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ऑप्टोमेट्री

 आंखों की बेहतर देखभाल ऑप्टोमेट्रिस्ट करते हैं। उन्हें इनके लिए विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है। ऑप्टोमेट्रिस्ट का पेशा आंखों के परीक्षण, निदान और इलाज से सम्बंधित है। भारत जहां दुनिया का हर तीसरा अंधा आदमी निवास करता है और अन्य लाखों लोग आंख की अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं, वहां ऑप्टोमेट्रिस्ट का पेशा लाभदायक और मानव कल्याण के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।

आंखों की बेहतर देखभाल ऑप्टोमेट्रिस्ट करते हैं। उन्हें इनके लिए विशेष ट्रेनिंग भी दी जाती है। ऑप्टोमेट्रिस्ट का पेशा आंखों के परीक्षण, निदान और इलाज से सम्बंधित है। भारत जहां दुनिया का हर तीसरा अंधा आदमी निवास करता है और अन्य लाखों लोग आंख की अन्य समस्याओं से पीड़ित हैं, वहां ऑप्टोमेट्रिस्ट का पेशा लाभदायक और मानव कल्याण के दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। इस पेशे में नाम, सम्मान और पैसा सभी कुछ है। यदि आंखों की देखभाल में करियर बनाना चाहते हैं, तो इससे संबंधित कोर्स करके ऑप्टोमेट्रिस्ट बन सकते हैं।

कार्य
ऑप्टोमेट्रिस्ट या ऑप्टोमेट्रिक फिजिशियन आंखों की देखभाल और नेत्र जांच में इस्तेमाल होनेवाले उपकरणों के रख-रखाव आदि के विशेषज्ञ होते हैं। ऑप्टोमेट्रिस्ट नेत्र चिकित्सक की तरह आंखों को जांच कर चश्मा अथवा लेंस इत्यादि की सलाह देते हैं, पर सर्जरी और अन्य बड़ी जिम्मेदारी वाले कार्य नहीं कर सकते हैं। वे सभी उपचार ऑप्टिकल उपकरणों के माध्यम से करते हैं। वे आंखों के एरर, कलर ब्लाइंडनेस, दूर व नजदीक देखने की परेशानी, वंशानुगत नजर की समस्याओं आदि का इलाज भी करते हैं। वे आंखों की जांच कर नजर का चश्मा अथवा लेंस तो देते ही हैं, साथ ही उन्हें खुद बनाते भी हैं।

योग्यता
ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने के लिए ऑप्टोमेट्री में बैचलर डिग्री या बीएससी अथवा डिप्लोमा कोर्स करना जरूरी है। बैचलर डिग्री और बीएससी कोर्स के लिए बारहवीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स या बायोलॉजी व अंग्रेजी के साथ ही कम से कम 50 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होना आवश्यक है। डिप्लोमा कोर्स के लिए उम्मीदवार को दसवीं या बारहवीं उत्तीर्ण होना चाहिए. जिसने क्लिनिकल ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा कोर्स किया है, वे ऑप्टोमेट्री के बैचलर डिग्री कोर्स के तीसरे वर्ष में सीधे प्रवेश पा सकते हैं। डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो वर्ष है तथा बैचलर डिग्री का कोर्स चार वर्ष की अवधि का होता है। बैचलर डिग्री में तीन साल की पढ़ाई और एक साल की इंटर्नशिप होती है। इस इंटर्नशिप के अंतर्गत स्टूडेंट्स को किसी क्लीनिक या अस्पताल में आंख के डॉक्टर के अधीन काम करना होता है। इसमें प्रवेश आईसीईटी एग्जाम में उत्तीर्ण होने के बाद ही होता है। यह एग्जाम संपूर्ण देश में सेंट्रलाइज्ड और कम्बाइंड होता है।

कमाई
किसी अच्छे इंस्टीट्यूट से कोर्स पूरा करने के बाद शुरुआती दौर में 15000 से 20000 रुपये प्रतिमाह  तक मिल सकते हैं। अन्य इंस्टीट्यूट से कोर्स करने पर 10000 रुपये के लगभग तनख्वाह मिल जाती है। वैसे वेतनमान ज्यादातर काबिलियत और अनुभव पर निर्भर करता है।

अवसर
वर्तमान समय में ऑप्टोमेट्री में कोर्स करने के बाद ऑप्टोमेट्रिस्ट के पास विकल्पों की कमी नहीं है। वे आंखों की क्लीनिक, ऑप्टिकल लेंस मैन्युफैक्चरिंग यूनिट इत्यादि खोल सकते हैं। इसके अलावा, कांटेक्ट लेंस और ऑप्थेल्मिक लेंस इंडस्ट्री और विभिन्न विभागों के नेत्र विभाग में भी काम कर सकते हैं। कार्पोरेट सेक्टर में नेत्र संबंधी प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनी में प्रोफेशनल सर्विस एक्जीक्यूटिव के पद पर भी कार्य कर सकते हैं। ध्यातव्य रहे कि आंख के डॉक्टरों को प्रशिक्षित असिस्टेंट की काफी जरूरत पड़ती है, जो कुशल तरीके से चश्मा, लेंस और अन्य नेत्र उपकरण बना सकें। इसके अलावा, नेत्र उपचार में आने वाली चीजों का रखाव-रखाव भी महत्वपूर्ण होता है। चूंकि सरकारी नियमों के अनुसार ऑप्टिकल दुकानों में भी प्रशिक्षित ऑप्टीशियन को ही रखने का प्रावधान है, इसलिए वहां भी ऑप्टोमेट्रिस्ट की ही जरूरत होती है। सरकार के माध्यम से चलाए जा रहे हेल्थ सेंटरों पर भी इनकी मांग काफी ज्यादा है।

संस्थान
 1. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, दिल्ली
 2. जामिया हमदर्द, फैकॅल्टी ऑफ मेडिसिन, दिल्ली
 3. स्कूल ऑफ ऑप्टोमेट्री : गांधी नेत्र अस्पताल, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
 4. स्कूल ऑफ ऑप्टोमेट्री : जनकल्याण नेत्र अस्पताल, लखनऊ
 5. सीतापुर आई हॉस्पिटल, सीतापुर
 6. वीबीएस पूर्वाचल यूनिवर्सिटी, जौनपुर
 7. इंदिरागांधी इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना
 8. पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना
 9. गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पटियाला
 10. मेडिकल कॉलेज, अमृतसर
 11. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्टोमेट्रिक साइंस, कोलकाता

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