कल और आज में बहुत फर्क है। अगर आप कुंदनलाल सहगल का कोई रिकॉर्ड सुनते हैं, तो उसमें मूल आवाज सुनने को मिलती है। हवा और आसपास की आवाजें भी उसमें शामिल हो जाती थीं। दरअसल, पहले आवाज को ओरिजनली रिकॉर्ड किया जाता था, परंतु आज उन्नत तकनीक के जरिये उसे रिकॉर्ड किया जाता है और उसमें आवश्यकतानुसार बदलाव लाए जाते हैं। यह सब संभव हो पाया है ऑडियो इंजीनियरिंग से।
कल और आज में बहुत फर्क है। अगर आप कुंदनलाल सहगल का कोई रिकॉर्ड सुनते हैं, तो उसमें मूल आवाज सुनने को मिलती है। हवा और आसपास की आवाजें भी उसमें शामिल हो जाती थीं। दरअसल, पहले आवाज को ओरिजनली रिकॉर्ड किया जाता था, परंतु आज उन्नत तकनीक के जरिये उसे रिकॉर्ड किया जाता है और उसमें आवश्यकतानुसार बदलाव लाए जाते हैं। यह सब संभव हो पाया है ऑडियो इंजीनियरिंग से।
क्या है ऑडियो इंजीनियरिंग
ऑडियो साइंस की ही एक ब्रांच है ऑडियो इंजीनियरिंग। इसमें साउंड कैप्चर करने, रिकॉर्डिंग करने, कॉपी करने, एडिटिंग एवं मिक्सिंग करने, इलेक्ट्रॉनिक एवं मैकेनिकल उपकरणों द्वारा आवाज में उतार-चढाव लाने संबंधी कार्य किए जाते हैं। यह पूरा कार्य पोस्ट प्रोडक्शन के अंतर्गत आता है। इलेक्ट्रॉनिक मिक्सिंग बोर्ड के जरिये रिकॉर्डिंग एवं एडिटिंग प्रॉसेस में साउंड इनपुट जैसे स्विच, डायल, लाइट्स एवं मीटर को नियंत्रित किया जाता है। यह कार्य ऑडियो इंजीनियर करते हैं। कुछ जगहों पर इन्हें रिकॉर्डिंग इंजीनियर या साउंड इंजीनियर भी कहा जाता है।
क्वालिफिकेशन
ऑडियोग्राफी, साउंड रिकॉर्डिंग या ऑडियो इंजीनियरिंग में डिप्लोमा अथवा डिग्री कोर्स रखने वाले इस क्षेत्र में आ सकते हैं। ऑडियो इंजीनियरिंग में बैचलर अथवा पीजी डिग्री को वरीयता दी जाती है। जिन छात्रों के पास इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग एवं फाइन आर्ट्स की पृष्ठभूमि रही है, वे भी इस कोर्स के लिए उपयुक्त साबित हो सकते हैं।
पाठ्यक्रम
ऑडियो इंजीनियरिंग में साउंड रिकॉर्डिंग, एडिटिंग एवं मिक्सिंग के तकनीकी एवं रचनात्मक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसमें अधिकतर कोर्स की शुरुआत ही साउंड एवं रिकॉर्डिंग, पोस्ट प्रोडक्शन एवं ब्रॉडकास्टिंग की आधारभूत थ्योरी एवं फ्रीक्वेंसी से की जाती है। इसके तकनीकी पहलुओं के अंतर्गत ही साउंड मिक्सिंग में स्पेशल इफेक्ट्स डाला जाता है। कोर्स के बाद छात्र रिकॉर्डिंग टूल्स, माइक्रोफोन के प्रयोग के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ हो जाते हैं। इसके अलावा ऑडियो राइटिंग, इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक, साउंड रिकॉर्डिंग, म्यूजिक बिजनेस, मल्टीट्रैक प्रोडक्शन आदि कई ऐसे एरिया हैं, जिन्हें ऑडियो इंजीनियरिंग के तहत शामिल किया जाता है।
स्किल्स
यह फील्ड उन इंजीनियरों के लिए है, जो विज्ञान के साथ-साथ कला में भी रुचि रखते हैं। सुरों की समझ रखने वालों को इस क्षेत्र में बहुत आनंद आता है। इसके अलावा कमिटमेंट तो होना जरूरी है ही। मैथ्स और फिजिक्स की बेसिक नॉलेज होनी चाहिए। एक ऑडियो इंजीनियर को टेक्निकल नॉलेज, इलेक्ट्रिकल एप्टीट्यूड, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल सिस्टम एवं इक्विपमेंट जानकारी होनी आवश्यक है। एकाग्रता, धैर्य, अच्छी समझ, अच्छी लय की जरूरत, अच्छे रिदम जैसे गुण ऑडियो इंजीनियर के लिए जरूरी हैं। रिकॉर्डिंग माध्यमों, जैसे एनालॉग टेप, डिजिटल मल्टीट्रैक रिकॉर्डर एवं कम्प्यूटर नॉलेज की जानकारी सहायक साबित होती है।
अपार संभावनाएं
एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री तेजी से उभर रही है। ग्लोबल होने के कारण अब यहां अच्छा पैसा भी आ रहा है। इसमें ऑडियो इंजीनियरिंग एक उभरता हुआ करियर है। भारत और विदेश में फिल्म, वीडियो प्रोडक्शन, साउंड ब्रॉडकास्टिंग एवं एडवटाइजिंग में काफी संभावनाएं मौजूद हैं। इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए ऑडियो इंजीनियरिंग में डिप्लोमा या डिग्री करने के बाद मूवी, टेलीविजन, एडवरटाइजिंग, मल्टीमीडिया संस्थान, ब्रॉडकास्टिंग, सीडी प्रोडक्शन आदि में जॉब पा सकते हैं। ऑडियो इंजीनियर को म्यूजिक इंडस्ट्री सबसे ज्यादा लुभाती है। इसमें प्रारंभ में रिकॉर्डिंग इंजीनियर के सहायक के रूप में करियर आरंभ कर सकते हैं। अपने अनुभव के आधार पर जल्द ही ऑडियो इंजीनियर बन सकते हैं। इसके अतिरिक्त माइक्रोफोन, रिकॉर्डर, मिक्सर एवं सॉफ्टवेयर, म्यूजिक एवं स्पीच में कई तरह के काम सामने आते हैं। साउंड, म्यूजिक, डायलॉग, स्पेशल इफेक्ट्स, म्यूजिक प्रोड्यूसर को भी स्पेशलाइजेशन के रूप में अपनाया जा सकता है। म्यूजिक प्रोड्यूसर बनने के बाद खुद का रिकॉर्डिंग स्टूडियो भी शुरू किया जा सकता है।
कमाई
ऑडियो इंजीनियर को शुरुआत में 10,000 रुपये प्रतिमाह मिल जाते हैं, लेकिन अनुभव हो जाने के बाद सैलरी में तेजी से इजाफा होता है। तीन से चार साल के अनुभव के बाद सैलरी 30-35 हजार रुपये तक पहुंच जाती है।
इंस्टीट्यूट्स
- फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे-04
- सत्यजीत रे फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, कोलकाता,
- एसएई टेक्नोलॉजी कॉलेज, तमिलनाडु
- एशियन एकेडमी ऑफ फिल्म ऐंड टेलीविजन, नोएडा
इंजीनियरिंग एक भूमिकाएं अनेक
ऑडियो इंजीनियरिंग में कई तरह के करियर ऑप्शंस है। जानिए इनकी क्या-क्या हैं भूमिकाएं.
- स्टूडियो इंजीनियर : साउंड रिकॉर्ड करने, आवाज को बेहतरीन एवं नियंत्रित करने के लिए स्टूडियो में म्यूजिक एवं स्पीच को आकर्षक रूप देना स्टूडियो इंजीनियर का कार्य है। यह ऑडियो इंजीनियर का महत्वपूर्ण पद होता है।
- ब्रॉडकास्ट इंजीनियर : इनका कार्य ब्रॉडकास्ट से जुडे उपकरणों को सेट करने से लेकर उनकी देखभाल तक का होता है।
- साउंड एडिटर : साउंड एडिटर डायलॉग एडिटर, म्यूजिक एडिटर एवं साउंड इफेक्ट एडिटर तीनों का काम देखता है।
- डायलॉग एडिटर : मूवी, टीवी चैनल प्रोग्राम के एनालॉग को एडिट करता है।
- म्यूजिक एडिटर : म्यूजिक एडिटर म्यूजिक ट्रैक को एडिट करता है।
- साउंड इफेक्ट एडिटर : यह साउंड इफेक्ट को अंतिम रूप देने के प्रति उत्तरदायी होता है।
- मिक्स इंजीनियर :यह किसी भी म्यूजिक को अंतिम रूप देते हैं। साथ ही यह विभिन्न रिकॉर्डिंग ट्रैक को एक रूप में मिलाते हैं।
- रिकॉर्रि्डग इंजीनियर : इनका कार्य मुख्यत: प्रमुख उपकरणों जैसे माइक्रोफोन, मिक्सर, हेडफोन आदि को सेट करना होता है।
- साउंड डिजाइनर : साउंड डिजाइनर किसी भी फिल्म, म्यूजिक एवं प्रस्तुति के साउंड को डिजाइन करने तथा बिखरे हुए तत्वों को मिलाते हैं।
- स्टूडियो मैनेजर : साउंड मैनेजर रिकॉर्डिंग के लिए स्टूडियो की बुकिंग एवं मेंटीनेंस के प्रति जिम्मेदार होते हैं। ये म्यूजिक प्रोड्यूसर, इंजीनियर एवं म्यूजीशियन को लाभ पहुंचाते हैं। साथ ही फाइनेंशियल मामलों को भी देखते हैं।
Date: 04 August 2010
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