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साइकोलॉजी

 बदलती जीवनशैली तथा बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के कारण तनाव बढ़ रहे हैं, जिनसे छुटकारा पाने व जीवनशैली से सामंजस्य स्थापित करने के लिए साइकोलॉजिस्ट्स की मदद ली जा रही है। साइकोलॉजी ट्रीटमेंट बिना दवाइयों का सेवन किए और सोच में परिवर्तन लाने पर आधारित होता है। यही कारण है कि इसकी लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ रही है।

बदलती जीवनशैली तथा बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के कारण तनाव बढ़ रहे हैं, जिनसे छुटकारा पाने व जीवनशैली से सामंजस्य स्थापित करने के लिए साइकोलॉजिस्ट्स की मदद ली जा रही है। साइकोलॉजी ट्रीटमेंट बिना दवाइयों का सेवन किए और सोच में परिवर्तन लाने पर आधारित होता है। यही कारण है कि इसकी लोकप्रियता दिनोंदिन बढ़ रही है। पहले साइकोलॉजिस्ट की भूमिका केवल पागलपन से संबंधित बीमारियों तक ही सीमित समझी जाती थी। आज बनते-बिगड़ते रिश्तों, तेजी से तरक्की की लालसा तथा बढ़ती आत्महत्याओं के कारण साइकोलॉजिस्ट की भूमिका और अधिक बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त परीक्षा के दिनों में छात्रों पर बढ़ रहे तनाव के कारण स्कूलों व कॉलेजों में भी साइकोलॉजिस्ट विशेषज्ञों की नियुक्ति हो रही है। यही कारण है कि यह विषय काफी पॉपुलर हो रहा है।

विशेषता
यह पाठ्यक्रम केवल किताबी ज्ञान पर आधारित नहीं है, बल्कि इसके अंतर्गत छात्रों को प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है। इसके लिए छात्रों को आवश्यक जगहों पर ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। हर उम्र के लोगों के साथ, विभिन्न परिस्थितियों में किस प्रकार भावनात्मक रूप से जुड़कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए, यह विशेष रूप से सिखाया जाता है। इसके अलावा छात्रों को क्रिमिनल साइकोलॉजी, सोशल ग्रुप, न्यूरो लॉ पढ़ाया जाता है।

कोर्स
 • बीए/बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी (3 वर्ष)
 • एमए/एमएससी इन साइकोलॉजी (2 वर्ष)
 • पीजी डिप्लोमा इन साइकोलॉजी (2 वर्ष)

योग्यता
बीए या बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी में दाखिले के लिए 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं पास होना अनिवार्य है। इसके अलावा पीजी या डिप्लोमा भी कर सकते हैं, जिसके लिए 55 प्रतिशत अंकों के साथ साइकोलॉजी विषय में स्नातक डिग्री आवश्यक है। एमफिल या पीएचडी करने के लिए 55  प्रतिशत अंकों के साथ साइकोलॉजी में पीजी जरूरी है।

व्यक्तिगत गुण
सफल साइकोलॉजिस्ट्स बनने के लिए अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स, धैर्यशील तथा सभी उम्र के लोगों के साथ काम करने की कला होनी चाहिए। इसके साथ ही साइकोलॉजिस्ट्स के लिए सेंसिटिव, केयरिंग, आत्मविश्वासी होने के साथ क्लाइंट को संतुष्ट करने की योग्यता भी आवश्यक है।

अवसर
भारत में इस पाठ्यक्रम की मांग को देखते हुए विशेषज्ञों की संख्या काफी कम है। साइकोलॉजी  विषय के छात्रों का प्लेसमेंट रिकार्ड बेहतर रहा है। इसके अलावा छात्र खुद का क्लीनिक सेंटर खोलकर भी काफी पैसे कमा सकते हैं। इस क्षेत्र में रोजगार की कोई कमी नहीं है। साइकोलॉजिस्ट्स सरकारी व निजी अस्पतालों, क्लीनिकों, यूनिवर्सिटी, स्कूलों, सरकारी एजेंसियों, प्राइवेट इंडस्ट्रीज, रिसर्च आर्गेनाइजेशंस, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कार्पोरेट हाउसेस में रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। पारंपरिक साइकोलॉजिस्ट्स क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन के अलावा कुछ नए क्षेत्र सामने आए हैं। इनमें भी काफी अवसर हो सकते हैं।

कमाई
इस क्षेत्र में सैलरी कार्य क्षेत्र तथा अनुभव पर निर्भर करती है। शुरुआती दौर में लगभग 8000 से 10000 रुपये प्रतिमाह कमाया जा सकता है। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद कमाई 15000 से 20000  रुपये प्रतिमाह तक हो सकती है। यदि एक्सपीरियंस के बाद खुद की प्रैक्टिस की जाए तो उसमें भी अच्छी कमाई होती है।

संस्थान
 1. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
 2. दिल्ली यूनिवर्सिटी
 3. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजी ऐंड अलॉइड साइंसेस, नोएडा
 4. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
 5. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
 6. यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद
 7. पटना यूनिवर्सिटी
 8. रांची यूनिवर्सिटी
 9. गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर
 10. पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
 11. यूनिवर्सिटी ऑफ पुणे
 12. नागपुर यूनिवर्सिटी
 13. यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई
 14. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर
 15. यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता
 16. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ ऐंड न्यूरो साइंस, बेंगलुरु

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