जो लोग गणना करने में कुशल हैं तथा उन्हें आंकड़ों से खेलना पसंद है और वे पारंपरिक कोर्स से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं, तो एक्चुरिअॅल साइंस में करियर उनके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है। एक्चुरिअल साइंस के अर्न्तगत बीमा के जोखिम और प्रीमियम की गणना कर भविष्य की सही स्थिति का वित्तीय रूप से आकलन किया जाता है।
जो लोग गणना करने में कुशल हैं तथा उन्हें आंकड़ों से खेलना पसंद है और वे पारंपरिक कोर्स से हटकर कुछ अलग करना चाहते हैं, तो एक्चुरिअॅल साइंस में करियर उनके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है। एक्चुरिअल साइंस के अर्न्तगत बीमा के जोखिम और प्रीमियम की गणना कर भविष्य की सही स्थिति का वित्तीय रूप से आकलन किया जाता है। संभवतया इसकी जरूरत सबसे पहले जीवन बीमा निगम में महसूस की गई थी, परन्तु बाद में धीरे-धीरे बैंक, स्टॉक एक्सचेंज, निजी और सरकारी एजेंसियों में भी इसकी उपयोगिता बढ़ती चली गई।
कार्य
एक्चुअरि प्रोफेशनल्स मृत्यु, बीमारी, दुर्घटना, विकलांगता आदि के दौरान वित्तीय जोखिम का आकलन करते हैं। इसके लिए मैथमेटिक्स और स्टैटिस्टिक्स का सहारा लिया जाता है।
योग्यता
एक्चुरिअॅल साइंस से संबंधित कोर्स में स्नातक डिग्री के लिए मैथ्स या स्टैटिस्टिक्स में 85 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास होना आवश्यक है, जबकि पीजी डिप्लोमा, मास्टर्स डिग्री और सर्टिफिकेट कोर्स के लिए मैथ्स/स्टैटिस्टिक्स/ इकोनॉमेट्रिक्स विषय से स्नातक की डिग्री जरूरी है।
अवसर
एक एक्चुअॅरि प्रोफेशनल्स की डिमांड सरकारी और प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों में ही नहीं, बल्कि टैरिफ एडवाइजरी कमिटी, इंश्योरेंस रेगुलेटरी ऐंड डेवलॅपमेंट अथॉरिटी(आईआरडीए), सोशल सिक्योरिटी स्कीम, फाइनेंशियल एनालिसिस फर्म में भी है। एक्चुरिअॅल साइंस में नौकरी की संभावनाओं का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नामी कंपनियां गणित और सांख्यिकी विषयों में स्नातक पेशेवरों को एक्चुरिअॅल प्रॉसेस आउटसोर्सिग (एपीओ)जैसी आला दर्जे की नौकरियां देने का प्रस्ताव भी दे रही हैं। ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देश भी इस फील्ड से जुड़े कुशल लोगों की कमी होने के कारण भारत में अपने कार्य को आउटसोर्स कर रही हैं। बीपीओ कंपनी में भी जोखिम का विश्लेषण करने के लिए बड़े पैमाने पर एक्चुअॅरि प्रोफेशनल्स की बहाली की जा ही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आगामी तीन वर्षो में लगभग 30 हजार से अधिक ट्रेंड प्रोफेशनल्स की इस क्षेत्र में जरूरत होगी।
कोर्स
बीए, इंश्योरेंस (तीन वर्ष)
बीएससी, एक्चुरिअॅल साइंस (तीन वर्ष)
पीजी डिप्लोमा इन सर्टिफाइड रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजमेंट (दो/तीन वर्ष)
सर्टिफिकेट कोर्स इन इंटरमिडियरिज (intermediaries) (इंश्योरेंस विषय) (तीन माह)
कोर्स ऑफ इंश्योरेंस एजेंट (100-150 घंटे)
कोर्स ऑफ इंश्योरेंस मैनेजर (दो वर्ष)
पीजी डिप्लोमा इन इंश्योरेंस साइंस (एक वर्ष)
पीजी डिप्लोमा इन इंश्योरेंस ऐंड फाइनेंशियल सर्विस (15 माह)
मास्टर इन इंश्योरेंस बिजनेस (दो वर्ष)
एमएससी इन एक्चुरिअॅल साइंस (दो वर्ष)
फाउंडेशन इन फाइनेंशियल प्लानिंग
संस्थान
1. डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमनिटीज ऐंड सोशल साइंस, आईआईटी, मुंबई
2. बिशप हार्बर कॉलेज, तिरुचिरापल्ली
3. इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड रिस्क ऐंड इंश्योरेंस मैनेजर्स, हैदराबाद
4. कॉलेज ऑफ वोकेशनल स्टडीज, दिल्ली यूनिवर्सिटी
5. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
6. बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
7. यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे
8. यूनिवर्सिटी ऑफ कल्याणी
9. एमिटी स्कूल ऑफ इंश्योरेंस ऐंड एक्चुरिअॅल साइंस, नोएडा
10. अन्नामलाई यूनिवर्सिटी
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