दिल्ली विश्वविद्यालय में बाहर से आकर दाखिला लेने वाले छात्रों के सामने सबसे बड़ी समस्या रहती है आवास की। उनकी पहली चाहत यही होती है कि उन्हें हॉस्टल मिल जाए, क्योंकि दिल्ली में कमरा मिलना आसान नहीं होता। हालांकि हॉस्टल मिलना भी आसान नहीं है। एक तो स्नातक स्तर पर कुछ गिने चुने कालेजों में ही हॉस्टल की सुविधा है और हर कोर्स के लिए दो से तीन सीटों के लिए कम से कम 15 या 20 आवेदन किए जाते हैं। ऐसे में यहां भी मेरिट लिस्ट को ही प्राथमिकता दी जाती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में बाहर से आकर दाखिला लेने वाले छात्रों के सामने सबसे बड़ी समस्या रहती है आवास की। उनकी पहली चाहत यही होती है कि उन्हें हॉस्टल मिल जाए, क्योंकि दिल्ली में कमरा मिलना आसान नहीं होता। हालांकि हॉस्टल मिलना भी आसान नहीं है। एक तो स्नातक स्तर पर कुछ गिने चुने कालेजों में ही हॉस्टल की सुविधा है और हर कोर्स के लिए दो से तीन सीटों के लिए कम से कम 15 या 20 आवेदन किए जाते हैं। ऐसे में यहां भी मेरिट लिस्ट को ही प्राथमिकता दी जाती है।
लड़कों के लिए हॉस्टल
हिन्दू, वेंकटेश्वर कॉलेज, हंसराज, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स हाउस, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, किरोड़ीमल कॉलेज, सेंट स्टीफन कॉलेज में हॉस्टल उपलब्ध हैं।
लड़कियों के लिए हॉस्टल
लेडीश्रीराम, इंद्रप्रस्थ, मिरांडा हाउस, दौलतराम, श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (एसआरसीसी), स्टीफंस कॉलेज, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स हाउस और वेंकटेश्वर कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा है।
आरक्षण
दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में एडमिशन के लिए भिन्न-भिन्न श्रेणियों में जिस तरह आरक्षण की व्यवस्था है, उसी तरह हॉस्टल में भी अनुसूचित जाति, जनजाति, विदेशी छात्रों, विकलांगों, स्पोर्ट्समैन और सैनिकों के बच्चों के लिए सीटें आरक्षित की गई हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों के लिए 22.5 प्रतिशत, विदेशी छात्रों के लिए 10 प्रतिशत, विकलांगों के लिए 3 प्रतिशत, स्पोर्ट्समैन के लिए 1 प्रतिशत तथा सैनिकों के बच्चों के लिए कुछ सीटें आरक्षित हैं।
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