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लीगल एक्सपर्ट

 परंपरागत रूप से कानून का नाम आते ही अदालत,  आर्डर..आर्डर करते हुए जज और जिरह करते हुए वकील की की तस्वीर लोगों के मानस पटल पर उभरती है। लेकिन समय बदलने के साथ ही इस क्षेत्र में भी तमाम नए आयाम जुड़े हैं। कॉरपोरेट व‌र्ल्ड में कानून या लीगल सर्विस का दायरा काफी बढ़ चुका है और इसीलिए इसे एक आकर्षक करियर के रूप में भी देखा जा रहा है।

परंपरागत रूप से कानून का नाम आते ही अदालत,  आर्डर..आर्डर करते हुए जज और जिरह करते हुए वकील की की तस्वीर लोगों के मानस पटल पर उभरती है। लेकिन समय बदलने के साथ ही इस क्षेत्र में भी तमाम नए आयाम जुड़े हैं। कॉरपोरेट व‌र्ल्ड में कानून या लीगल सर्विस का दायरा काफी बढ़ चुका है और इसीलिए इसे एक आकर्षक करियर के रूप में भी देखा जा रहा है। मुकदमों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही वकील की मांग भी लगातार बढ़ रही है। अब यदि यह कहा जाए कि इस सर्विस से जुड़े लोगों के लिए संभावनाओं के असीम द्वार खुल रहे हैं, तो शायद गलत नहीं होगा। लीगल एक्सपर्ट की मांग न केवल भारत में, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों में भी लगातार बढ़ रही है। भारत में कम मूल्य पर लीगल एक्सपर्ट उपलब्ध होने के कारण दूसरे कई देश के लोग यहां से आउटसोर्सिंग के रूप में काम करते हैं जिसमें भी बड़ी संख्या में कानून से जुड़े लोगों की जरूरत होती है।
वर्तमान में शायद ही कोई ऐसी कंपनी हो, जहां लीगल एक्सपर्ट की जरूरत न होती हो। उल्लेखनीय है कि हर बड़े  आर्गनाइजेशन में लीगल डिपार्टमेंट होता है, जिसमें वकीलों की अपनी एक टीम होती है। खासकर, बड़ी कंपनियों में अधिग्रहण, विलय, विवाद आदि से निपटने के लिए लीगल एडवाइजर या वकील को आकर्षक सैलॅरी पैकेज पर ही रखा जाता है। कानून की डिग्री लेने के बाद कुछ प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं जिसमें नौकरी की तलाश की जा सकती है:

1. एडवोकेट:  एडवोकेट के लिए प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के ऑर्गनाइजेशन में काम करने का मौका मिलता है। एडवोकेट को कानूनी विवाद आदि को सुलझाने के लिए रखा जाता है। बड़ी कंपनियों में तो जब भी कोई बड़े नीतिगत फैसले लिए जाते हैं, तो पहले लीगल ओपिनियन लेने की परंपरा सी बन गई है। इसके अलावा, असिस्टेंट पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के पदों पर भी एडवोकेट्स की नियुक्तियां होती हैं।
2. जुडिशियरी:  देखा जाए, तो अदालतों में कानूनी मामलों की संख्या लगातार बढ़ती इसलिए भी जा रही है, क्योंकि हर मामले में दोनों तरफ से मुकदमा लड़ने के लिए वकील चाहिए और इसके साथ ही चाहिए ज्यादा जजेज भी। इसे देखते हुए जुडिशियरी का विस्तार होना करीब-करीब तय है, ताकि मामलों का निपटारा समय से हो सके। जजों की भर्ती सरकार उच्च स्तर पर हाईकोर्ट के माध्यम से तथा प्रारंभिक स्तर पर राज्यों के लोक सेवा आयोगों द्वारा पीसीएस (जे) की परीक्षा द्वारा की जाती है।
3. टीचिंग:  इन दिनों लॉ कॉलेज की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। इसीलिए लॉ टीचर्स की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इस क्षेत्र में टीचिंग दो आधार पर कर सकते हैं। फुल-टाइम और पार्ट-टाइम। पार्ट-टाइम में प्रैक्टिस और टीचिंग दोनों साथ-साथ किया जा सकता है।
4. आउटसोर्सिंग:  लीगल क्षेत्र में अब काफी काम आउटसोर्सिंग के जरिए भी होने लगा है। यहां काम अमूमन दो तरह से हो सकते हैं:
 • अपनी नेटवर्किंग के जरिए
 • आउटसोर्सिग एजेंसी के साथ जुडकर

5. लीगल एडवाइजर:  लीगल एडवाइजर की इन दिनों खूब डिमांड देखी जा रही है। एडवाइजर  का काम भी दो स्तर पर होता है पार्ट-टाइम और फुल-टाइम। पार्ट-टाइम एडवाइजर को किसी संस्था द्वारा खास मकसद के लिए हायर किया जाता है। इसके लिए लीगल एडवाइजर को एक निश्चित राशि दी जाती है और फिर केस-टु-केस अलग से भुगतान किया जाता है।

योग्यता
लीगल क्षेत्र में एंट्री के लिए एलएलबी यानी बैचलर ऑफ लॉ की बुनियादी पढ़ाई जरूरी है। इसमें सिविल लॉ, कॉरपोरेट लॉ, क्रिमिनल लॉ, प्रॉपर्टी लॉ, इंटरनेशनल लॉ, फैमिली लॉ, लेबर लॉ, एडमिनिस्ट्रेशन लॉ, कॉस्टीट्यूशन लॉ आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। यहां दो तरह के कोर्स होते हैं। पहला, किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन करने के बाद तीन वर्षीय लॉ कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है, जबकि पांच वर्षीय लॉ कोर्स में 12वीं (किसी भी स्ट्रीम) के बाद एडमिशन ले सकते हैं। लॉ में आगे की पढ़ाई के इच्छुक छात्र एलएलएम (मास्टर ऑफ लॉ) और पीएचडी/एलएलडी (डॉक्टर ऑफ लॉ) भी कर सकते हैं। 12वीं में कम से कम 50 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए आवेदन कर सकते हैं।
कुछ लॉ स्कूल और विश्वविद्यालयों ने एक साथ टेस्ट आयोजन करने का निर्णय लिया है जैसे: एनएलएसआईयू बेंगलुरु, एनएएलएसएआर हैदराबाद, एनएलआईयू भोपाल, डब्ल्यूबी एनयूजेएस कोलकाता, एनएलयू जोधपुर, एचएनएलयू रायपुर, सीएनएलयू पटना, जीएनएलयू गांधीनगर, आरएमएल एनएलयू लखनऊ, आरजीएनयूएल पटियाला और एनयूएजेएस कोच्चि। इस टेस्ट का नाम कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (क्लैट) है।

संस्थान
 1. एनएलएसआईयू, बेंगलुरु
 2. एनएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद
 3. एनएलआईयू, भोपाल
 4. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, जोधपुर
 5. कैम्पस लॉ सेंटर, दिल्ली यूनिवर्सिटी
 6. एनयूजेएस, कोलकाता
 7. सिम्बायोसिस सोसायटीज लॉ कॉलेज, पुणे
 8. आईएलएस लॉ कॉलेज, पुणे
 9. गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुम्बई
 10. एमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली
 11. चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना
 12. डॉ. राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
 13. राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ पंजाब, पटियाला

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