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रियल इस्टेट सेक्टर में रोजगार

 रियल इस्टेट सेक्टर भारत के तेजी से बढ़ रहे सेक्टर में से एक है। भारत की अर्थव्यवस्था में रियल इस्टेट सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसका रोजगार सृजन में कृषि के बाद दूसरा स्थान है। तथा जीडीपी में भी यह एक बड़े हिस्से का योगदान करता है। ग्लोबल स्टाफिंग सर्विसेज फर्म मैनपावर की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में रियल इस्टेट सेक्टर रोजगार की दृष्टि से काफी हॉट रहेगा। इसमें हर लेवल पर बड़ी संख्या में स्किल्ड युवाओं की मांग बढ़ रही है।

रियल इस्टेट सेक्टर भारत के तेजी से बढ़ रहे सेक्टर में से एक है। भारत की अर्थव्यवस्था में रियल इस्टेट सेक्टर की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसका रोजगार सृजन में कृषि के बाद दूसरा स्थान है। तथा जीडीपी में भी यह एक बड़े हिस्से का योगदान करता है। ग्लोबल स्टाफिंग सर्विसेज फर्म मैनपावर की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में रियल इस्टेट सेक्टर रोजगार की दृष्टि से काफी हॉट रहेगा। इसमें हर लेवल पर बड़ी संख्या में स्किल्ड युवाओं की मांग बढ़ रही है।

कोर्स और योग्यता
रियल इस्टेट में करियर बनाने के लिए अच्छे एकेडमिक करियर के साथ ही संबंधित डिग्री, डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स जरूरी है। यदि इंजीनियरिंग, लीगल, अकाउंट्स, मार्केटिंग, सिक्योरिटी, फाइनेंस और फैसिलिटी मैनेजमेंट से संबंधित कोर्स कर लिया जाए तो रियल इस्टेट में तेजी से आगे बढ़ने की पर्याप्त संभावनाएं हैं। रियल इस्टेट सेक्टर में जिन कार्यों के लिए ज्यादातर मांग होती है, उनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  • लैंड डेवलपमेंट:  रियल इस्टेट कंपनी में यह सबसे महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट होता है। इसका प्रमुख कार्य जमीन का सौदा करना, रेट तय कराना, उससे संबंधित सभी तरह के डाक्यूमेंट्स चेक करना, लीगल फॉर्मेलिटीज पूरा कराना आदि होता है। इस पद पर आमतौर पर लीगल मामलों के जानकार की नियुक्ति की जाती है। जिसके पास लॉ से संबंधित डिग्री है, उसके लिए यह क्षेत्र उपयुक्त और लाभदायक साबित हो सकता है।
  • ब्रोकरेज: रियल इस्टेट में ब्रोकरेज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये बेचने और खरीदने के एक्सपर्ट होते हैं। सफल ब्रोकरेज बनने के लिए जरूरी है कि व्यक्ति के पास आसपास के बिल्डर के नए प्रोजेक्ट्स, गवर्नमेंट प्रोग्राम, रियल इस्टेट लॉ, लोकल इकोनॉमिक्स, मॉर्गेज आदि की समुचित जानकारी हो। यदि किसी की इसमें रुचि है, तो वह कॉमर्शियल, इंडस्ट्रियल ऐंड ऑफिस या फार्म ऐंड लैंड ब्रोकरेज में से किसी में भी करियर बना सकता है।
  • इंजीनियरिंग: किसी भी लैंड को डेवलप करने और उस पर निर्माण करने के लिए कई तरह के इंजीनियरिंग स्टाफ की जरूरत होती है। सारा निर्माण कार्य इन्हीं की देख-रेख में होता है। इनमें सिविल इंजीनियर, आर्किटेक्ट, सुपरवाइजर, प्रोजेक्ट इंजीनियर, प्रोजेक्ट हेड जैसे पदों पर इंजीनियर्स की नियुक्ति की जाती है। इन पदों पर बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) या डिप्लोमा होल्डर्स को रखा जाता है।
  • अकाउंट्स:  बड़े पैमाने पर पैसे का लेन-देन होने के कारण रियल इस्टेट कंपनियों में एकाउंट डिपार्टमेंट काफी अहमियत रखता है। इन कंपनियों में सीए और बीकॉम किए हुए प्रोफेशनल को एकाउंट डिपार्टमेंट में रखा जाता है। यदि रियल इस्टेट फील्ड में अनुभव है, तो वरीयता दी जाती है।
  • रियल इस्टेट रिसर्च: ब्रोकर्स, प्रॉपर्टी मैनेजर्स और फाइनेंसिंग एक्सप‌र्ट्स आदि सभी रिसर्चर पर ही निर्भर रहते हैं। रियल इस्टेट रिसर्चर दो प्रकार के रिसर्च करते हैं- फिजिकल और इकोनॉमिक रिसर्च। फिजिकल रिसर्च के अंतर्गत बिल्डिंग्स और कंस्ट्रक्शन मैटीरियल्स के बारे में रिसर्च करते हैं, जबकि इकोनॉमिक रिसर्च में यह रिसर्च करते हैं कि वर्तमान में किस तरह की मांग है, भविष्य में किस तरह के बायर घर खरीदेंगे और किन शहरों में किस तरह के प्रोजेक्ट फायदेमंद होंगे? रिसर्चर को कंपनियों में अच्छी सैलरी पर रखा जाता है।
  • मार्केटिंग: एक बिल्डर या डेवलपर के लिए उसका प्रॉजेक्ट भी एक प्रॉडक्ट होता है। उसे अधिक से अधिक कीमत पर सेल करने के लिए मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव की आवश्यकता होती है। ऐसे पदों पर आमतौर पर एमबीए को रखा जाता है। छोटी कंपनियों में इस पद पर फ्रेश ग्रेजुएट भी रखे जाते हैं।
  • काउंसलिंग: इन दिनों इनकी काफी मांग है। प्रॉपर्टी से संबंधित सभी समस्याओं से ये वाकिफ होते हैं और उनसे निकलने के लिए बेहतर सलाह देते हैं। ये फाइनेंस और इन्वेस्टमेंट के विशेषज्ञ होते हैं। यदि इससे संबंधित डिग्री और पर्याप्त अनुभव प्राप्त कर लिया जाए तो फ्रीलांस काउंसलर बनकर भी बेहतर कमाई किया जा सकता है।

अवसर
वर्तमान में बिल्डर्स बडे बजट का प्रोजेक्ट बड़े शहरों में तो बनाते ही हैं, साथ ही अब वे छोटे शहरों की ओर भी रुख कर रहे हैं। इस कारण अधिक संख्या में कर्मचारियों की जरूरत पड़ रही है। अगर बिल्डर्स कम बजट में सभी को मकान देने में सफल होते हैं, तो मांग में इजाफा होगी। इसके अतिरिक्त एक ही छत के नीचे घर-गृहस्थी का सारा सामान उपलब्ध कराने के साथ-साथ टॉप क्लास एंटरटेनमेंट की व्यवस्था ने मॉल्स और रिटेल कल्चर को खूब बढ़ावा दिया है। ऐसे मॉल्स छोटे शहरों में भी खूब पॉपुलर हो रहे हैं। इससे बिल्डर्स को पर्याप्त संख्या में स्टाफ की जरुरत पड़ती है, जिससे रोजगार की संभावनाओं में बढ़ोतरी होती है। 

संस्थान
 1. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रियल इस्टेट, मुंबई
 2. गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी ऐंड स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर, दिल्ली
 3. एसएम स्कूल ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, नोएडा
 4. दिल्ली बिजनेस स्कूल, दिल्ली
 5. आईआईएलएम इंस्टीट्यूट फॉर हायर एजुकेशन, गुड़गांव
 6. आकृति इंस्टीट्यूट ऑफ रियल इस्टेट मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च, मुंबई
 7. इंस्टीट्यूशन ऑफ इस्टेट मैनेजर ऐंड एप्रेजर्स, कोलकाता
 8. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रियल इस्टेट, इन्वेस्टमेंट ऐंड फाइनेंस, दिल्ली
 9. सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता

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