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साउंड इंजीनियरिंग

 साउंड इंजीनियरिंग, जिसे ऑडियो इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है, ऑडियो साइंस का एक ब्रांच है। फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर के द्वारा साउंड ऐंड म्यूजिक में ऑस्कर अवार्ड्स जीतने के बाद एक करियर विकल्प के रूप में साउंड इंजीनियरिंग तेजी से सामने आया। भारतीय साउंड इंजीनियरों की मांग देश में ही नहीं, विदेशों में भी बढ़ती जा रही है। यदि साउंड इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स कर लिया जाए तो कई विकल्प खुल जाएंगे।

साउंड इंजीनियरिंग, जिसे ऑडियो इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है, ऑडियो साइंस का एक ब्रांच है। फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर के द्वारा साउंड ऐंड म्यूजिक में ऑस्कर अवार्ड्स जीतने के बाद एक करियर विकल्प के रूप में साउंड इंजीनियरिंग तेजी से सामने आया। भारतीय साउंड इंजीनियरों की मांग देश में ही नहीं, विदेशों में भी बढ़ती जा रही है। यदि साउंड इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स कर लिया जाए तो कई विकल्प खुल जाएंगे।

कार्य
साउंड इंजीनियर अपना कार्य दो स्तरों पर करता है-प्रोडक्शन लेवल तथा दूसरा पोस्ट प्रोडक्शन लेवल पर। प्रोडक्शन लेवल पर साउंड इंजीनियर का कार्य मेकेनिकल व इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइसेस के द्वारा तरह-तरह की आवाजें बनाना तथा उन्हें रिकॉर्ड करना होता है। पोस्ट प्रोडक्शन लेवल पर उनको एडिट व मिक्स करके एक नई साउंड में तब्दील किया जाता है।

योग्यता
बारहवीं पास साउंड इंजीनियरिंग में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्सेज में दाखिला ले सकते हैं। पीजी डिप्लोमा स्तर के कोर्स के लिए किसी भी विषय में स्नातक डिग्री आवश्यक है। जिसका मैथ्स व फिजिक्स बैकग्राउंड है, वह इस क्षेत्र में तेजी से तरक्की कर सकता है।

व्यक्तिगत गुण
इस क्षेत्र में सफल होने के लिए म्यूजिक व साउंड के प्रति गहरी रुचि आवश्यक है। यह फील्ड क्रिएटिविटी तथा टेक्नोलॉजी की जुगलबंदी है, इसलिए इलेक्ट्रॉनिक व मैकेनिकल म्यूजिकल उपकरणों की समझ जरूरी है। इसके अलावा अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स, पेशंस, एकाग्रता तथा टीम में काम करने की योग्यता होनी चाहिए।

अवसर
साउंड इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स करने के बाद साउंड इंजीनियर, ब्रॉडकास्ट इंजीनियर, साउंड एडिटर ऐंड मिक्सर, साउंड इफेक्ट एडिटर, म्यूजिक एडिटर, री-रिकॉर्डिंग मिक्सर, स्टूडियो इंजीनियर, डायलॉग एडिटर, लोकेशन साउंड इंजीनियर आदि पदों पर काम कर सकते हैं। टीवी इंडस्ट्री के चौतरफा विकास से साउंड इंजीनियर्स का स्कोप बढ़ता जा रहा है। टीवी व फिल्मों के अलावा एडवरटाइजिंग, ब्रॉडकॉस्टिंग तथा मल्टीमीडिया व एनिमेशन इंडस्ट्री में भी काम मिल मिल सकता है। अनुभव प्राप्त करने के बाद अपना स्वयं का रिकॉर्डिंग स्टूडियो भी खोला जा सकता है।

पाठ्यक्रम
साउंड इंजीनियरिंग कोर्स के तहत साउंड रिकॉर्डिंग, एडिटिंग व मिक्सिंग की तकनीकी व व्यावहारिक जानकारी दी जाती है। इसके अलावा छात्रों को रिकॉर्डिग टूल जैसे- टेप मशीन, स्पीकर, एम्पलीफायर्स, सिंगल प्रोसेसर तथा माइक्रोफोन आदि का इस्तेमाल करना सिखाया जाता है। ऑडियो राइटिंग, बेसिक थ्योरी ऑफ साउंड फ्रिक्वेंसीज, साउंड स्पेशल इफेक्ट्स आदि के बारे में भी पढ़ाया जाता है।

कोर्स
कई संस्थानों द्वारा साउंड इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट तथा पीजी डिप्लोमा स्तर के कोर्स कराए जाते हैं। इनकी अवधि 6 माह से 3 वर्ष के बीच है, जो कि संस्थान द्वारा पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम पर निर्भर करता है। इन कोर्सेज में एडमिशन के लिए किसी विशेष शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है।

कमाई
साउंड इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सैलरी पद, अनुभव तथा इंडस्ट्री के प्रकार-फिल्म, टीवी या रेडियो के आधार पर निर्भर करती है। किसी अच्छे इंस्टीट्यूट से कोर्स करने के बाद इस क्षेत्र में शुरुआती सैलरी 15,000 रुपये से 20,000 रुपये प्रतिमाह तक हो सकती है। इस फील्ड में जाना-पहचाना नाम बन जाने के बाद, तो लाखों की कमाई कर सकते हैं।

संस्थान
 1. दिल्ली फिल्म इंस्टीट्यूट, दिल्ली
 2. श्री ओरोबिंदो सेंटर फॉर आर्ट एंड कम्युनिकेशन, नई दिल्ली
 3. फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे
 4. एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म ऐंड टीवी, नोएडा, उत्तर प्रदेश
 5. एमजीआर गर्वमेंट फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, सीआईटी कैम्पस, चेन्नई
 6. विस्लींग वुड्स इंटरनेशनल, गोरेगॉव, मुंबई
 7. सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता, वेस्ट बंगाल
 8. आडियोफिल इंस्टीट्यूट ऑफ साउंड इंजीनियरिंग, कोच्चि, केरल
 9. एसएई टेक्नोलॉजी कॉलेज, मुंबई
 10. बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, पटना

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