कोई भी काम जो हम कर रहे हैं कब काम आएगा, इसको तत्काल समझ पाना कठिन है...
कोई भी काम जो हम कर रहे हैं कब काम आएगा, इसको तत्काल समझ पाना कठिन है। बाद में पीछे की बातें समझ में जल्दी आती हैं। इसलिए यह विश्वास करके चलना चाहिए कि जो भी काम हम कर रहे हैं, भविष्य में काम आएगा। ऐसे विचार ही प्रगति का पथ दिखलाते हैं।
स्टीव जॉब्स
आज की युवा पीढी स्टीव जॉब्स की इस सोच को आगे बढा रही है और उनकी इस सोच को साहस के पंख दे रहे हैं इनके पैरेंट्स। दरअसल, बदलते जमाने के अलहदा सांस्कृतिक दस्तूरों ने युवा पीढी को काफी प्रभावित किया है। पहले जहां परीक्षा के बाद छात्र का मकसद केवल और केवल मौज मस्ती हुआ करता था। आज मौजमस्ती के साथ नई-नई चीजें सीखना भी उनका उद्देश्य है। उनके इस उ्देश्य को पूरा करने में बीते सालो में समर कोर्सो की भूमिका अव्वल हुई है।
कामयाबी का रोडमैप
इन दिनों परीक्षा खत्म होते ही समर कोर्सो में बच्चों/किशोरों की खासी भीड देखी जा सकती है। इन कोर्सेज के बहाने खेल-खेल में बच्चे कठिन से कठिन चीजों को भी बडी सहजता से सीख लेते हैं, जबकि क्लास के बोझिल उबाऊ माहौल में इन्हीं चीजों को सीखना उनके लिए सिरदर्द हुआ करता है। यहां परीक्षा के उपरांत छात्रों को उनकी रुचि वाले उन क्षेत्रों में प्रशिक्षण दिया जाता है, जहां थोडी कोशिशों से वे उसके मास्टर बन जाते हैं। बताने की जरूरत नहीं कि इन चीजों पर स्कूल के दौरान फुल टाइम फोकस करना न बच्चे के लिए न टीचर्स के लिए मुमकिन होता है। ऐसे में समर कोर्सेज में बच्चों के समय का तो सदुपयोग होता ही है, कॅरियर की नई-नई राहें भी खुलती हैं। यही कारण है कि गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप्स कॉन्सेप्ट लोकप्रिय हो रहा है। ये आज सही मायने में बच्चों में छिपी प्रतिभा को बाहर लाने का जरिया बन रहे हैं।
वैसे भी आज के दौर में जब पैशन और प्रोफेशन के बीच की लकीर लगातार धुंधला रही है, ये कैंप्स बच्चों के भविष्य को खुशनुमा रंगत दे रहे हैं। वहां बिना किसी दबाव के एक अलग माहौल और कुछ करने का जुनून अपने आप होता है। अगर आप किसी खास क्षेत्र में विशेष करना चाहते हैं या अपनी कमजोरियों की धारदार ट्रेनिंग के तहत मरम्मत करना चाहते हैं, तो यह कैंप्स कम समय में कामयाबी का गारंटीड रोडमैप बन सकते हैं।
हर मिजाज का कोर्स
देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले छात्र अपना खाली समय कैसे बिताते हैं, यह अक्सर शोध का विषय रहा है। देखा गया है?कि उन जगहों पर जहां विद्यार्थी स्कूल के बाद खाली समय में किताबें पढना, ड्राइंग या फिर कुछ अन्य रचनात्मक कार्य करना पंसद करते हैं, उनके लिए कॅरियर स्कोप बडे हो जाते हैं। इसके इतर टीवी, वीडियो गेम्स, नेट सर्फिग में समय खपाने वाले बच्चों में क्रिएटिविटी खत्म होने का भय रहता है। इसे ध्यान में रखते हुए समर कैंप्स में चलने वाले कोर्सेज को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है कि बच्चों, किशोरों को तमाम तरह के विकल्प मिलें। इन कोर्सेज के अंतर्गत एक ही कैंप के अलग-अलग सेशन में अपने इंट्रेस्ट वाले क्षेत्र में हाथ आजमाने के अलावा यहां बच्चों के पास वीकेंड क्लासेज की भी च्वाइस होती है, जिसमें वे डांस, म्यूजिक, ड्रामा, स्पीकिंग, राइटिंग, ट्रेवल, पेंटिंग एनीमेशन, प्रोग्रामिंग आदि सीख सकते हैं। कहने का आशय यह है कि आपके मिजाज के अनुरूप सभी तरह के कोर्स यहां उपलब्ध होते हैं, जहां आप खुशी-खुशी खुद को अलग मुकाम दे सकते हैं।
नया दौर नई राहें
विदेश में कई तरह के समर कोर्सेज पॉपुलर हैं। अब भारत में भी इनका प्रचलन बढ रहा है। विदेशों में प्रमुख रूप से लैंग्वेज, टूर, सांस्कृतिक इतिहास, टेक्नोलॉजी और सेल्फ इंप्रूवमेंट से संबंधित कोर्स होते हैं। आप इस तरह के कोर्स विदेश के अलावा भारत में भी कर सकते हैं..
मनोरंजक अंदाज में करें टेक्नोलॉजी कोर्स यदि आगे रहना है तो जरूरी है कि बच्चे शुरू से ही इसके हर बदलाव से परिचित हों। इस माहौल में अगर बच्चा आईटी की ओर झुकाव दिखाता है, तो बेहतर होगा कि उसे समर कैंप में चलने वाले टेक कोर्सेज में दाखिला दिलाएं। वहां वह ग्राफिक डिजाइन, वेब डिजाइन, एनीमेशन, प्रोग्रामिंग सीख सकता है वो भी मनोरंजक अंदाज में।
टेलेंट ओरिएंटेड कोर्स है दमदार
कई स्टूडेंट्स अपनी पढाई के दौरान म्यूजिक, सिंगिंग, डांसिंग आदि में रुचि प्रदर्शन क रने के चलते अक्सर पैरेंट्स के गुस्से का शिकार होते हैं। पर गर्मी की ये छुट्टियां उन्हें समर का बिंदास मजा लेने का मौका देती हैं। इस दौरान कैंप्स में रुचियों का लुत्फ ले सकते हैं।
यदि खेलों में देखते हैं भविष्य
ज्यादातर बच्चे खेलों में रुचि रखते हैं। लेकिन पढाई के बोझ के चलते वे इसका पूरा मजा नहीं ले पाते। ऐसे बच्चों के लिए समर कैंप्स मन मांगी मुराद जैसे होते हैं। इन कैंप्स में सबसे ज्यादा बच्चे इसी सेशन में देखे जाते हैं। यहां विशेषज्ञों द्वारा बच्चों को क्रि केट, फुटबॉल, टेनिस, स्विमिंग, राइडिंग, ट्रैकिंग से संबधित कोचिंग दी जाती हैं।
चाहते हैं अगर बेहतर इंटरेक्शन
कामयाबी के लिए केवल एकेडेमिक्स के भरोसे रहना ही काफी नहीं रह गया है, बल्कि इसके साथ सोशल स्किल्स यानि लोगों के साथ बेहतर इंटरेक्शन, पर्सनैलिटी, पब्लिक स्पीकिंग भी अहम है। यही कारण है कि इन दिनों समर क्लासेज में इनसे संबधित कोर्सेज का महत्व बढ रहा है। इसके अंतर्गत बच्चों को उठने-बैठने से लेकर, सामान्य बोलचाल, श्रोताओं के सामने बोलने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
फॉरेन लैंग्वेज दिलाएगी बढत
विदेशी भाषा को लेकर देश में बडा के्रज है। कारण है इन कोर्सेज से मिलने वाली सीधी जॉब ऑपच्र्युनिटी। यदि कोई?इन भाषाओं की बारीकियों से उम्र के पहले ही पडाव में रुबरू हो जाए तो यहां उनका भविष्य बेहतर हो सकता है। देश के तमाम समर कैंप्स में फ्रेंच, जापानी, रशियन, इंग्लिश जैसी भाषाओं के कोर्स बडी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।
अध्यात्म में छू सकते हैं नई ऊंचाइयां
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में अध्यात्म एक प्रमुख जरूरत बन उभरा है। विशेषज्ञों के अनुसार, ध्यान, योगा से संबंधित छोटे-छोटे प्रयोग मानसिक एक ाग्रता में सहायक होते हैं। ऐसे में कई समर कैंप्स बच्चों में कन्सेन्ट्रेशन बढाने वाली मेडीटेशनल एक्टिविटीज, आर्ट ऑफ लिविंग जैसे प्रोग्राम चलाते हैं। बच्चे ही नहीं उनके पैरेंट्स भी इन कोर्सेज का फायदा उठा सकते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सभी अगर आप भी अपने बच्चों के साथ कहीं घुमने की योजना बना रहे हैं तो आप पहले से निर्णय ले लें कि आपको जाना कहां है और क्या करना है।
टॉप इंस्टीट्यूट टॉप कोर्स
यदि आप इंटरटेनमेंट व लर्निग एक साथ करना चाहते हैं तो इन दिनों समर कोर्स से बेहतर कुछ नहीं। इस वक्त का यदि बच्चे सही इस्तेमाल करें तो वे बडे ही आराम से कई फील्ड्स के उस्ताद बन सकते हैं..
राष्ट्रीय बाल भवन-ग्रीष्मावकाश की अवधि में छात्रों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण की महत्ता आज सरकार समझती है। राष्ट्रीय बाल भवन उसकी इसी मंशा को परवान चढा रहा है। यहां समाज के निचले व आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के छात्रों को वरीयता दी जाती है। संस्थान में प्रवेश पाने वाले छात्रों को बेहद कम फीस में वोकेशनल ट्रेनिंग का मौका मिलता है।
साइंस उत्सव- देश में साइंस टेक्नोलॉजी का हब कहा जाने वाला बेंगलुरु गर्मियों में स्टूडेंट्स का पंसदीदा स्थल बन जाता है। इसका कारण है यहां चलने वाले समर प्रोग्राम। इनमें साइंस उत्सव सबसे खास है। यहां पर 8-14 साल के बच्चों को दैनिक जीवन में काम आने वाली चीजों से जुडे विज्ञानपरक प्रयोग सिखाए जाते हैं।इनसे बच्चों में सहज वैज्ञानिक बुद्धि का विकास तो होता ही है, साइंस में रुचि भी जागती है।
फिनिशिंग स्कूल- फिनिशिंग स्कूल कॉन्सेप्ट भारत के लिए भले ही नया हो, लेकिन विदेशों में यह काफी समय से प्रचलित है। फिनिशिंग स्कूल मूलत: स्कूल व प्रोफेशनल कॉलेज के बीच का सेतु होता है। इसमें अलग-अलग स्ट्रीम से आए छात्रों को वोकेशनल ट्रेनिंग देकर जॉब के लायक बनाया जाता है। गौरतलब है कि आज भी देश में हायर सेकेंडरी लेवल पर व्यवहारिक ट्रेनिंग का ढंाचा न के बराबर है। अधिकांश छात्र कक्षाएं तो पार कर जाते हैं लेकिन जॉब ढूंढने के नाम पर सडकों पर चप्पल घिसते रहते हें। ऐसे में इन फिनिशिंग स्कूल की मदद से वे खुद जॉब के लायक बन सकते हैं।
इंडिया हैबीटेट सेंटर- समर कैम्पिंग में इंडिया हैबीटेट सेंटर का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह हर साल कई तरह की समर वर्कशॉप की मेजबानी करता है। सेंटर में न केवल जॉब ओरिएंटेड बल्कि अनेक मनोरंजक वर्कशॉप/एक्टिविटीज भी आयोजित की जाती है। इस दौरान अलग-अलग क्षेत्रों की नामी शख्सियतें भी वर्कशॉप में युवाओं का मार्गदर्शन करने पधारती रहती हैं। म्यूजिक, डांस जैसे परंपरागत प्रोग्रामों के अलावा यहां कैलीग्राफी, मास्क मेकिंग, ग्लासपेटिंग, स्टोरी टेलिंग, पब्लिक स्पीकिंग, इलेस्ट्रेशन, क्रिएटिव राइटिंग, सोशल अंडरस्टैंडिंग जैसी चीजें भी सिखाई जाती हैं।
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