गयासुद्दीन तुगलक (तुगलक वंश का संस्थापक) | Gayasuddin Tuglaq History in Hindi
ग्यासुद्दीन तुगलक ने 1320 ई0 में नसिरुद्दीन खुसरव की हत्या करके तुगलक वंश की स्थापना की यह उस समय लाहौर के निकट दीपालपुर का गवर्नर था
गाजी मलिक का दूसरा नाम ग्यासुद्दीन तुगलक था गाजी का अर्थ होता है – “काफिरों का संहारक” (जो धर्म नहीं मानते उनकी हत्या करने वाला)
दिलली सल्तनत पर शासन करने वाला यह तीसरा वंश था
गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नामक नगर की स्थापना की
गयासुद्दीन के पुत्र का नाम जौन खाँ (मुहम्म्द बिन तुगलक)था जिसे उलूग खाँ की उपाधि प्रद्न की गयी
फरिश्ता के अनुसार, गाजी मलिक के पिता कुतुलुग गाजी थे बाद में कुतुलुग शब्द अपभ्रंश होते-होते तुगलक हो गया और ये अपने नाम के आगे तुगलक लिखने लगे
ग्यासुद्दीन तुगलक दिन में दो बार सुबह-शाम दरबार लगाता था
ग्यासुद्दीन तुगलक पहला ऐसा सुल्तान था जिसने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण कराया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने डाक व्यवस्था को सुदृढ बनाया
ग्यासुद्दीन तुगलक ने असैनिक पदाधिकारियों को जागीर देने की प्रथा पुन: शुरु की
अमीर खुसरो के अनुसार, ग्यासुद्दीन तुगलक एक विद्वान शासक था
गयासुद्दीन के समय में दिल्ली सल्तनत के आय के स्त्रोत निम्न थे
जजिया – यह मुसलमानों से लिया जाने वाला वैयक्तिक कर था
जकात – मुसलमानों द्वारा अपने सम्पत्ति का कुछ हिस्सा दान करना जकात कहलाता है
खुम्स – यह गैर मुसलमानों से लिया जाने वाला कर था जो लोग मुसलमान नही थे वह ये कर अदा करते थे
खम्स – लूट में प्राप्त धन खुम्स कहा जाता था
उश्र – यह एक प्रकार का कृषि कर था
गयासुद्दीन तुगलक का प्रसिध्द चिश्ती संत निजामुद्दीन औलिया के साथ कटुतापूर्ण संबंध थे
एक बार जब गयासुद्दीन बंगाल विजय अभियान पर गया, तब वहाँ से लौटते वक्त तुगलकी फरमान भिजवाया कि मेरे दिल्ली मे प्रवेश के पूर्व ही निजामुद्दीन औलिया दिल्ली छोड कर चले जाये ,यह सुनकर निजमुद्दीन औलिया ने कहा था- ‘हनूज-ए-दिल्ली दूरस्थ’ (अर्थात दिल्ली अभी दूर है) संयोग कुछ ऐसा रहा दिल्ली में प्रवेश करने से पहले सुल्तान जब अफगानपुर नामक गाँव में विश्राम कर रहा था, तो लकडी की छत गिर जाने के कारण सुल्तान की मृत्यु हो गयी और वह दिल्ली नही पहुँच सका
इब्नबतुता के अनुसार, गयासुद्दीन की मृत्यु का कारण उसके पुत्र मोहम्मद बिन तुगलक (जौन खाँ) का षडयंत्र था
ग्यासुद्दीन तुगलक को उस ही के द्वारा तुगलकाबाद में बनबाये गये कब्र में दफना दिया गया
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