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आईसीएसएसआर की फेलोशिप

 रुचिकर और आसानी से पढ़ा जा सकने के कारण सोशल साइंस की लोकप्रियता बनी हुई है। इस क्षेत्र में अवसरों की भी कमी नहीं है। सोशल साइंस में पीएचडी करनी हो तो, आईसीएसएसआर (इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च) की डॉक्टरल फेलोशिप अवार्ड से काफी सुविधा हो सकती है। जिसके पास इस फेलोशिप को प्राप्त करने की योग्यता है, उन्हें इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए।

रुचिकर और आसानी से पढ़ा जा सकने के कारण सोशल साइंस की लोकप्रियता बनी हुई है। इस क्षेत्र में अवसरों की भी कमी नहीं है। सोशल साइंस में पीएचडी करनी हो तो, आईसीएसएसआर (इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च) की डॉक्टरल फेलोशिप अवार्ड से काफी सुविधा हो सकती है। जिसके पास इस फेलोशिप को प्राप्त करने की योग्यता है, उन्हें इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च अवॉर्ड ऑफ डॉक्टरल फेलोशिप दो वर्ष के लिए प्रदान किया जाता है। आईसीएसएसआर के कुल 33 संस्थानों में इस पीएचडी प्रोग्राम का संचालन होता है। आईसीएसएसआर की स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी। यह एक स्वायत्त संस्था है, जो कि मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन कार्य करती है। इसका कार्य सोशल साइंस रिसर्च प्रोग्राम/ प्रोजेक्ट को प्रायोजित करना, व्यक्ति और संस्था को सोशल साइंस के क्षेत्र में रिसर्च के लिए ग्रांट देकर प्रोत्साहित करना, रिसर्च के क्षेत्र में सेमीनार, वर्कशॉप्स व स्टडी ग्रुप को वित्तीय मदद देना है।

योग्यता
कुछ जरूरी योग्यताएं, जो इस डॉक्टरल फेलोशिप अवार्ड को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य हैं,  वे हैं- सोशल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री (न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ), नेशनल एबिलिटी टेस्ट यानी नेट (जूनियर रिसर्च फेलोशिप/लेक्चररशिप /एम फिल/) क्लियर किए हों या किसी रेप्यूटेड  सोशल साइंस जरनल में दो रिसर्च लेख प्रकाशित हुए हों तथा पीएचडी प्रोग्राम में पंजीकृत हों।
फेलोशिप के लिए आवेदन करने की अधिकतम उम्र सीमा 35 वर्ष है। आरक्षण की श्रेणी के दायरे में आने वाले उम्मीदवार को सरकारी नियमानुसार अधिकतम उम्र सीमा में छूट मिल सकती है। पहले से ही किसी नियमित पद (रेगुलर पोस्ट) पर कार्यरत कैंडिडेट के लिए अधिकतम उम्र सीमा 45 साल रखी गयी है।

स्कॉलरशिप और सुविधाएं
चयनित कैंडिडेट को इस फेलोशिप के अंतर्गत छह हजार रुपये प्रति माह प्रदान किए जाते हैं। बिना नेट उत्तीर्ण कैंडिडेट को एक हजार रूपये कम यानी पांच हजार रुपये ग्रांट के रूप में प्रदान किए जाते हैं।

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