हर तरफ आसमान छूता हुआ टॉवर .. रिलायंस, एयरटेल, बीएसएनएल, टाटा इंडिकॉम.. दिखाई पड़ रहा है, जो दिन-ब-दिन मजबूत होते भारतीय दूरसंचार या टेलिकॉम क्षेत्र की सफलता की कहानी को बयां करता है। दूरसंचार देश के शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों की शक्ल-ओ-सूरत को भी बहुत तेजी से बदल रहा है। भारत में नई-नई कंपनियां भी आ रही हैं और अब तीसरी पीढ़ी की सेवाएं (थ्रीजी) भी शुरू हो चुकी हैं।
हर तरफ आसमान छूता हुआ टॉवर .. रिलायंस, एयरटेल, बीएसएनएल, टाटा इंडिकॉम.. दिखाई पड़ रहा है, जो
दिन-ब-दिन मजबूत होते भारतीय दूरसंचार या टेलिकॉम क्षेत्र की सफलता की कहानी को बयां करता है। दूरसंचार देश के शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों की शक्ल-ओ-सूरत को भी बहुत तेजी से बदल रहा है। भारत में नई-नई कंपनियां भी आ रही हैं और अब तीसरी पीढ़ी की सेवाएं (थ्रीजी) भी शुरू हो चुकी हैं। खास बात यह है कि उपभोक्ताओं की संख्या भी लगातार बढ़ती ही जा रही है। सिर्फ फरवरी 2009 में इंडस्ट्री ने 1.3 करोड़ उपभोक्ताओं को जोड़ा। एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2010 तक भारत में तकरीबन 500 मिलियन (50 करोड़) मोबाइल यूजर हो जाएंगे। इस क्षेत्र में व्याप्त संभावनाओं को देखते हुए माना जा रहा है कि करियर के लिहाज से यह सेक्टर आने वाले दिनों में भी काफी हॉट रहेगा। टेलिकॉम सेक्टर में तीव्र विकास के साथ ही इसमें रोजगार के अवसर में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। माना जा रहा है कि, इस क्षेत्र में नए ऑपरेटर द्वारा कारोबार की शुरुआत और पुराने ऑपरेटर द्वारा नए क्षेत्र में विस्तार की वजह से टेलिकॉम सेक्टर में इस साल करीब डेढ़ लाख लोगों की जरूरत होगी।
योग्यता
टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियर बनने के लिए10+2 में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स सब्जेक्ट जरूर होने चाहिए। 12वीं के बाद आईआईटी या ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन टेस्ट में शामिल होकर टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (बैचरल डिग्री) बनने का सपना पूरा किया जा सकता है। आईआईटी खड़गपुर में कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं, इनमें बीटेक (एच) इन इलेक्ट्रॉनिक ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (चार वर्षीय), बीटेक (एच) इन इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग ऐंड एमटेक इन ऑटोमेशन ऐंड कम्प्यूटर विजन (पांच वर्षीय)। इसके अलावा, आईआईटी खड़गपुर से डुअल कोर्स की डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग + माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड वीएलएसआई डिजाइन (पांच वर्षीय) के अलावा, एमटेक इन आरएफ ऐंड माइक्रोवेव इंजीनियरिंग (दो वर्षीय), एमटेक इन टेलिकम्युनिकेशन सिस्टम्स इंजीनियरिंग (दो वर्षीय) आदि कोर्स भी उपलब्ध हैं।
अवसर
टेलिकॉम इंडस्ट्री में टेलिकॉम सॉफ्टवेयर इंजीनियर, टेलिकॉम सिस्टम सॉल्युशन इंजीनियर, कम्युनिकेशन इंजीनियर, टेक्निकल सपोर्ट प्रोवाइडर, रिसर्च प्रोजेक्ट सुपरवाइजर, नेटवर्क इंजीनियर के लिए इन दिनों बेहतर संभावनाएं हैं। इसके अलावा, रिटेल ऑउटलेट, प्रीपेड कार्ड सेलर, कस्टमर सर्विस, टावर कंस्ट्रक्शन आदि में भी करियर के रास्ते खुलते जा रहे हैं। इसमें टेक्निकल और नॉन टेक्निकल क्षेत्र- दोनों में करियर बना सकते हैं। टेक्निकल क्षेत्र में टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियर की जरूरत होती है, तो नॉन- टेक्निकल फील्ड में बारहवीं या ग्रेजुएशन के बाद करियर बना सकते हैं। नॉन टेक्निकल में कॉर्ड सेलर, कस्टमर केयर सर्विस आदि में नौकरी की तलाश की जा सकती है।
कमाई
टेक्निकल क्षेत्र में एंट्री लेवल पर सैलॅरी 15 से 20 हजार रुपये तक होती है, जबकि नॉन टेक्निकल क्षेत्र में कार्य करने वाले पेशेवरों को शुरुआती दौर में 10 से 15 हजार रुपये प्रति माह मिल ही जाते हैं।
संस्थान
1. भारती स्कूल ऑफ टेलिकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी ऐंड मैनेजमेंट, आईआईटी दिल्ली
2. बिरला इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी ऐंड साइंस, पिलानी
3. नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी
4. इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी)
5. कोचिन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी
6. डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन, आईआईटी खड़गपुर
7. डा.बाबासाहेब अम्बेडकर टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र
8. फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी, जादवपुर, कोलकाता
9. इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु
10. सिम्बायोसिस इंस्टीटयूट ऑफ टेलिकॉम मैनेजमेंट, पुणे
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