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पुरातत्व के रक्षक

 कोकिला जब दसवीं में पढ रही थी, उसी दौरान अपने पैरेंट्स के साथ एक बार नालंदा के खंडहर देखने गई थी। उसने इतिहास की किताब में पढ रखा था कि प्राचीन काल में वहां विश्वविख्यात विश्वविद्यालय हुआ करता था। यही कारण है कि उस स्थान पर पहुंच कर वह बेहद रोमांचित थी। हालांकि उसे यह देख-सुनकर काफी दुख हुआ कि उचित देख-रेख न होने पाने के कारण वह ऐतिहासिक विरासत और जर्जर हो गई है। उसने तभी तय कर लिया कि वह अपना करियर ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण करने में ही बनाएगी।

कोकिला जब दसवीं में पढ रही थी, उसी दौरान अपने पैरेंट्स के साथ एक बार नालंदा के खंडहर देखने गई थी। उसने इतिहास की किताब में पढ रखा था कि प्राचीन काल में वहां विश्वविख्यात विश्वविद्यालय हुआ करता था। यही कारण है कि उस स्थान पर पहुंच कर वह बेहद रोमांचित थी। हालांकि उसे यह देख-सुनकर काफी दुख हुआ कि उचित देख-रेख न होने पाने के कारण वह ऐतिहासिक विरासत और जर्जर हो गई है। उसने तभी तय कर लिया कि वह अपना करियर ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण करने में ही बनाएगी। प्राचीन इतिहास से स्नातकोत्तर करके आर्कियोलॉजी में एमफिल और पीएचडी करने के बाद अध्यापन करने के अलावा आज वह पुरातत्व संरक्षण के कार्य से भी जुडी हुई है।

सैकडों साल पुरानी धूल-धूसरित इमारतों उन पर चकित कर देने वाली कलाकृतियां, दरख्तों के बीच झांकती सीढियां और हरे-भरे खूबसूरत लैंडस्केप.. । इन नजारों को देखकर एकबारगी अपने गौरवशाली अतीत पर फख्र महसूस होने लगता है। ये मनमोहक नजारे भारत के कोने-कोने में पसरे पडे हैं। चारों तरफ फैली सांस्कृतिक धरोहरों और आर्कियोलॉजिकल रिसोर्सेज का व्यवस्थित लेखा-जोखा, उनके प्रबंधन का काम आसान नहीं है। देश और विदेश में भारी तादाद में पुरातात्विक इमारतें होने के कारण इस क्षेत्र में स्किल्ड प्रोफेशनल्स इन दिनों खूब डिमांड में हैं। यदि आप भी इमारतों के रख-रखाव यानी आर्कियोलॉजी में दिलचस्पी रखते हैं, तो इस क्षेत्र में चमकदार करियर बना सकते हैं।
दायरा है बडा
हजारों साल पहले कैसा होता होगा जीवन? किन-किन तरीकों से जीवन से जुडे अवशेषों को बचाया जा सकता है? एक सभ्यता, दूसरी सभ्यता से कैसे अलग है? क्या हैं इनकी वजहें? जैसे अनगिनत सवालों से सीधा सरोकार होता है आर्कियोलॉजिस्ट्स का। आर्किटेक्चर्स मॉन्यूमेंट्स, शिलालेख, मुहर, बर्तन, औजार जैसे तमाम छोटे-बडे साक्ष्य आर्कियोलॉजिकल अध्ययन के मुख्य आधार होते हैं। इन साक्ष्यों का वैज्ञानिक छानबीन कर एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचना ही इनका मुख्य उद्देश्य होता है। न्यूमिस्मैटिक्स, इपिग्राफी, आर्काइव्स और म्यूजियोलॉजी आर्कियोलॉजी के मुख्य ब्रांचेज हैं। दरअसल, यह एक मल्टीडिसिप्लिनरी फील्ड है। इस फील्ड से जुडे प्रोफेशनल्स मानव विज्ञान, समाजशास्त्र, आर्किटेक्चर, पेलियो-जियोलॉजी, पेलियो-बॉटनी, स्ट्रक्चरल कंजरवेशन ऑफ मॉन्यूमेंट्स, हेरिटेज मैनेजमेंट, अंडरवाटर आर्कियोलॉजी आदि विषयों के भी जानकार होते हैं।

जरूरी योग्यता
प्राचीन या मध्यकालीन इतिहास, आर्कियोलॉजी, एंथ्रोपोलोजी, जियोलॉजी विषयों में से किसी एक विषय में मास्टर डिग्री वाले कैंडिडेट्स आर्कियोलॉजी में करियर बना सकते हैं। साथ ही, एक बेहतरीन आर्कियोलॉजिस्ट अथवा म्यूजियम प्रोफेशनल बनने के लिए प्लीस्टोसीन पीरियड अथवा कुछ क्लासिकल लैंग्वेज, मसलन-पाली, संस्कृत, प्राकृत, अरेबियन, परसियन भाषाओं में से किसी की जानकारी आपको कामयाबी की राह पर और आगे ले जा सकती है। यदि आप हेरिटेज कंजरवेशन के क्षेत्र में जाना चाहते हैं, तो आपके पास सिविल इंजीनियरिंग से बीटेक अथवा आर्किटेक्चर (कंजरवेशन) में बैचलर डिग्री होना जरूरी है। इसके अलावा, आर्कियोलॉजी में आने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों केमिस्ट/रिस्टोरर (केमिकल प्रिजरवेशन) के पदों के लिए केमिस्ट्री विषय में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री जरूरी है। हां, यदि विशेष योग्यताओं की बात करें, तो इस क्षेत्र में खुदाई की विधियों, डॉक्यूमेंटेशन और आर्कियोलॉजिकल रिसर्च की कार्य-पद्धतियों का बेहतर ज्ञान को अहम माना जाता है।

उपलब्ध कोर्स
आर्कियोलॉजी से जुडे रेगुलर कोर्स, जैसे-पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल या पीएचडी देश के अलग-अलग संस्थानों में संचालित किए जा रहे हैं। हालांकि हेरिटेज मैनेजमेंट और आर्किटेक्चरल कंजरवेशन से जुडे कोर्स केवल गिने-चुने संस्थानों में ही पढाए जा रहे हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की फंक्शनल बॉडी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी में आर्कियोलॉजी में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स की पढाई होती है। अखिल भारतीय स्तर के प्रवेश परीक्षा के आधार पर इस कोर्स में दाखिला दिया जाता है। यहां कुछ शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग कोर्स व वर्कशॅाप आदि भी संचालित होते हैं। इसी तरह, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली से एफिलिएटेड इंस्टीट्यूट, दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च ऐंड मैनेजमेंट आर्कियोलॉजी और हेरिटेज मैनेजमेंट में दो वर्षीय मास्टर कोर्स का संचालन होता है। इन दिनों प्रोफेशनल कोर्स भी काफी पॉपुलर हो रहे हैं। यही कारण है कि आर्कियोलॉजी के अलग-अलग क्षेत्रों में डिप्लोमा, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा मौजूद हैं, जैसे- डिप्लोमा इन आर्काइव्स कीपिंग, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन म्यूजियोलॉजी ऐसे तमाम तरह के कोर्स इन दिनों लोकप्रिय हो रहे हैं। एमफिल इन कंजरवेशन स्टडीज भी इसी तरह का एक प्रोफेशनल कोर्स है। डिग्री कोर्स की अवधि तीन वर्ष, पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स की अवधि दो वर्ष और डिप्लोमा व पीजी डिप्लोमा कोर्स की अवधि क्रमश: एक से दो वर्ष होती है। एमफिल इन कंजरवेशन स्टडीज की अवधि दो साल है।

पर्सनल स्किल
आर्कियोलॉजी न केवल दिलचस्प विषय है, बल्कि इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए चुनौतियों से भरा क्षेत्र भी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता, तार्किक सोच, कार्य के प्रति समर्पण जैसे महत्वपूर्ण गुण जरूर होने चाहिए। कला की समझ, उसकी पहचान भी आपको औरों से बेहतर बनाने में मदद करेगा। चूंकि ज्यादातर आर्कियोलॉजिस्ट आउटडोर एक्टिविटीज से जुडे होते हैं, इसलिए जरूरी है कि आप फिजिकली फिट होने के साथ-साथ कडी मेहनत करने का जज्बा रखते हों।

खूब  है डिमांड
आर्कियोलॉजिस्ट की डिमांड सरकारी और निजी हर जगह है। इन दिनों कॉरपोरेट हाउसेज में भी नियुक्ति हो रही है। वे अपने रिकॉ‌र्ड्स के रखरखाव और संरक्षण के लिए एक्सपर्ट की नियुक्तिकरते हैं। इसी तरह, आकॉइव्स, यूनिवर्सिटीज और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स में आर्कियोलॉजिस्ट की मांग रहती है। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में आर्कियोलॉजिस्ट पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है। राज्यों के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में भी असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट की डिमांड रहती है। वहीं, यूजीसी आयोजित नेट-जेआरएफ क्वालिफाई कर लेक्चररशिप पद पर नियुक्ति हासिल कर सकते हैं। एमफिल इन कंजरवेशन स्टडीज कोर्स कर लेने के बाद कंजरवेशन आर्किटेक्ट्स के अलावा, कई तरह के डेवलपमेंटल प्रोजेक्ट्स में जॉब के अवसर मिल जाते हैं। विदेश में पढना चाहते हैं, तो विदेशी स्कॉलरशिप के माध्यम से अपनी ख्वाहिश पूरी कर सकते हैं। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मेंफिस और विदेश की अन्य यूनिवर्सिटीज में यह सुविधा उपलब्ध है। यहां से कोर्स पूरा करने के बाद आपको क्यूरेटर, हेरिटेज कंजरवेटर्स, आर्किविस्ट की आकर्षक जॉब मिल सकती है।

सैलरी
आर्कियोलॉजी फील्ड में किसी भी पद पर न्यूनतम सैलॅरी 25 हजार रुपये है। उसके बाद सैलॅरी का निर्धारण पद और अनुभव के आधार पर होता है।

इंस्टीट्यूट वॉच 
इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी  (आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इंडिया, दिल्ली) www.asi.nic.in
पटना यूनिवर्सिटी, पटना, बिहार www.patnauniversity.ac.in
डॉक्टर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश www.sagaruniversity.nic.in
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी www.bhu.ac.in
छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी, कानपुर www.kanpuruniversity.org
पंजाब यूनिवर्सिटी, पंजाब www.puchd.ac.in
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कुरुक्षेत्र www.ukinfo.com
दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च ऐंड मैनेजमेंट, दिल्ली www.dihrm.com
यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे, महाराष्ट्र www.unipune

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