वाला पहला संबोधन कहा गया है।

मुहम्मद द्वारा प्राप्त संबोधनों को पवित्र ग्रंथ कुरान में संकलित किया गया है। 

कुरान एवं हदीस (मुहम्मद साहब की उक्तियाँ) इस्लाम के ज्ञान के लिए प्रमुख स्रोत के रूप में स्थापित हैं।

622 ई० में मक्का से मदीना तक पैगम्बर द्वारा की गई यात्रा को इस्लाम जगत में हिजरी संवत् का आरंभ माना जाता है। 

हजरत मुहम्मद साहब ने पैगम्बरवाद के दावे को स्थापित करने के लिए बद्र के युद्ध में पहली बार तलवार उठायी। यह घटना इस्लामिक इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। 

धीरे-धीरे अरब की विभिन्न जनजातियों ने पैगम्बर के विचारों की श्रेष्ठता स्वीकार कर ली।

 इस्लाम द्वारा अरब के पूज्य चिन्हों का अपने अंदर समावेश किया गया एवं इस धर्म ने यहूदी एवं ईसाई धर्मों से एक दूरी बना ली। 

8 जून 632 ई० को हजरत मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात उन्हें मदीनां में दफनाया गया। 

देवदूत जिबराईल/गैब्रियल ने कुरान अरबी भाषा में हजरत मुहम्मद को संप्रेषित की। 

मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात् इस्लाम का शिया एवं सुन्नी में विभाजन हो गया। । 

जो सुन्नी मत (पैगम्बर के कथनों एवं कार्यों का विवरण) में विश्वास करते हैं वे ‘सुन्नी’ तथा शिया समुदाय अली हुसैन (पैगम्बर के दामाद) की शिक्षाओं को मानता है।

विश्राम दिवस, इस्लाम के अनुसार शुक्रवार को निर्धारित हुआ तथा ‘तुरही’ एवं ‘घड़ियालों’ की आवाज की जगह अजान (प्रार्थना की पुकार) ने ले ली। 

रमजान पवित्र महीना घोषित हुआ एवं किबला (प्रार्थना के दौरान मुख) की दिशा येरूशलम के स्थान पर मक्का की ओर निर्धारित हुआ।

अल्प समय में ही इस्लाम का प्रसार उत्तर अफ्रीका, आइबेरिया प्रायद्वीप से ईरान एवं भारत तथा उसके आगे तक हुआ। 

पैगम्बर मुहम्मद साहब के उत्तराधिकारियों को खलीफा कहा गया। तुर्की के मुस्तफा कमाल पाशा ने 1924 में यह पद समाप्त कर दिया।

ईद-ए-मिलाद-उन-नबी नामक लोकप्रिय त्यौहार मुहम्मद पैगम्बर के जन्म-दिन पर मनाया जाता है।

 सर्वप्रथम पैगम्बर साहब की जीवनी लिखने श्रेय इब्‍न ईशाक को प्राप्त है।

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