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भारत में ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर का पेशा और करियर स्कोप

 भारत में ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर का पेशा लैंग्वेज एक्सपर्ट्स के लिए एक बेहतरीन करियर ऑप्शन साबित हो सकता है. कैसे??.......आइये इस आर्टिकल को पढ़कर समझें.

दुनिया-भर में हजारों लैंग्वेजेज बोली और लिखी जाती हैं और दुनिया-भर की सभी लैंग्वेजेज को सीखने और समझने में ट्रांसलेशन का विशेष महत्व होता है. दरअसल, ट्रांसलेशन को एक भाषा अर्थात लैंग्वेज से दूसरी लैंग्वेज में विचार, संदेश या अपनी बात समझाने के लिए नॉलेज का सोर्स भी कहा जा सकता है. मानव सभ्यता की शुरुआत से ही दुनिया के सभी देशों के लोगों ने एक-दूसरे के विचारों और ज्ञान को जानने और समझने की कोशिश की है और इसके लिए संबद्ध देश की लैंग्वेज सीखना और समझना पहली शर्त है. आज भी लगभग 6500 भाषाएं पूरी दुनिया में बोली और लिखी जाती हैं. अब, पूरी दुनिया में बोली या इस्तेमाल की जाने वाली सारी भाषाएं तो हमारी समझ में नहीं आ सकतीं लेकिन हरेक व्यक्ति, समाज और देश अन्य व्यक्तियों, समाजों और देशों के साथ अपने ज्ञान और जानकारी को साझा करना चाहता है और इस वजह से दुनिया की सभी लैंग्वेजेज के लिए ट्रांसलेशन का महत्व काफी बढ़ जाता है. आज इस आर्टिकल में हम आपके लिए ट्रांसलेशन और इंटरप्रिटेशन की जानकारी साझा करने के साथ-साथ भारत में ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर के पेशे और करियर स्कोप की भी चर्चा कर रहे हैं:

‘ट्रांसलेशन’ के बारे में जानकारी

आज दुनिया की सभी प्रमुख भाषाओं में ट्रांसलेशन का काम और पेशा चरम पर है. अब, सबसे पहले तो हम यह समझते हैं कि, वास्तव में ट्रांसलेशन का क्या मतलब होता है? अब तक ट्रांसलेशन की कई परिभाषाएं पेश की गई हैं जैसेकि, ‘ट्रांसलेशन एक मेंटल एक्टिविटी है जिसमें किसी बात, विचार या संदेश  को एक भाषा से किसी अन्य भाषा में पेश किया जाता है.’ यह एक ऐसा काम है जिसमें एक भाषा के शब्दों, वाक्यों और विचारों को किसी अन्य भाषा में तकरीबन समान अर्थों में बदला जाता है.

एक अन्य परिभाषा के अनुसार, ट्रांसलेशन एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें एक भाषा के वर्ड्स और टेक्स्ट मैटर को किसी अन्य भाषा/ भाषाओँ में रूपांतरित कर दिया जाता है जैसेकि, बाइबिल का इंग्लिश लैंग्वेज में ट्रांसलेशन.

ट्रांसलेशन किसी एक भाषा का लिखित या बोला जाने वाला वह हिस्सा है जिसे किसी अन्य भाषा में समान अर्थों सहित रूपांतरित किया गया हो.

ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर के पेशे में होता है एक बड़ा अंतर

किसी एक सोर्स लैंग्वेज से किसी अन्य टारगेट लैंग्वेज में समान अर्थों में किसी लेख को ट्रांसलेट करने वाले व्यक्ति को ट्रांसलेटर या अनुवादक कहते हैं और जो व्यक्ति सोर्स लैंग्वेज में बोली जाने वाली बातचीत को टारगेट लैंग्वेज में समान अर्थों सहित बोलकर अभिव्यक्त करते हैं, उन्हें इंटरप्रेटर या दुभाषिया कहते हैं.  

ट्रांसलेटर्स और इंटरप्रेटर्स के लिए एम्पलॉमेंट के मिलते हैं आकर्षक ऑफर्स

हमारे देश में केंद्र और राज्यों के विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों, दूतावासों, मल्टीनेशनल कंपनियों, कॉर्पोरेट हाउसेस, न्यूज़पेपर्स, मैगजीन्स, सोशल मीडिया, नॉन-गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन्स, बैंक्स और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स के साथ ही प्राइवेट सेक्टर्स में ट्रांसलेटर्स और इंटरप्रेटर्स की मांग निरंतर रहती है. किसी सरकारी विभाग में शुरू में कैंडिडेट्स को जूनियर ट्रांसलेटर के तौर पर काम करना होता है. कुछ वर्षों के अनुभव के बाद कैंडिडेट्स की पदोन्नति सीनियर ट्रांसलेटर के तौर पर हो जाती है.

ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर के पेशे के लिए जरुरी क्राइटेरिया

ज्ञानीजन कहते हैं कि, सफलता का कोई शॉर्टकट या एक ही रास्ता नहीं होता है. फिर भी, कुछ प्वाइंट ऐसे हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर आप एक सफल ट्रांसलेटर या इंटरप्रेटर बन सकते हैं. आइये चर्चा करें:

  • सबसे पहले तो आपको ट्रांसलेशन और इंटरप्रिटेशन के काम के लिए सोर्स लैंग्वेज और टारगेट लैंग्वेज की काफी अच्छी जानकारी अवश्य होनी चाहिए.
  • आपको सोर्स लैंग्वेज और टारगेट लैंग्वेज से संबद्ध कल्चर और परिवेश या देश और उसकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था की अच्छी जानकारी होनी चाहिए.
  • अपनी सोर्स लैंग्वेज और टारगेट लैंग्वेज की ग्रामर पर आपका पूरा अधिकार होना चाहिए.
  • अपनी सोर्स लैंग्वेज और टारगेट लैंग्वेज के लेटेस्ट अपडेट्स की जानकारी प्राप्त करते रहें.
  • आप किसी एक भाषा सहित किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से किसी भी विषय में बैचलर की डिग्री प्राप्त कर लें.
  • आप ट्रांसलेशन में डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं.
  • विभिन्न सरकारी विभागों और दफ्तरों में ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर की जॉब के लिए डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट को महत्व दिया जाता है.
  • ट्रांसलेटर की जॉब के लिए आमतौर पर आपके लैंग्वेज स्किल्स परखने के लिए टेस्ट लिया जाता है.
  • आजकल इंटरनेट और डिजिटलीकरण की वजह से आपके पास अच्छे कंप्यूटर स्किल्स भी होने चाहिए.
  • विभिन्न प्रोजेक्ट्स, फ्रीलांसिंग और जॉब के जरिये ट्रांसलेशन की फील्ड में पर्याप्त अनुभव प्राप्त करें.
  • ट्रांसलेशन और इंटरप्रिटेशन की फील्ड के लिए पर्याप्त अनुभव प्राप्त करने के बाद अपने प्रोजेक्ट्स और कार्य-अनुभव के जरिये अपने टैलेंट को जाहिर करें या दूसरे शब्दों में अपनी मार्केटिंग करें.
  • इंटरप्रेटर के पेशे के लिए फॉर्मल ट्रेनिंग प्राप्त करें.
  • इंटरप्रेटर का टेस्ट अवश्य दें.
  • ट्रांसलेशन और इंटरप्रिटेशन की फील्ड में लेटेस्ट अपडेट्स के लिए हमेशा लर्निंग जारी रखें.

 

ट्रांसलेटर के पेशे के लिए लगने वाली न्यूनतम समयावधि

हमारे देश में आमतौर पर ट्रांसलेशन में बैचलर डिग्री प्रोग्राम के बाद पोस्टग्रेजुएशन में 2 वर्ष लगते हैं. अगर आप ट्रांसलेशन में एमफिल और पीएचडी की डिग्री प्राप्त करना चाहते हैं तो फिर आगे 5 वर्ष या इससे थोड़ा और अधिक समय लग सकता है.  

दुनिया भर में इन लैंग्वेजेज में ज्यादा है ट्रांसलेटर्स और इंटरप्रेटर्स की मांग

हमारे देश में निम्नलिखित लैंग्वेजेज में ट्रांसलेटर्स की मांग ज्यादा है.

  • फ्रेंच
  • जर्मन
  • पुर्तगाली
  • रशियन
  • स्पेनिश
  • अरेबिक
  • चाइनीज
  • जापानीज
  • इंग्लिश
  • हिंदी
  • कोरियाई

इसके अलावा, विभिन्न भारतीय भाषाओँ में भी ट्रांसलेटर्स और इंटरप्रेटर्स की काफी मांग है. हमारे देश के संविधान की 8वीं अनुसूची में अब कुल 18 भारतीय भाषाओँ को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है और हिंदी के अलावा, इंग्लिश और उर्दू को सरकारी कामकाज की भाषा के तौर पर मान्यता दी गई है.

ट्रांसलेटर के पेशे के लिए जरुरी स्किल-सेट

  • आपके पास सोर्स लैंग्वेज से टारगेट लैंग्वेज में कुछ निश्चित सीमाओं के भीतर लिखने की बेहतरीन क्षमता होनी चाहिए.
  • एक भाषा से दूसरी भाषा में स्टाइल, टोन और कल्चरल एलिमेंट्स को हू-बहू बदलने की अच्छी क्षमता होनी चाहिये.
  • सोर्स लैंग्वेज और टारगेट लैंग्वेज की व्यापकता का पूरा ध्यान रखें.
  • सोर्स लैंग्वेज और टारगेट लैंग्वेज की कल्चरल, टेक्निकल, कमर्शियल, इंडस्ट्रियल और साइंटिफिक फ़ील्ड्स की स्पेशल नॉलेज होनी चाहिए.
  • आजकल ट्रांसलेशन की फील्ड में भी स्पेशलाइजेशन है जैसेकि, लीगल ट्रांसलेशन, मेडिकल ट्रांसलेशन, मार्केटिंग या बिजनेस से संबद्ध ट्रांसलेशन आदि. आप अपनी स्पेशलाइजेशन-फील्ड चुनकर आगे बढ़ें.

इंटरप्रेटर के पेशे के लिए जरुरी स्किल-सेट

  • आप हरेक बात को काफी ध्यान से सुनें और समझने की कोशिश करें.
  • आपके पास बेहतरीन सेंसरी, मोटर और कॉग्निटिव स्किल्स होने चाहिए.
  • आपकी कई भाषाओं की वोकैबुलरी या शब्द-ज्ञान काफी बढ़िया हो.
  • इंटरप्रिटेशन के दौरान आप हमेशा सावधान रहें.
  • डिफिकल्ट स्पीकर्स के साथ काम करते समय बढ़िया सेल्फ-कंट्रोल रखें.
  • भावनात्मक रूप से मजबूत हों.

साइन लैंग्वेज में इंटरप्रेटर

डेफ एंड डम्ब लोगों के लिए साइन लैंग्वेज या इशारों की भाषा में इंटरप्रेटर बनने के लिए आपको किसी भी विषय में ग्रेजुएशन की डिग्री के साथ इंटरप्रेटर्स की रजिस्ट्री के माध्यम से सर्टिफिकेशन हासिल करना होगा.

फ्रीलांसर ट्रांसलेटर

एक फ्रीलांसर ट्रांसलेटर सेल्फ-एम्पलॉएड पर्सन होता है जो विभिन्न क्लाइंट्स, ट्रांसलेशन एजेंसीज, मल्टीनेशनल कंपनियों और इंस्टीट्यूट्स के लिए इंडिपेंडेंट कॉन्ट्रैक्ट पर काम करता है.

भारत में ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर को मिलता है यह सैलरी पैकेज

भारत में किसी ट्रांसलेटर का एवरेज सैलरी पैकेज रु. 402,092/- प्रति वर्ष है. कार्य अनुभव और क्वालिफिकेशन डिग्री (ग्रेजुएशन/ पोस्टग्रेजुएशन/ पीएचडी) का आपके सैलरी पैकेज और काफी असर पड़ता है. एक ट्रांसलेटर अपने एक घंटे के समय के लिए आमतौर पर रु.153/- ले सकता है. इंटरप्रेटर्स का सैलरी पैकेज काफी बढ़िया होता है. आमतौर पर हमारे देश में किसी इंटरप्रेटर को एवरेज रु.621,780/- प्रति वर्ष मिलते हैं. लेकिन आपके कार्य अनुभव और स्पीकिंग स्किल्स के मुताबिक आपकी सैलरी इससे काफी ज्यादा हो सकती है.

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