देश में आज पढाई-लिखाई के ट्रेडिशनल मेथड्स में चेंज आया है...
देश में आज पढाई-लिखाई के ट्रेडिशनल मेथड्स में चेंज आया है। स्टूडेंट हों या टीचर, उस पढाई पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं, जो सोसायटी, इंडस्ट्री के लिहाज से जरूरी हों। मेटा कॉलेज कॉन्सेप्ट पर डेवलप किया गया दिल्ली यूनिवर्सिटी का सीआईसी यानी क्लस्टर इनोवेशन सेंटर इसी अवधारणा को नया चेहरा दे रहा है।
ज्वाइंट डिग्री कॉन्सेप्ट
क्लस्टर इनोवेशन सेंटर में बीटेक इनोवेटिव विद मैथमेटिक्स एंड आईटी, बीटेक ह्यूमेनटीज (जर्नलिज्म, हिस्टोरिकल टूरिज्म, आर्ट्स एंड डिजाइन व काउंसलिंग) व मास्टर्स ऑफ मैथमेटिक्स एजुकेशन जैसे कोर्स चलते हैं, जिनमें मास्टर ऑफ मैथमेटिक्स एजुकेशन की पढाई मेटा यूनिवर्सिटी के डुअल यूनिवर्सिटी प्रोग्राम के तहत होगी। इस खास कोर्स के लिए स्टूडेंट्स डीयू के अलावा जामिया मिलिया जैसे टॉप संस्थान से भी पढाई कर सकेंगे। इस दौरान स्टूडेंट्स को मिलने वाली डिग्री भी ज्वाइंट होगी। जाहिर है ऐसे में इसकी इंपॉर्टेस भी अन्य पीजी डिग्रियों से कहीं ज्यादा होगी।
चेक योर एलिजिबिलिटी
इन कोर्सेज के लिए स्टूडेंट्स को अलग-अलग एलिजिबिलिटी चाहिए। मसलन बीटेक इनोवेटिव विद मैथमेटिक्स एंड आईटी कोर्स के लिए स्टूडेंट्स के पास 12वीं में मैथ्स होना अनिवार्य है। वहीं बीटेक ह्यूमेनटीज के लिए किसी भी स्ट्रीम के कैंडिडेट्स एंट्री ले सकते हैं, जबकि मास्टर्स ऑफ मैथमेटिक्स की पढाई के लिए स्टूडेंट्स के पास यूजी लेवल पर दो पेपर मैथ्स के होने चाहिए।
डिजाइन योर डिग्री
सीआईसी के जरिए देश में पहली बार ऐसा सिस्टम आजमाया गया है, जिसमें स्टूडेंट के पास खुद अपनी डिग्री डिजाइन करने का मौका है। यानी सीआईसी में एडमिशन के बाद कोई स्टूडेंट किसी स्पेसिफिक सब्जेक्ट के लिए डीयू के किसी कॉलेज से पढाई कर सकता है। साथ ही, प्रैक्टिकल वर्क से रिलेटेड एक्टिविटीज सीआईसी में चलेंगी। साथ ही पीजी कोर्स मेटा यूनिवर्सिटी कॉन्सेप्ट के तहत पूरे किए जाएंगे। इन कोर्सो के लिए एंट्रेस एग्जाम फार्म 27 जून से उपलब्ध होंगे। फॉर्म जमा करने की लास्ट डेट 15 जुलाई 2013 है।
सोसायटी के काम आती है पढाई
इस बारे में सीआईसी में मास्टर ऑफ मैथमेटिक्स एजुकेशन के कोऑर्डिनेटर डॉ. पंकज त्यागी का कहना है कि 2011 में सीआईसी की स्थापना का लक्ष्य ही समाज और इंडस्ट्री के लिए प्रासंगिक चीजों को पढाई में शामिल करना था। ऐसा न हो कि यूजी, पीजी करने के बाद स्टूडेंट सोचने लगें कि आखिर उसकी पढाई का मतलब क्या है? लिहाजा इन प्रोग्राम्स के चलते ब्लाइंड एजुकेशन, ट्रैफिक, चाइल्ड लेबर, स्लम्स जैसी कई समस्याओं पर फोकस किया जाता है और उनके मैथमेटिकल हल ढूंढे जाते हैं।
सॉल्यूशन ऑफ ऑल प्रॉब्लम्स
आज हमारे आस-पास समस्याओं की कमी नहीं है। लेकिन सवाल यही है कि इन्हें सुलझाया कैसे जाए। क्लस्टर इनोवेशन सेंटर इन प्रॉब्लम्स का हल बन सकता है। सेमेस्टर के दौरान इंस्टीट्यूट की कोशिश रहती है कि कैसे स्टूडेंट्स को ज्यादा से ज्यादा सोसायटी के प्रैक्टिकल ऑस्पेक्ट्स से वाकिफ होने का मौका मिले, कैसे क्लासरूम में सीखी गई थ्योरी को वो ग्राउंड लेवल पर आम लोगों की मुश्किलें हल करने में अप्लाई करें और इसमें वे सफल हो रहे हैं।
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