आजकल कोरोना वायरस के चलते, 'वर्क फ्रॉम होम' समय की प्रमुख मांग बन चुका है. मगर क्यों ज़रूरी है काम की ये नयी परिभाषा और कैसे हो सकती है ये कामयाब. आइये जानते हैं!
इन दिनों दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस अर्थात ‘कोविड – 19’ का प्रकोप छाया हुआ है और हमारे देश में भी अब कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में, देश-दुनिया की जानी-मानी कंपनियां और बड़े ब्रांड जैसेकि, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फ्लिपकार्ट, एप्पल और अमेज़न अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का विकल्प अनिवार्य तौर पर उपलब्ध करवा रहे हैं. लेकिन ‘वर्क फ्रॉम होम’ असल में क्या है? जैसेकि इसके नाम से पता चल रहा है, आप प्रत्यक्ष तौर पर तो अपने घर पर ही रहते हैं लेकिन अपने घर से ही आप अपने डेस्क-टॉप कंप्यूटर, लैपटॉप या आईपैड के जरिये अपने दफ्तर या कंपनी के वे सारे जरुरी काम रोज़मर्रा की तरह ही निपटाते हैं. वैसे तो दुनिया के कई विकसित देशों में बड़ी कंपनियां और कॉर्पोरेट घराने अपने कर्मचारियों को ‘घर से काम’ करने का विकल्प देते हैं लेकिन हमारे देश में अभी यह अवधारणा कुछ नई है.
आखिर घर से काम करना क्यों है महत्त्वपूर्ण और जरुरी भी?
वैसे तो लोग आदतन सुबह उठकर रोज़ाना अपने दफ्तर या कंपनी परिसर में जाने के लिए तैयार होते हैं लेकिनं आजकल देश-दुनिया में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सब तरफ़ चिंता और डर का माहौल छाया हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अब कोरोना वायरस को एक महामारी का दर्जा दे दिया है. हमारे देश की आबादी चीन के बाद दुनिया में सबसे अधिक है और भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने से देश के 1.35 अरब से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य और जान पर संकट गहराता ही जा रहा है. यहां यह तथ्य भी विचार करने के लायक है कि,भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत मौजूदा समय में कोविड – 19 की स्टेज 2 से गुजर रहा है और अगर यह कोरोना वायरस हमारे देश में स्टेज 3 पर पहुंच जाता है तो भारत में उपलब्ध स्वास्थ्य संबंधी आधारभूत सुविधाओं के साथ इस स्थिति अर्थात कोरोना वायरस की महामारी से बचना बहुत मुश्किल हो जायेगा.
आसान शब्दों में आप इस तथ्य को कुछ इस तरह भी समझ सकते हैं कि, किसी भी महामारी या संक्रामक रोग के किसी भी स्थान या देश में फ़ैलने की 4 स्टेज या अवस्थाएं होती हैं –
- स्टेज 1 – विदेशों से आये रोगी या संक्रमित लोग
- स्टेज 2 – स्थानीय संक्रमण
- स्टेज 3 – सामूहिक संक्रमण/ समुदाय में बीमारी फैलना
- स्टेज 4 – संक्रामक रोग महामारी बन जाता है.
जब हम किसी भी बीमारी के सामूहिक संक्रमण की बात करते हैं तो इसमें बीमारी या वायरस फ़ैलने की वह स्थिति होती है जब वे लोग भी संबद्ध बीमारी/ वायरस से ग्रस्त हो जाते हैं जो किसी विदेश यात्रा पर नहीं गए थे और न ही उनके आस-पास किसी व्यक्ति को वह बीमारी हुई थी.
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‘सोशल डिस्टेंसिंग’ (सामजिक दूरी) – आज के समय की मांग
जैसेकि हम सभी इस बात से अवगत हैं कि हमारा देश इन दिनों कोविड – 19 की स्टेज 3 से बचने का भरपूर प्रयास कर रहा है तो ऐसे समय में, कोरोना वायरस के गढ़ चीन सहित अन्य कई देशों द्वारा अपनाए गए कारगर तरीके ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ को हमारे देश के अधिकतर संगठन भी अपना रहे हैं ताकि कोरोना वायरस भारत में महामारी का विकराल रूप धारण न कर ले. आइये समझते हैं कि आखिर यह ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ है क्या?
- ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का अर्थ
अगर हम आसान शब्दों में समझने की कोशिश करें तो ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का अर्थ हमारे समाज में सभी लोगों के बीच समुचित शारीरिक दूरी कायम रखना है ताकि लोग स्वस्थ रहें और किसी वायरस या संक्रमण का शिकार होने से बचे रहें. ऐसे में, लोगों को भीड़भाड़ वाले स्थानों जैसेकि, मॉल, बाज़ार, जिम, सिनेमाघर या विभिन्न धार्मिक-सामाजिक सभाओं में शामिल न होने की सलाह दी जाती है.
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- ‘कोविड – 19’ : ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ है बचाव की पहली शर्त
वैसे आजकल तो देश-दुनिया में इस ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ की अवधारणा को वास्तविकता का जामा पहनाने के लिए शहर बंद या घर से काम जैसे कारगर तरीकों को अपनाने के लिए देश-विदेश की सरकारें आदेश दे रही हैं ताकि कोविड – 19 महामारी बनकर दुनिया के करोड़ों लोगों की जान न ले सके. दरअसल, जब लोग आपस में कम से कम मिलेंगे तो वे खुद, उनके परिवार और दोस्त तथा दफ्तर के सहयोगी कोविड 19 के प्रकोप से बच सकेंगे.
- ‘वर्क फ्रॉम होम’ (घर से काम) – ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का एक कारगर साधन
बेशक अगर हम लोगों के बीच में शारीरिक तौर पर ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ कायम करना चाहते हैं तो इसके लिए हमें व्यावसायिक क्रिया-कलापों को भी कम करना होगा ताकि लोग रोज़ाना आपस में कम से कम मिलें.यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि हम अपनी सारी आर्थिक क्रियाओं को तो नहीं रोक सकते क्योंकि इससे देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. ऐसे में, भारत सहित कोरोना वायरस से प्रभावित अन्य देशों की कई छोटी-बड़ी कंपनियों और कारोबारों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है जिसके भविष्य में बहुत निरशाजनक परिणाम हो सकते हैं.
इसलिए, इन दिनों हमारे देश के भी अधिकतर नियोक्ता/ एम्पलॉयर्स अपने कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से ‘घर से काम’ करने का विकल्प दे रहे हैं ताकि उनके कर्मचारी इस वायरस से बचे रहें और कंपनी के रोज़मर्रा के सभी कामकाज और कोरोबार भी चलता रहे.
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घर से काम करने में उत्पादकता/ कामयाबी हासिल करने के लिए कुछ जरुरी शर्तें
आजकल के इस खतरनाक माहौल में, जब लोगों के स्वाथ्य के साथ प्रत्येक कारोबार के आर्थिक लक्ष्य हासिल करना भी बहुत जरुरी है, तो हमारे सामने यह सवाल बरबस ही उठता है कि, कैसे हम घर से काम करने की इस अनिवार्यता में उत्पादकता या कामयाबी को हासिल करें? इसके लिए कर्मचारियों और नियोक्ताओं को कुछ ज़रूरी बातों पर ध्यान देना होगा जैसेकि:
- गाइड लाइन्स – घर से काम करने की पहली शर्त यह है कि आप सही माइंड-सेट से इस अवधारणा को सफल बनाने की पूरी कोशिश करेंगे. आपको यह समझना होगा कि, घर से काम करने का यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि आप छुट्टी पर हैं. आपको अपने घर पर भी ठीक ऐसे ही काम करना होगा जैसेकि आप रोज़ाना अपने दफ्तर में काम करते हैं.
- काम का स्थान –घर से काम करने के लिए आपको अपने घर में काम का स्थान भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए. घर पर आपके काम का स्थान ऐसा होना चाहिए जिसमें आपके पास सभी जरुरी सुविधाएं जैसेकि, लैपटॉप, मोबाइल और इंटरनेट कनेक्शन के साथ आपके बैठने की अच्छी सुविधा भी उपलब्ध हों ताकि आप अपना दफ्तर का सारा काम बखूबी निपटा सकें.
- काम का परिवेश – आप अपने घर पर समुचित तरीके से काम करने के लिए काम करने का उपयुक्त माहौल भी कायम रखें. आपके परिवार के सदस्यों की उपस्थिति आपके घर से काम करने में बाधा नहीं बननी चाहिए. अगर आपको किसी बिजनेस कॉल के लिए एकांत चाहिए तो वह आपको अपने घर पर मिलना ही चाहिए.
- समुचित संपर्क और नेटवर्किंग –यहां कर्मचारियों के साथ-साथ नियोक्ताओं/ एम्पलॉयर्स या कंपनी मैनेजमेंट को भी ध्यान देना होगा कि घर से काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी के साथ संबद्ध कंपनी या दफ्तर की संपर्क कायम करने की तकनीक और नेटवर्क बहुत सुदृढ़ होना चाहिए ताकि घर से काम करते समय इन कर्मचारियों को किसी तरह की तकनीकी परेशानी न उठानी पड़े, अन्यथा संबद्ध कर्मचारी की उत्पादकता कम हो जायेगी. कर्मचारी, मैनेजमेंट और अन्य सहयोगियों के बीच 24x7 आधार पर बेहतरीन संपर्क की व्यवस्था होनी चाहिए.
सारांश
कोविड 19 आज हमारे देश सहित पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया है. हमारे देश में अगर अभी कठोर कदम नहीं उठाये जाते तो हम कोविड 19 की स्टेज 3 की चपेट में आ जायेंगे जिसके बड़े घातक सामाजिक, आर्थिक परिणाम होंगे. इसलिए, सामाजिक दूरी इन दिनों पहली अनिवार्यता बन गई है और घर से काम करना सामाजिक दूरी का पहला कारगर तरीका है तो फिर क्यों न सभी नियोक्ता और कर्मचारी घर से काम करने की अवधारणा को उत्पादकता और कामयाबी दिलवाने के लिए अपने तन-मन से पुरजोर कोशिश करें.
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