अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सामानों का आयात-निर्यात मुख्य रूप से पानी के जहाज से होता है और वर्तमान में 80 प्रतिशत से ज्यादा वस्तुओं का आवागमन समुद्री मार्ग पर निर्भर है। आर्थिक एवं व्यापारिक गतिविधि के विकास के साथ ही भारत में भी शिपिंग उद्योग का विकास तेजी से हो रहा है। यही वजह है कि मैरीन इंजीनियर का करियर काफी लुभावना हो गया है।
अन्तराष्ट्रीय स्तर पर सामानों का आयात-निर्यात मुख्य रूप से पानी के जहाज से होता है और वर्तमान में 80 प्रतिशत से ज्यादा वस्तुओं का आवागमन समुद्री मार्ग पर निर्भर है। आर्थिक एवं व्यापारिक गतिविधि के विकास के साथ ही भारत में भी शिपिंग उद्योग का विकास तेजी से हो रहा है। यही वजह है कि मैरीन इंजीनियर का करियर काफी लुभावना हो गया है।
कार्य
मेरीन इंजीनियरिंग समुद्री आर्कीटेक्टर और विज्ञान से सम्बंधित है। मेरीन इंजीनियर का प्रमुख काम पानी में चलने वाले जहाजों के निर्माण और रखरखाव से जुड़ा होता है तथा उन पर ही समुद्री जहाज के तकनीकी प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी होती है। मेरीन इंजीनियर का कार्य-क्षेत्र बहुत व्यापक और जोखिम भरा है। इलेक्ट्रोनिक्स और नैविगेशन में आधुनिक विकास के साथ मेरीन इंजीनियर का कार्य सुविधाजनक हुआ है, लेकिन साथ ही विस्तृत भी हुआ है।
योग्यता
मैरीन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए भौतिकी, रसायन और गणित विषयों से बारहवीं पास होना जरूरी है। यदि किसी ने बारहवीं में जीवविज्ञान विषय भी लिया है, तो यह उसके लिए एक अतिरिक्त योग्यता होगी। इसके अलावा, मैरीन इंजीनियरिंग कोर्स में एंट्री पाने के लिए शारीरिक रूप से स्वस्थ होना भी अनिवार्य है और कुछ निश्चित स्वाथ्य मानकों को भी पूरा करना होता है। उम्मीदवार की ऊँचाई कम से कम 150 सेंटीमीटर होनी चाहिए तथा इसी अनुपात में भार और सीने की चौड़ाई भी होनी चाहिए. इसके अलावा उसे कलर ब्लाईंडनेस नहीं हो और 6/6 की नज़र हो।
व्यक्तिगत गुण
एक सफल मैरीन इंजीनियर को टीम भावना के साथ-साथ प्रेशर में भी काम करना आना चाहिए। साथ ही उसमें नेतृत्व करने की क्षमता भी होनी चाहिए और वह पूर्वानुमान लगाने में भी सक्षम हो। इसके अलावा, उसके पास अच्छी कम्युनिकेशन स्किल का होना बेहद जरूरी है।
प्रशिक्षण
मैरीन इंजीनियरिंग का कोर्स करने वाले छात्रों को बॉयलर, बॉयलर केमिस्ट्री, एडवांस्ड हाइड्रॉलिक्स, पावर प्लांट ऑपरेशंस, शिप ऑपरेशन, मैनेजमेंट आदि विषयों का गहन प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। ओशन थर्मलएनर्जी, मैगनेटो हाइड्रो-डाइनेमिक्स और न्यूक्लियर प्रोपल्शन पार्ट्स जैसे नए उभरते क्षेत्रों को भी हाल ही में पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
अवसर
इस में करियर के अनेक विकल्प मौजूद हैं। इंडियन मर्चेंट नेवी, नौसेना, जहाज निर्माण कंपनियों आदि में नौकरी तलाश सकते हैं। इसके अलावा, शिपिंग कॉर्पारेशन ऑफ इंडिया जैसी कई प्रमुख शिपिंग कंपनियां भी मैरीन इंजीनियर्स की सेवाएं लेती हैं। अगर कोई विदेश में भविष्य तलाश रहा है, तो ‘अंतरराष्ट्रीय संस्था द अमेरिकन ब्यूरो ऑफ शिपिंग’ में भी काम काम किया जा सकता है। इसके अलावा, फ्रांस और ब्रिटेन में मैरीन इंजीनियर्स की डिमांड बनी रहती है।
कमाई
इस क्षेत्र में शुरुआती दौर में ही काफी अच्छी सैलॅरी मिलने लगती है। जूनियर इंजीनियर के तौर पर काम करने वाला व्यक्ति भी 25 से 30 हजार रुपये प्रतिमाह आसानी से कमा सकता है।
चुनौतियां
मैरीन इंजीनियरिंग का काम सिर्फ जहाजों के निर्माण से ही नहीं, बल्कि लोगों की जान बचाने से भी जुड़ा होता है। इसलिए इंजीनियर को अपने काम में काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है। मैरीन इंजीनियर को छह-सात महीने तक घर से दूर पानी के जहाजों पर रहना पड़ता है।
कोर्सेस
• बीएससी (नॉटिकल सांइस)
• चार वर्षीय बी.ई/बी.टेक मैरीन इंजीनियरिंग
• दो वर्षीय एम.ई मैरीन इंजीनियरिंग
संस्थान
1. ट्रेनिंगशिप चाणक्य कार्वे, नवी मुम्बई
2. मैरीन इंजीनियरिंग ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, कोलकाता और मुम्बई
3. इंटरनेशनल मैरीटाइम इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
4. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
5. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास
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