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मुहम्मद बिन तुगलक | Muhammad Bin Tuglaq History in Hindi

 विषय सूची


मुहम्मद बिन तुगलक | Muhammad Bin Tuglaq History in Hindi

मुहम्मद बिन तुगलक को उसकी कुछ योजनाओ की वजह से बुध्दिमान मूर्ख राजा कहा जाता था

मोहम्मद बिन तुगलक के अन्य कार्य 

मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 

मुहम्मद बिन तुगलक | Muhammad Bin Tuglaq History in Hindi

मुहम्मद बिन तुगलक का मूल नाम जौन खाँ था इसने उलूग खाँ की उपाधि धारण की यह गयासुद्दीन तुगलक का पुत्र था, मुहम्मद बिन तुगलक का नाम कई संज्ञाओं से जोडा गया जैसे ”अंतर्विरोधों का विस्मयकारी मिश्रण” “रक्त का प्यासा व परोपकारी” आदि


मुहम्मद बिन तुगलक का शासन काल (1325 से 1351 तक) चला

दिल्ली सल्तनत के विद्वानो मे मुहम्मद बिन तुगलक सबसे विलक्ष्ण वाला व्यक्ति था राज मुंदरी अभिलेखों में उसे दुनिया का खान कहा गया

यह अरबी फारसी का महान विद्वान तथा ज्ञान विज्ञान व विभिन्न विधाओ में जैसे खगोलशास्त्र, दर्शन, गणित, चिकित्सा, तर्कशास्त्र आदि में पारंगत था

मोहम्मद बिन तुगलक को पागलो का बादशाह व इस्लामी जगत का सबसे अधिक विद्वान मूर्ख कहा जाता था

एलफिस्टन के अनुसार मुहम्म्द बिन तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था

डा0 आशीर्वाद लाल श्रीवास्तव के अनुसार इसमे विरोधी तत्वो का मिश्रण था

डा0 ईश्वर प्रसाद कहते है दिल्ली के सिहासन को सुशोभित करने वाले शासको में वह सर्वाधिक विद्वान व सुसंस्कृत शासक था

ये पहला ऐसा शासक था जो अजमेर में शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर और बहराइच मे गया

इब्नबतूता जो अफ्रिका से आया था उसका मुहम्मद बिन तुगलक ने खूब स्वागत किया तथा दिल्ली का काजी नियुक्त किया व अपना दूत बनाकर चीन भेजा

इब्नबतूता ने इसके बारे में कहा है सुल्तान की सबसे बडी विशेषता दानशीलता और दयालुता थी

यह धर्म सहिष्णु शासक था यह पहला ऐसा सुल्तान था जिसने हिन्दुओं के सभी धार्मिक त्योहारों होली, दशहरा आदि पर्वो में भाग लिया करता था

मोहम्मद बिन तुगलक लोगो की प्रशासनिक पदो पर नियुक्ति करते समय जाति, धर्म, उच्च, निम्न यह नहीं देखता था वह योग्यता के आधार पर नियुक्ति करता था

इसके दरबार में जैन धर्म के दो प्रसिध्द विद्वान राजशेखर व जिन्नप्रभा सूरी भी रहते थे

इसने इंशा-ए-महरु नामक पुस्तक की रचना की

मुहम्मद बिन तुगलक को उसकी कुछ योजनाओ की वजह से बुध्दिमान मूर्ख राजा कहा जाता था

सबसे पहले इसकी योजना थी राजधानी परिवर्तन इसने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी स्थानांतरित कर दी तथा देवगिरी (महाराष्ट्र) का नाम दौलताबाद रखा

उसकी राजधानी परिवर्तन की योजना विवाद का विषय मानी जाती है इसके बारे में दो मत है जियाउद्दीन बरनी के अनुसार, देवगिरी साम्राज्य के केंद्र में था इसलिए उसने राजधानी परिवर्तन किया जबकि इब्नबतूता ने अपनी रचना रहेला में बताया है कि दिल्लीवासी सुल्तान को अक्सर गाली भरे पत्र लिखा करते थे इसलिए मोहम्म्द तुगलक ने उनको सजा देने के लिए राजधानी परिवर्तन किया किंतु उसकी यह योजना असफल रही बाद में उसने देवगिरी से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित की इससे दिल्ली की प्रतिष्ठा भी कम हुई तथा प्रशासन तंत्र के साथ राजकोष पर भी बुरा प्रभाव पडा

इसकी दूसरी असफल योजना सांकेतिक मुद्रा प्रचलन था उस समय चाँदी का सिक्का टंका व तांबे का सिक्का जीतल चलता था उसने अंतराष्ट्रीय स्तर पर चाँदी के आभाव का सामना करने के लिए सांकेतिक मुद्रा का प्रयोग किया यह मुद्रा किस धातु की थी यह एक विवाद का विषय है बरनी ने इसे ताँबे का, व फरिश्ता ने पीतल या कांसे का बताया है जहाँ अन्य सिक्को पर अरबी भाषा में अभिलेख खुदे होते थे वही सांकेतिक मुद्रा पर अरबी फारसी दोनों भाषाओं में अभिलेख खुदे होते थे

मोहम्मद बिन तुगलक से पहले चीन के कुबलई खाँ और ईरान के गयावतू खां के द्वारा सांकेतिक मुद्रा को चलाया गया इनमें कुबलई खां की योजना सफल रही कुबलई खा द्वारा चलाई गई सांकेतिक मुद्रा को ‘चाऊ’कहा जाता था टॉमस ने मोहम्मद बिन तुगलक को मुद्रा निर्माताओ का राजकुमार तथा ब्राउन ने उसे इतिहास का सबसे चालाक राजा कहा है

मुहम्मद बिन तुगलक ने खुरासान क्षेत्र जो अफगानिस्थान का क्षेत्र था उसमे विजय अभियान की योजना बनाई और यह समय से पहले असफल हो गयी वहाँ पर विद्रोह चल रहा था व ये वहाँ जा कर कब्जा करना चाहते था इसके जाने से पहले वहाँ सुलह हो गयी और इनकी यह योजना भी असफल हो गई

इनकी एक योजना 1333-1334 में कराचिल अभियान जिसका उद्देश्य उन पहाडी राज्यो को अपनी अधिनता में लाना था, जहा अधिकांश विरोधी शरण लिए हुए थे इसकी वजह से सीमावर्ती क्षेत्र असुरक्षित हो जाता था कुछ विद्वानो के अनुसार कराचिल कुल्लू तथा कांगडा के मध्य था व कुछ विद्वानो के अनुसार गढवाल व कुमायू के बीच था सही समय का चयन ना होने के कारण यह योजना भी असफल हो गयी

मोहम्मद बिन तुगलक ने दोआब क्षेत्र में कर बृध्दि कर दी इसी समय दोआब में सूखा व अकाल पड गया व किसानो और जमींदारों ने इसका विरोध किया सुल्तान की यहा योजना भी असफल रही

मोहम्मद बिन तुगलक के अन्य कार्य 

मोहम्मद बिन तुगलक ने कुएं खोदने बीज तथा हल खरीदने के लिए कृषि ऋण दिया

मोहम्मद बिन तुगलक ने दीवाने-अमीर कोही नामक एक कृषि विभाग की स्थापना की

मोहम्मद बिन तुगलक के समय में लगान के रूप में उत्पादन का ½ भाग वसूला जाता था

मोहम्मद बिन तुगलक ने सिक्को पर अपने पिता तथा मिस्त्र के खलीफा का नाम अंकित करवाया

 मोहम्मद बिन तुगलक ने सतपलाह बाँध ,बिजली महल व तुगलकाबाद के समीप एक आदिलाबाद नामक दुर्ग बनबाया

 मोहम्मद बिन तुगलक शेख फरीदुद्दीन शंकर-ए-गज के पौत्र शेख अलाउद्दीन का शिष्य था उसने शेख निजामुद्दीन औलिया के कब्र पर मकबरे का निर्माण कराया

मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 

थट्टा (सिंध के क्षेत्र में स्थित) मे हुए एक विद्रोह के दमन के दौरान मोहम्मद बिन तुगलक बीमार पड गया और 20 मार्च 1351 ई0 में उसकी मृत्यु हो गयी

उसकी मृत्यु पर अब्दुल कादिर बदायुनी के अनुसार “सुल्तान को प्रजा से और प्रजा को सुल्तान से मुक्ति मिल गयी

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