अगर आप जरा विनोदी स्वाभाव के है और आपकी ड्राइंग काफी अच्छी होने के साथ आपमें क्रिएटिविटी भी है तो आप एक कार्टून आर्टिस्ट बनकर एक खास अंदाज़ में अपना मैसेज लोगों तक पहुंचा सकते हैं.
‘कार्टून’ वास्तव में मानव की भावनाओं की अभिव्यक्ति का एक सशक्त और कारगर तरीका है जिसमें रोचकता और हास्य का पुट शामिल होता है. क्या आप जानते हैं कि भारत के कुछ प्रसिद्ध भारतीय कार्टूनिस्ट के नाम हैं - आरके लक्ष्मण, इरफ़ान ख़ान, पवन, प्राण, बाल ठाकरे, मंजुल, यूसुफ़ मुन्ना, रंगा, शेखर गुरेरा, सतीश आचार्य, सुधीर तैलंग, हरिओम तिवारी, जसपाल भट्टी, चन्दर, चंद्रशेखर हाडा, त्र्यम्बक शर्मा, देवांशु वत्स, आबिद सुरती, इस्माईल लहरी, नीरद, के शंकर पिल्लई और अभिषेक तिवारी. यकीनन आपको भी इनमें से कुछ कार्टूनिस्ट्स का काम काफी पसंद होगा और आप भी शायद एक कार्टून आर्टिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू करना चाहते हों.
भारत में कार्टून आर्ट की शुरुआत ब्रिटिश काल से मानी जाती है और केशव ‘शंकर पिल्लई’ को भारत की कार्टून आर्ट का जनक माना जाता है. ‘शंकर’ ने 1932 में हिंदुस्तान टाईम्स में अपने कार्टून पब्लिश किये थे. शंकर के बाद धीरे-धीरे भारत में कार्टून आर्ट का प्रचार-प्रसार होने लगा और आजकल भारत के सभी क्षेत्रों और भाषाओं में कार्टून लोगों को प्रभावित कर रहे हैं. भारतीय कार्टूनिस्ट्स को बढ़ावा देने के लिए रजिस्टर्ड ऑर्गनाइजेशन कार्टूनिस्ट्स क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना की गई है.
दरअसल, कार्टून आर्टिस्ट्स किसी भी बात को साफ शब्दों में बयान नहीं करते बल्कि अपनी ड्राइंग्स और कम से कम शब्दों के माध्यम से अपना सन्देश जनता तक पहुंचा देते हैं. किसी कामयाब कार्टून आर्टिस्ट का कार्टून इतना प्रभावी होता है जिसे देखते है आपको हंसी आ जाती है और थोड़ा ध्यान देने पर संबद्ध कार्टून आर्टिस्ट का मैसेज भी आपको अच्छी तरह समझ में आ जाता है. कार्टून आर्टिस्ट्स अपनी बात को कुछ इस अंदाज़ से पेश करते हैं कि जिस बात के विरोध में उनका कार्टून होता है, वह बात या मुद्दा समझ आने के बावजूद लोगों को बुरा नहीं लगता है. इस तरह, कार्टून आर्टिस्ट्स हमारे समाज और व्यवस्था में फैली हुई विभिन्न बुराइयों, कुरीतियों और/ या कमियों को हमारे सामने बड़ी सहजता से पेश करते हैं.
हम आज भी अपने छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा देने के लिए ड्राइंग्स का भरपूर इस्तेमाल करते हैं और कार्टून्स या चित्रों के माध्यम से बच्चे जल्दी ही विभिन्न पॉइंट्स को समझ लेते हैं और इसलिए अधिकतर चिल्ड्रन स्टोरी बुक्स में टेक्स्ट मैटर कम और चित्र ज्यादा से ज्यादा होते हैं. रिसर्च के मुताबिल छोटे बच्चे नॉन-वर्बल कम्युनिकेशन को काफी अच्छी तरह समझ लेते हैं हालांकि अभी इन बच्चों की किसी भाषा और वोकैबुलरी पर खास पकड़ नहीं होती है.
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हम सब यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जब हमारे घर पर छोटे बच्चे टीवी पर डोरेमन, मिक्की माउस या छोटा भीम जैसा कोई कार्टून सीरियल देख रहे हों तो उनसे आप आसानी से टीवी का रिमोट कंट्रोल नहीं ले सकते. आपके बच्चे कई घंटे लगातार अपना पसंदीदा कार्टून चैनल देखते रहते हैं और उस समय इन बच्चों को भूख-प्यास तक नहीं लगती है. अगर आपने टीवी पर प्रसारित ‘सो सॉरी’ प्रोग्राम देखा होगा तो कार्टून का महत्व और उसकी उपयोगिता आपको काफी अच्छी तरह ज्ञात होगी. लेकिन, इसके लिए प्रेजेंस ऑफ माइंड, क्रिएटिविटी और इम्प्रेसिव ड्राइंग एबिलिटी बहुत जरूरी है तभी आप कार्टून की फील्ड में सफल हो सकेंगे.
अगर आप भी अपने शौक, पैशन तथा क्रिएटिविटी को अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आप अवश्य ही इस फील्ड में अपना करियर बनायें तथा अपनी मेहनत और टैलेंट के बल पर पैसे और ख्याति हासिल करें. एक कार्टूनिस्ट बनने के लिए आपको किसी भी तरह के महंगे प्रोफेशनल कोर्स को करने की जरुरत नहीं है. आप सिर्फ स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद ही इस फील्ड में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं. इसके लिए आपको जनमानस के रुझान तथा उनको प्रभावित करने के लिए बेहतरीन कार्टून बनाने में माहिर होना चाहिए.
भारत में कार्टून आर्टिस्ट के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
- कैंडिडेट ने किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से 12वीं पास की हो.
- ड्राइंग एंड स्केचिंग में एक्सपर्ट हो.
- फाइन आर्ट्स की टेक्नीकल नॉलेज भी है जरूरी.
- फाइन आर्ट्स और ड्राइंग की अच्छी समझ हो.
- जनमानस को प्रभावित करने के लिए कार्टून बनाने में हो एक्सपर्ट.
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कार्टून आर्टिस्ट्स भारत में इन टॉप कॉलेजों/ इंस्टीट्यूट्स से करें कोर्स
- IIMC, नई दिल्ली
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट, बेंगलुरु
- दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स, नई दिल्ली
- जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, मुंबई
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद
भारत में कार्टून आर्टिस्ट के लिए एम्पलॉयमेंट के अवसर
आज के युग में मीडिया के बढ़ते प्रचार प्रसार, विशेष रूप से डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रचलन के कारण कार्टून आर्टिस्ट की मांग बहुत ज्यादा है. जो बात हज़ारों शब्दों में कही जा सकती है वही बात एक छोटा कार्टून काफी कम समय में कुछ ही शब्दों में बड़ी आसानी से जाहिर करता है. इसलिए एडवरटाइजिंग में भी कार्टून्स की काफी डिमांड है. आजकल हमारे देश में, हर टीवी चैनल, प्रिंट मीडिया, अखबार आदि में टैलेंटेड कार्टून आर्टिस्ट्स के लिए जॉब के काफी अवसर उपलब्ध हैं. ये संस्थान कार्टूनिस्ट्स को काफी अच्छे पैकेज पर हायर भी करते हैं. सैलरी पैकेज कैंडिडेट की क्रिएटिविटी और वर्क एक्सपीरियंस पर काफी हद तक निर्भर करता है. हमारे देश में शुरू में ये पेशेवर एवरेज 15 – 20 हजार रुपये प्रति माह कमाते हैं. कुछ वर्षों के बाद आमतौर पर ये पेशेवर 5 – 6 लाख रुपये सालाना कमाते हैं. वर्ष बीतने के साथ ही इन पेशेवरों का सैलरी पैकेज भी बढ़ता ही जाता है.
इसलिए, अगर आपमें क्रिएटिविटी है और कार्टून देखना, बनाना और उसकी बारीकियों को समझना आपको अच्छा लगता है तो आप अवश्य ही इस फील्ड में अपना करियर शुरू कर सकते हैं और मनचाही सफलता हासिल कर सकते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि अब भारत में भी कार्टून आर्टिस्ट के लिए करियर के कई सुनहरे अवसर उपलब्ध हैं.
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