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डिजास्टर मैनेजमेंट

 मानव को प्राकृतिक आपदा का सामना प्राचीन काल से ही करना पड़ रहा है। अपनी विशिष्ट भू-जलवायु के चलते परंपरागत रूप से भारत का एक बड़ा क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टि से अति संवेदनशील रहा है। इसके अलावा बड़ी दुर्घटनाएं भी कई बार आपदा का रूप ले लेती हैं। बीस सालों में आपदाएं पांच गुना बढ़ी हैं।

मानव को प्राकृतिक आपदा का सामना प्राचीन काल से ही करना पड़ रहा है। अपनी विशिष्ट भू-जलवायु के चलते परंपरागत रूप से भारत का एक बड़ा क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टि से अति संवेदनशील रहा है। इसके अलावा बड़ी दुर्घटनाएं भी कई बार आपदा का रूप ले लेती हैं। बीस सालों में आपदाएं पांच गुना बढ़ी हैं। सरकार को इसके लिए जीडीपी का 2.5 फीसदी खर्च करना पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में आपदाओं के प्रति वैश्विक स्तर पर प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ी है। भारत में भी सरकार ने आपदा प्रबंधन पर नीतिगत ढांचा तैयार किया है। इसके बाद से इसमें व्यवस्थित तौर पर रोजगार पैदा हुआ है। सरकार, एनजीओ, अनेक निजी संस्थान आपदा प्रबंधन को प्राथमिकता दे रहे हैं। यही कारण है कि इस क्षेत्र में प्रशिक्षित पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है।

कार्य
डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स का मुख्य काम आपदा के शिकार लोगों की जान बचाना और उन्हें मुख्य धारा में फिर से वापस लाना होता है। इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आवश्यक धन उपलब्ध कराती हैं। इन सबमें मुख्य सरकारी एजेंसी के रूप में गृह मंत्रालय बड़ी भूमिका निभाता है। वह आपदा के समय डिजास्टर मैनेजमेंट का कार्य संभालता है। कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय सूखे और अकाल के वक्त अपनी जिम्मेदारियां निभाता है। वहीं, अन्य विपदाओं के लिए दूसरे मंत्रालय भी जिम्मेदार होते हैं, जैसे- हवाई दुर्घटनाओं के लिए सिविल एविएशन मिनिस्ट्री, रेल दुर्घटनाओं के लिए रेल मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय आदि भी विभिन्न प्रकार की विपदाओं के समय जिम्मेदारियां निभाते हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट में प्रशिक्षित लोग आपदा के वक्त बहुमूल्य होते हैं। ट्रेनिंग के दौरान स्टूडेंट्स को आपातकालीन स्थितियों में प्रबंधन के बारे में ट्रेंड किया जाता है।  

शैक्षिक प्रयास
भारत सरकार ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल की है। मानव संसाधन मंत्रालय ने दसवीं पंचवर्षीय परियोजना में डिजास्टर मैनेजमेंट को स्कूल और प्रोफेशनल एजुकेशन में शामिल किया था। वर्ष 2003 में पहली बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने आठवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान विषय के पाठ्यक्रम में इसे जोड़ा। इसके बाद आगे की कक्षाओं में और सरकारी व गैर सरकारी उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में भी डिजास्टर मैनेजमेंट की पढ़ाई होनी लगी।

योग्यता
सर्टिफिकेट कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता बारहवीं पास है, जबकि मास्टर डिग्री या पीजी डिप्लोमा के लिए न्यूनतम योग्यता स्नातक है। इस कोर्स में एडमिशन लेने वालों में हर परिस्थिति में काम करने का जज्बा जरूर होना चाहिए। कुछ संस्थान प्रोफेशनल्स के लिए भी सर्टिफिकेट कोर्स चलाते हैं।

अवसर
डिजास्टर मैनेजमेंट के क्षेत्र में आम तौर पर सरकारी नौकरियों में, आपातकालीन सेवाओं में, लॉ इन्फोर्समेंट, लोकल अथॉरिटीज, रिलीफ एजेंसीज, गैर सरकारी प्रतिष्ठानों और यूनाइटेड नेशन जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों में नौकरी मिल सकती है।
प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरी पाई जा सकती है, जैसे केमिकल, माइनिंग, पेट्रोलियम जैसी रिस्क इंडस्ट्रीज में। आम तौर पर इन इंडस्ट्रीज में डिजास्टर मैनेजमेंट सेल होता है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं रेडक्रॉस और यूएन प्रतिष्ठान भी प्रशिक्षित पेशेवर को काम पर रखते हैं। अनुभव हासिल करने के बाद खुद की कंपनी या फिर एजेंसी भी खोली जा सकती है।

कोर्स
देश के कई प्रबंधन संस्थान डिजास्टर मैनेजमेंट में सर्टिफिकेट से लेकर पीजी डिप्लोमा लेवल के कोर्स संचालित करते हैं। वहीं कई विश्वविद्यालय डिग्री लेवल कोर्स भी ऑफर कर रहे हैं। डिजास्टर मैनेजमेंट के कोर्स रेगुलर और डिस्टेंस लर्निंग के माध्यम से भी कर सकते हैं।     

पाठ्यक्रम
डिजास्टर मैनेजमेंट के तहत रिस्क असेसमेंट ऐंड प्रिवेंटिव स्ट्रैटेजीज, लेजिस्लेटिव स्ट्रक्चर्स फॉर कंट्रोल ऑफ डिजास्टर मिटिगेशन, ऐप्लिकेशन ऑफ जीआईएस इन डिजास्टर मैनेजमेंट, रेस्क्यू आदि विषय आते हैं। इसमें विभिन्न क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन भी किया जा सकता है, जैसे- माइनिंग, केमिकल डिजास्टर और टेक्निकल डिजास्टर वगैरह।

संस्थान
 1. नेशनल सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, नई दिल्ली
 2. सेंटर फॉर सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर
 3. एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, हैदराबाद
 4. डिजास्टर मिटिगेशन इंस्टीट्यूट, अहमदाबाद
 5. एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन ट्रेनिंग ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट हैदराबाद
 6. सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, पुणे
 7. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नोएडा
 8. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नई दिल्ली
 9. नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी, दार्जिलिंग
 10. इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मद्रास यूनिवर्सिटी, चेन्नई
 11. सिक्किम मनिपाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ, मेडिकल ऐंड टेक्नोलॉजिकल साइंसेज, गंगटोक
 12. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इकोलॉजी ऐंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली
 13. नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी, पटना
 14. राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद

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