Post

ऑकिटेक्ट

 वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी तेज है और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में काफी पैसा भी लगाया जा रहा है। हर तरफ बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन के कार्य हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में कम समय में खूबसूरत और गुणवत्तापूर्ण बिल्डिंग तैयार करने के लिए आर्किटेक्ट की जरूरत बढ़ती जा रही है।

वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार काफी तेज है और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री में काफी पैसा भी लगाया जा रहा है। हर तरफ बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन के कार्य हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में कम समय में खूबसूरत और गुणवत्तापूर्ण बिल्डिंग तैयार करने के लिए आर्किटेक्ट की जरूरत बढ़ती जा रही है। जिस तरह के रिअॅल इस्टेट क्षेत्र आगे बढ़ रहा है और कंस्ट्रक्शन का कार्य हो रहा है, उससे इस क्षेत्र में करियर की बेहतर उम्मीद की जा सकती है।

कार्य
आमतौर पर ऑर्किटेक्ट का काम किसी बिल्डिंग या स्ट्रक्चर के लिए प्लानिंग के साथ-साथ डिजाइन तैयार करना होता है। ऑर्किटेक्ट क्लाइंट की बजट के अनुरूप कंस्ट्रक्शन की प्लानिंग करने में माहिर होते हैं। वर्तमान दौर में आर्किटेक्ट पर कम से कम समय में गुणवत्तापूर्ण डिजाइन तैयार करने के साथ-साथ इको फ्रेंडली कंस्ट्रक्शन तैयार करने का दबाव दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।

योग्यता
फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स से बारहवीं करने के बाद ग्रेजुएट लेवल पर आर्किटेक्चर कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। बीऑर्क कोर्स के लिए द काउंसिल ऑफ ऑर्किटेक्चर ऑल इंडिया बेसिस पर परीक्षा का आयोजन करती है। बीऑर्क कोर्स पांच वर्ष का होता है। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश लिखित परीक्षा के आधार पर होता है। बीऑर्क कोर्स करने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट ऑकिटेक्चर कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। कुछ संस्थान ऐसे भी हैं, जो खुद एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन करते हैं, तो कुछ 12वीं में हासिल अंक के आधार पर भी एडमिशन देते हैं।

व्यक्तिगत गुण
यह फील्ड कुछ अलग तरह का है। यहां डिजाइन पर अधिक कार्य होता है। ऐसे में सफल होने के लिए क्रिएटिव माइंडेड होना बेहद जरूरी है। जिनकी फिजिक्स और मैथ्स पर अच्छी पकड़ होती है, वे इस क्षेत्र में अच्छा कार्य कर सकते हैं। सीनियर स्कूल लेवल पर इंजीनियरिंग ड्राइंग विषय चुनने से भी इस क्षेत्र में खासी मदद मिलती है। खास बात यह है कि स्टूडेंट्स में स्केच और डिजाइन तैयार करने के प्रति रुचि होनी जरूरी है। कई बार ऑर्किटेक्ट को लीगल वर्क भी करना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि उसे कानून की भी कुछ-न-कुछ जानकारी अवश्य हो। एक ऑर्किटेक्ट में अच्छी कम्युनिकेशन स्किल के साथ-साथ डेस्क और साइट पर काम करने की भी काबिलियत होनी चाहिए।

अवसर
कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहे इन्वेस्टमेंट के कारण ऑकिटेक्ट की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। भारत में ऑकिटेक्ट की मांग और सप्लाई में अभी भी काफी अंतर है। इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर के साथ-साथ गवर्नमेंट सेक्टर में भी अच्छे अवसर उपलब्ध हैं। गवर्नमेंट सेक्टर में आर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, डिपॉर्टमेंट ऑफ रेलवे, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स, नेशनल बिल्डिंग ऑर्गेनाइजेशन, टाउन ऐंड कंट्री प्लानिंग ऑर्गनाइजेशन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स, नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लि., सिटी डेवलपमेंट अथॉरिटी आदि में रोजगार के अवसर होते हैं। इसके अलावा, लोकल एजेंसी, स्टेट डिपार्टमेंट, हाउसिंग में भी नौकरी की तलाश कर सकते हैं। कुछ वर्षो का अनुभव हासिल करने के बाद कंसल्टेंट और कंस्ट्रक्टर के रूप में खुद के बिजनेस की शुरुआत भी कर सकते हैं।

कमाई
ऑर्किटेक्ट के रूप में जॉब की शुरुआत करने पर सैलरी 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकती है। हालांकि सैलरी ऑर्गनाइजेशन के आकार और अनुभव पर भी डिपेंड करती है।

संस्थान
1. स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर, नई दिल्ली
2. पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़
3. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर सीईपीटी, अहमदाबाद
4. लखनऊ यूनिवर्सिटी, यूपी
5. गोवा यूनिवर्सिटी
6. यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई
7. इंडियन एजुकेशन सोसायटीज कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, मुंबई
8. पुणे यूनिवर्सिटी
9. जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
10. बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज, हावड़ा

Post a Comment

0 Comments