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जानिये क्या होता है पर्सनालिटी प्रोफाइल साइकोमेट्रिक टेस्ट ?

 पर्सनालिटी प्रोफाइल साइकोमेट्रिक टेस्ट एक नयी टेस्ट विधि है. भविष्य में इस टेस्ट के और अधिक बढ़ने की संभावना है क्योंकि यह उन संस्थाओं के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है, जो अपने कार्य के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं.

एक पर्सनालिटी प्रोफाइल टेस्ट साइकोमेट्रिक टेस्ट की श्रेणी में आता है. पर्सनालिटी प्रोफाइल टेस्ट नियोक्ता को यह पता लगाने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि क्या कैंडिडेट के पास जॉब की जरुरी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता है ? अथवा नौकरी के लिए आवश्यक स्किल्स है या नहीं.नियोक्ता आमतौर पर उम्मीदवार  में उन व्यवहारों की तलाश करता है जो नौकरी प्रोफ़ाइल में महत्वपूर्ण होता है. इससे नियोक्ता को कैंडिडेट के पर्सनालिटी से जुड़े लक्षणों को समझने में भी मदद मिलती है.

वस्तुतः इस इस टेस्ट के जरिये विभिन्न परिस्थितियों में उम्मीदवार द्वारा लिए गए त्वरित निर्णय तथा उपलब्ध सूचनाओं का सही उपयोग किये जाने की कला एवं ज्ञान का परीक्षण किया जाता है. उम्मीदवार को कई परिस्थितियों में से एक को चुनकर उससे सम्बंधित प्रश्नों का उत्तर देना होता है. उसके उत्तर के आधार पर ही उसके व्यक्तित्व का परीक्षण किया जाता है . साथ ही परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था अथवा नियोक्ता के मानकों के अनुसार उम्मीदवार उपरोक्त जॉब के लिए उपयुक्त (सही) है या नहीं इस पर विचार किया जाता है.

वस्तुतः साइकोमेट्रिक टेस्ट में उम्मीदवार की परीक्षा तीन स्तरों पर ली जाती है.पहला, एबिलिटी टेस्टिंग, एप्टीट्यूड टेस्टिंग और पर्सनालिटी असेस्मेंट. एक तरह से इस टेस्ट के जरिए कंपनियां और संगठन संभावित कर्मचारी की काम और संस्थान के संबंध में व्यवहार की अनुकूलता को परखने की कोशिश करते हैं इसमें एक कर्मचारी की सोचने-समझने की क्षमता, टीम के रूप में काम करने की योग्यता और उम्मीदवार की निजी वरीयताओं को जांचा और परखा जाता है.एबिलिटी टेस्ट में एक तरह से सामान्य क्षमता की जांच होती है, जिसमें संख्यात्मक, मौखिक, गैर-मौखिक और स्थान संबंधी जानकारी का परीक्षण किया जाता है.

रही बात पर्सनालिटी प्रोफाइल टेस्ट की तो इसमें उम्मीदवार के कार्य संबंधी व्यवहार की जांच की जाती है. पर्सनालिटी प्रोफाइल टेस्ट के जरिये उम्मीदवार जिस क्षेत्र के लिए आवेदन कर रहा है और जिस परिवेश में उसे काम करना है, उस संबंध में उसके व्यवहार की अनुकूलता को परखा जाता है. आपको बता दें कि पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स की चुनाव प्रक्रिया में उन्हीं उम्मीदवार का साइकोमेट्रिक टेस्ट, ग्रुप डिस्कशन और इंटरव्यू होता है जो कि सब्जेक्ट नॉलेज में पास हो चुके होते हैं. इस टेस्ट के जरिए एम्प्लॉयर को उम्मीदवार के व्यक्तित्व से जुड़े पक्षों को समझने में मदद मिलती है

साइकोमेट्रिक पर्सनालिटी प्रोफाइल टेस्ट में सही या गलत उत्तर के विषय में न सोंचे

पर्सनालिटी प्रोफाइल टेस्ट में कोई सही या गलत उत्तर नहीं होता है. ऐसे प्रश्नों के उत्तर अपनी सूझ बूझ तथा अपने अन्दर की गट फीलिंग के आधार पर दें. कभी भी बनावटी या देखा देखी के आधार पर उत्तर नहीं दें. सबके सोचने, समझने तथा अनुभव करने का तरीका अलग होता है. इसलिए अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर सही गलत का विचार करते हुए अपना उत्तर देने का प्रयास करें.

आम तौर पर ऐसे प्रश्नों के लिए सीमित निर्धारित समय सीमा होती है ताकि आप तत्काल सहज जवाब दे सकें और प्रश्नों के बारे में बहुत अधिक न सोंच पाएं.

कुछ लोकप्रिय पर्सनालिटी प्रोफाइल साइकोमेट्रिक टेस्ट

यूँ तो हजारों टाइप के पर्सनालिटी प्रोफाइल साइकोमेट्रिक टेस्ट हैं लेकिन आजकल दो मुख्य रूप से प्रचलन में हैं-

  • मायर्स - ब्रिग्स
  • फेरो - बी

इस प्रकार हम देखते हैं कि पर्सनालिटी प्रोफाइल साइकोमेट्रिक टेस्ट एक नयी टेस्ट विधि है. भविष्य में इस टेस्ट के और अधिक बढ़ने की संभावना है क्योंकि यह उन संस्थाओं के बीच बहुत तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है, जो अपने कार्य के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश कर रहे हैं. हालांकि फिलहाल यह बहुत सारी संस्थाओं के लिए केवल क्वालिफाइंग है लेकिन भविष्य में इसमें प्राप्त होने वाले नंबरों को अंतिम सूची में जोड़ा जा सकता है. इसलिए ईमानदारी से इस परीक्षा में पूछे जाने वाले सभी प्रश्नों के जवाब दें. इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है.

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