विषय सूची
अकबर का परिचय
अकबर का राज्यभिषेक
पानीपत का द्वतीय युध्द
पेटीकोट शासन क्यों कहा जाता है
हल्दीघाटी का युध्द
फतेहपुर सीकरी की स्थापना
दक्षिण विजय
दीन-ए-इलाही धर्म
अकबर के काल में रची गई रचना
अकबर के दरबार के नौ रत्न / उपाधियाँ
तानसेन का परिचय
अकबर की शासन व्यवस्था
अकबर की मृत्यु
बीरबल की मृत्यु
अकबर की सामाजिक नीति
अकबर कालीन कला
इमारतें
अकबरकालीन प्रमुख चित्रकार/कलाकार
Most Important Facts
अकबर द्वारा किये गये कुछ महत्वपूर्ण कार्य
ऐतिहासिक सृजन
अकबरकालीन अनुवाद विभाग
अकबर का परिचय
अकबर का जन्म 15 अक्टूबर 1542 ई. में हुमायुँ के प्रवास के दौरान अमर कोट में राणा वीरसाल के महल में हुआ था
अकबर की माँ का नाम हमीदा बानो बेगम था अकबर के बचपन का नाम बदरूद्दीन था
अकबर का राज्यभिषेक
अकबर का राज्यभिषेक 1556 ई. में बैरम खां के संरक्षण में कलानोर में हुआ था 1560 ई. तक अकबर ने बैरम खां के संरक्षण में कार्य किया और बैरम खां को वकील नियुक्त किया गया
पानीपत का द्वतीय युध्द
सिहासन पर बैठते ही अकबर ने बैरम खां की सहायता से 1556 ई. मे पानीपत के द्वतीय युध्द में हेमू विक्रमादित्य को हराया
1561 में अकबर ने बैरम खां के संरक्षण से मुक्त होकर अपने पहले सैन्य अभियान में मालवा के शासक बाज बहादुर को पराजित किया
पेटीकोट शासन क्यों कहा जाता है
1560 से 1564 तक का जो शासन काल है उसे पेटीकोट शासन के नाम से जाना जाता है क्योंकि उस समय अकबर की धाय माँ महामअनगा उनका शासन में विशेष दखल था
उजबेग मिर्जाओं तथा यूसफजाईयों का विद्रोह
1564 में अकबर ने जजिया कर को समाप्त कर दिया और अकबर के समय मे एक उजबेग मिर्जाओं तथा यूसफजाईयों का विद्रोह हुआ था
गुजरात विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालीयों से मिला और यहीं सर्वप्रथम उसने समुद्र को देखा था
हल्दीघाटी का युध्द
1576 ई. के हल्दीधाटी के प्रसिध्द युध्द में अकबर के सेनापति राजामान सिंह ने मेवाड के शासक महाराजा प्रताप को पराजित किया
फतेहपुर सीकरी की स्थापना
1571में अकबर ने आगरा से 36 किलो मी. दूर फतेहपुर सीकरी नामक नगर की स्थापना की और उसमें प्रवेश के लिए बुलंद दरवाजा बनवाया बुलंद दरवाजा अकबर द्वारा गुजरात जीतने के पर बनवाया
फतेहपुर सीकरी में इबादत खाने की स्थापना
अकबर ने फतेहपुर सीकरी में धार्मिक परिचर्चा हेतु इबादत खाने की स्थापना 1575 में की जहाँ पर शुरू में तो सिर्फ मुस्लिम धर्म के अनुयायी आते थे किंतु बाद में 1578 से सभी धर्मो के अनुयायी आने लगे
दक्षिण विजय
दक्षिण विजय के अंतर्गत अकबर ने खानदेश, दौलताबाद, अहमद नगर, असीरगढ आदि को जीता
दीन-ए-इलाही धर्म
1582 में अकबर ने सभी धर्मो के उत्तम सिध्दांतों को लेकर दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की
दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अंतिम हिंदू बीरबल था
अकबर के राज कवि फैजी ने भी दीन-ए-इलाही को स्वीकार किया था
अकबर के काल में रची गई रचना
जैन विद्वान परम सुंदर ने ‘अकबरशाही’, ‘श्रृंगार दर्पण’ तथा सिध्दचंद्र ने ‘भानुचंद्र चरित’ की रचना की है
अबुल फजल ने ‘आईने-अकबरी’ और ‘अकबरनामा’ की रचना की
अकबर ने महाभारत का फारसी भाषा में ‘रज्जा’ नाम से अनुवाद कराया
पंचतंत्र का अनुवाद अबुल फजल ने ‘अनुवाद-ए-सुहैरी’ नाम से किया
अकबर के दरबार के नौ रत्न / उपाधियाँ
अकबर के दरबार में नवरत्न नाम से नौ प्रसिध्द व्यक्ति थे पहले बीरबल, मानसिंह, फैजी, टोडरमल, अब्दुल रहीम खानेखाना, (यह बैरम खां के पुत्र थे बैरम खां की मृत्यु के बाद बैरम खां की विधवा से अकबर ने शादी की तथा अब्दुल खानेखाना को खानेखाना की पद्वी तक पहुँचाया ) अबुल फजल, भगवान दास, तानसेन, मुल्ला दो प्याजा (इन्हें खाने में दो प्याज पसंद थी इसलिए अकबर ने इनके नाम के आगे दो प्याजा लगा दिया) Note:अकबर के दरबारियों में रसोई घर के प्रधान हकीम हुमाम को उसकी इमानदारी के लिए नवरत्न में शामिल किया गया।
अकबर ने संगीत सम्राट तानसेन को कण्ठाभरण वाणी-विलास की उपाधि से सम्मानित किया।
अकबर सहित संपूर्ण मुगल साम्राज्य की राजभाषा ‘फारसी’ थी।
अकबर द्वारा भगवानदास को अमीर-उल-उमरा तथा बीरबल को कविप्रिय की उपाधियाँ प्रदान की गईं।
अकबर ने ‘नरहरि’ को महापात्र, ‘अब्दस्समद’ को शीरी कलम तथा ‘मुहम्मद हसैन कश्मीरी’ को जड़ी कलम की उपाधियों से सम्मानित किया।
तानसेन का परिचय
तानसेन को अकबर ने कण्ठाभरवाणी की उपाधि दी तानसेन का मकबरा ग्वालियर में स्थित है तांसेन का मूल नाम रामतनु पांडे था
अकबर की शासन व्यवस्था
तहशाला व्यवस्था को लागू करने के लिए अकबर के समय में करोडी (जिलाधिकारी) की नियुक्ति की गई
मुगल काल में मनसबदारी की प्रथा अकबर ने प्रारम्भ की
अकबर की मृत्यु
अकबर की मृत्यु 1605 में हुई अकबर के मकबरे का निर्माण जहांगीर द्वारा आगरा के निकट सिकंदरा नामक स्थान पर कराया गया
बीरबल की मृत्यु
यूसफजईयों का विद्रोह दबाने के लिए बीरबल को भेजा और वहाँ बीरवल की मृत्यु हो गई
अकबर की सामाजिक नीति
अकबर जजिया कर समाप्त किया, तीर्थ यात्रा कर समाप्त किया, वजीर मुजफ्फर खां को नियुक्त किया
ये कृष्ण जन्माष्टमी पर भी भाग लेता था और किसी की मृत्यु हो जाने पर इसने मुंडन प्रथा का भी प्रचलन कराया यह बहुत ही धर्म सहिष्णु शासक था
अकबर ने दास प्रथा का अंत किया, बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया, विधवा विवाह प्रोत्साहित किया, बाल विवाह रोकने की चेष्ठा की, अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन दिया, सतीप्रथा पर प्रतिबंध लगाया, वैश्याओं को नगर से बाहर शैतानपुरी में बसाया, अकबर गुरुवार के दिन न्याय कार्यो को देखता था
सूफी संत सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन थे
अकबर कालीन कला
अकबर ने चित्रकारी का नया विभाग बनाया इसका प्रधान ख्वाजा अब्दुस्समद को नियुक्त किया व उसे शीरी कलम की उपाधि प्रदान की अकबर के दरबार में 17 या 15 चित्रकारों में से 13 हिंदू थे
अकबर ने सिकंदरा में अपना मकबरा बनवाया, आगरा में लाल किले का निर्माण कराया, फतेहपुर सीकरी में दीवाने आम, दीवाने खास, जोधाबाई का महल, बुलंद दरवाजा, शेख सलीम चिश्ती के मकबरे आदि का निर्माण कराया
इमारतें
अकबर ने आगरे के किले के भीतर 500 इमारतों का निर्माण कराया। अकबर-कालीन उत्कृष्ट स्थापत्य के कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नवत हैं –
हुमायूँ का मकबरा – दिल्ली
लाल किला – आगरा
अकबरी महल, जहाँगीरी महल – आगरा
लाहौर का किला- लाहौर
मुहाफिज खाना – फतेहपुर सीकरी
दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास – फतेहपुर सीकरी
खजाना महल, पंचमहल – फतेहपुर सीकरी
महारानी मरीयम का महल – फतेहपुर सीकरी
जोधाबाई का महल, बीरबल का महल – फतेहपुर सीकरी
सम्राट का शयन-कक्ष एवं पुस्तकालय – फतेहपुर सीकरी
बुलंद दरवाजा – फतेहपुर सीकरी
जामा मस्जिद – फतेहपुर सीकरी
सलीम चिश्ती की दरगाह – फतेहपुर सीकरी
चालीस खंभों का महल – इलाहाबाद
अकबर ने सुदृढ़ दुर्गों का निर्माण अटक एवं इलाहाबाद में भी करवाया।
बुलंद दरवाजे की ऊँचाई पास की भूमि से 134 फीट और उसकी सीढ़ियाँ 42 फीट हैं। कुल मिलाकर यह 176 फीट ऊँचा है।
अकबरकालीन प्रमुख चित्रकार/कलाकार
प्रमुख विदेशी चित्रकार-अब्दुस्समद, मीर सयद अली, फारूख बेग, खशरू, कुवीज एवं जमशेद आदि।
प्रमुख देशी चित्रकार-यशवंत,बसावन, सावलदास, ताराचंद, जगन्नाथ लाल, केशू, मुकुंद तथा हरिवंश आदि
आइन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर के दरबार में 100 उच्च कोटि के तथा अनेक निम्न कोटि के चित्रकार थे।
आइन-ए-अकबरी में अकबर कालीन 36 प्रसिद्ध गायकों के नाम उल्लिखित हैं, जिनमें बाजबहादुर, तानसेन, रामदास एवं बैजू बावरा आदि अत्यंत प्रसिद्ध गायक हुए।
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Most Important Facts
23 नवंबर, 1542 ई० को अमरकोट में राणा वीरसाल के महल में मुगलवंश के महानतम शासक जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर का जन्म हुआ।
पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर 14 फरवरी, 1556 ई० को अकबर के संरक्षक बैरम खाँ ने अकबर का राज्याभिषेक कराया।
राज्याभिषेक के पश्चात अकबर को जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाह गाजी के नाम से संपूर्ण भारत का सम्राट घोषित किया गया।
अकबर ने हेमू को पानीपत के दूसरे युद्ध में 1556 ई० में पराजित कर आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
1556-60 ई० की अवधि तक अकबर का संरक्षक रहने के उपरांत बैरम खाँ की मक्का की तीर्थयात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर हत्या कर दी गई।
18 जून, 1576 ई० को हल्दी घाटी के प्रसिद्ध युद्ध में अकबर की सेना ने मेवाड़ के महाराणा प्रताप की सेना को पराजित कर दिया।
महाराणा प्रताप का 1599 ई० में निधन हो गया। अकबर ने ग्वालियर (1559 ई०), जौनपुर (1560 ई०) एवं चुनार (1561 ई०) को जीतकर मुगल साम्राज्य में मिला लिया।
उपरोक्त के अतिरिक्त अकबर की विजयों में मालवा (1561-72ई०), गुजरात (1572-84ई०), बिहार, बंगाल एवं उड़ीसा (1574-76 ई०), काबुल (1585 ई०), कश्मीर (1586 ई०), सिंध (1591 ई०), बलुचिस्तान (1595 ई०), कन्धार (1590), राजस्थान (1562-76ई०), कालिंजर (1569ई०), गोंडवाना (1564ई०),अहमदनगर (1600 ई०) आदि प्रमुख थे।
गुजरात विजय के दौरान अकबर को पुर्तगालियों से मिलने एवं पहली बार समुद्र देखने का अवसर मिला।
दीन-ए-इलाही नामक एक नवीन धर्म का प्रतिपादन अकबर ने किया जिसमें सभी धर्मों के अच्छे तत्वों का समावेश था। परंतु, यह धर्म भी अशोक के धम्म की तरह अधिसंख्य लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में असफल रहा।
अकबर द्वारा किये गये कुछ महत्वपूर्ण कार्य
दास-प्रथा की समाप्ति- 1562 ई०,
हरमदल से मुक्ति – 1562 ई०,
तीर्थयात्रा कर की समाप्ति- 1563 ई०,
‘जजिया’ की समाप्ति- 1564 ई०,(NCERT के अनुसार 1579 ई०)
फतेहपुर सिकरी स्थापित हुई तथा राजधानी आगरा से यहाँ स्थानांतरित हुई-1571 ई०,
इबादतखाना की स्थापना- 1575 ई०,
सभी धर्मों के लोगों को इबादतखाने में प्रवेश करने की अनुमति- 1578 ई०,
मजहर घोषित हुआ- 1579 ई०,
दीन-ए-इलाही की घोषणा- 1582 ई०,
इलाही संवत् की शुरूआत- 1583 ई०,
राजधानी का लाहौर स्थानांतरण-1585 ई०,
बीरबल दीन-ए-इलाही का अनुयायी बनने वाला एकमात्र हिंदू था।
जैन आचार्य हरिविजय सूरी को अकबर द्वारा जगद्गुरु की उपाधि प्रदान की गई।
1580 ई० में अकबर के दीवान टोडरमल द्वारा दहसाला बंदोस्त व्यवस्था लागू की।
प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुसमद एवं संगीतकार तानसेन अकबर के दरबार के रत्नों में थे।
प्रशासन में अकबर ने मनसबदारी प्रथा लागू की।
सूफी संत शेख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन थे।
अकबर ने अबुल फजल के बड़े भाई फैजी को राजकवि के पद पर आसीन किया। वह तौहिद-ए-इलाही (दीन-ए-इलाही) का एक बड़ा समर्थक था।
अकबर ने टोडरमल को ‘राजा’ की उपाधि से विभूषित किया एवं अपने प्रशासन में प्रधानमंत्री (1582 ई० में) के पद पर नियुक्त किया।
टोडरमल ने दीन-ए-इलाही को मानने से इंकार कर दिया। अबुल फजल सूफी संत शेख मुबारक का पुत्र था। वह अकबर का मुख्य सचिव रहा, वह अपनी विद्वता के लिए प्रसिद्ध था।
ऐतिहासिक सृजन
अकबरनामा (अबुल फजल)
आइन-ए-अकबरी (अबल फजल)
अकबरनामा (फैजी).अहसान-उत-त्वारीख (रुमल)
मुंतखाब-उत-त्वारीख (बदायूंनी)
तबकात-ए-अकबरी (निजामुद्दीन बख्शी)
तारीख-ए-मुहम्मद (हाजी मुहम्मद आरिफ)
लुबउत-त्वारीख (मीर यहया)
तारीख-ए-अलफी (मुल्ला अहमद)
तोहफा-ए-अकबरशाही (अब्बास खाँ शेरवानी)
नफाइस-उल-मासिर (अल्लाउद्दौल काजवीनी)।
अकबरकालीन अनुवाद विभाग
मुस्लिम शासन में ऐतिहासिक एवं साहित्यिक रचनाओं के अनुवाद की दृष्टि से फिरोज तुगलक का शासनकाल महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। परतु, इस क्षेत्र में अकबर का योगदान सवाधिक प्रशंसनीय है। उसने एक अनुवाद विभाग (Trans lationDepartment) की स्थापना की तथा इसमें विभिन्न भाषाओं की उत्कृष्ट रचनाओं का फारसी में अनुवाद करने के लिए विद्वानों की एक टोली नियुक्त की जिन्होंने निम्न रचनाएँ की –
महाभारत का अनुवादित ग्रंथ रज्मनामा के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
रज्मनामा की रचना नकीब खाँ, मुल्ला अब्दुल कादीर, सुल्तान थानेसारी, मुल्ला शेरी एवं फैजी के संयुक्त सर्वेक्षण में हुआ।
रामायण का अनुवाद नकीब खाँ, मुल्ला अब्दुल कादिर तथा सुल्तान थानेसारी द्वारा किया गया।
अथर्ववेद का फारसी अनुवाद हाजी इब्राहिम सरहिंदी ने किया।
गणित की संस्कृत भाषा में रचित उत्कृष्ट रचना लीलावती का फारसी अनुवाद फैजी ने किया।
ज्योतिष की प्रसिद्ध रचना ताजक (संस्कृत) का फारसी अनुवाद मुहम्मद खाँ ने किया
फारसी भाषा में अनुवादित कुछ और ग्रंथ एवं उनके अनुवादक निम्नवत हैं,
हरिवास-मुल्ला शेरी |
नलदमयंती-फैजी।
सिंहासन बत्तीसी-मुल्ला अब्दुला कादिर।
पंचतंत्र-बदायुनी।
राजतरंगिणी-अबूल फजल।
बाइबिल-बदायुनी।
फारसी-संस्कृत शब्दकोष-कृष्णदास।
अबल फजल ने फारसी में कालिया दमन का अनवाद आधार दानिश के नाम से किया।
आइन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर के दरबार में 100 उच्च कोटि के तथा अनेक निम्न कोटि के चित्रकार थे।
आइन-ए-अकबरी में अकबर कालीन 36 प्रसिद्ध गायकों के नाम उल्लिखित हैं, जिनमें बाजबहादुर, तानसेन, रामदास एवं बैजू बावरा आदि अत्यंत प्रसिद्ध गायक हुए।
1605 ई० में अकबर की मृत्यु हो गयी।
अकबर की मृत्यु के पश्चात उसके पुत्र जहाँगीर का 5 नवंबर, 1605 को आगरा में राज्याभिषेक हुआ।
जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त, 1569 को हुआ था।
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