जेनेटिक इंजीनियरिंग विज्ञान की एक अत्याधुनिक ब्रांच है, जिसमें सजीव प्राणियों के डीएनए कोड में मौजूद जेनेटिक को अत्याधुनिक तकनीक के जरिए परिवर्तित किया जाता है। जेनेटिक तकनीक के द्वारा ही रोग प्रतिरोधक फसलें और सूखे में पैदा हो सकने वाली फसलों का उत्पादन किया जाता है।
जेनेटिक इंजीनियरिंग विज्ञान की एक अत्याधुनिक ब्रांच है, जिसमें सजीव प्राणियों के डीएनए कोड में मौजूद जेनेटिक को अत्याधुनिक तकनीक के जरिए परिवर्तित किया जाता है। जेनेटिक तकनीक के द्वारा ही रोग प्रतिरोधक फसलें और सूखे में पैदा हो सकने वाली फसलों का उत्पादन किया जाता है। इसके जरिए पेड़-पौधे और जानवरों में ऐसे गुण विकसित किए जाते हैं, जिसकी मदद से इनके अंदर बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जाती है। इस तरह के पेड़-पौधे जीएम यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड के रूप में जाने-जाते हैं। बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल बृहद पैमाने पर होता है। वर्तमान में जेनेटिक इंजीनियर की डिमांड इंडिया के साथ-साथ विदेश में भी तेजी से बढ़ रही है।
योग्यता और कोर्स
जेनेटिक इंजीनियर बनने के लिए जेनेटिक्स या इससे संबंधित फील्ड में ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री का होना जरूरी है। जेनेटिक्स में ग्रेजुएट कोर्स में एंट्री के लिए 12वीं बायोलॉजी, केमिस्ट्री और मैथ से पास होना जरूरी है। इस समय अधिकतर यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट में जेनेटिक इंजीनियरिंग के लिए अलग से कोर्स ऑफर नहीं किया जाता है, लेकिन इसकी पढ़ाई बायोटेक्नोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री में सहायक विषय के रूप में होती है। ग्रेजुएट कोर्स, बीई/बीटेक में एंट्री प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है। एमएससी इन जेनेटिक इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी हर साल 120 सीटों के लिए संयुक्त परीक्षा का आयोजन करती है।
अवसर
जेनेटिक इंजीनियर के लिए भारत के साथ-साथ विदेश में भी जॉब के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। इनके लिए मुख्यतया रोजगार के अवसर मेडिकल व फार्मास्युटिकल कंपनी, एग्रीकल्चर सेक्टर, प्राइवेट और सरकारी रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर में होते हैं। टीचिंग को भी करियर ऑप्शन के रूप में आजमाया जा सकता है। इसके अलावा, रोजगार के कई और भी रास्ते हैं। बायोटेक लेबोरेटरी में रिसर्च, एनर्जी और एंवायरनमेंट से संबंधित इंडस्ट्री, एनिमल हसबैंड्री, डेयरी फार्मिंग, मेडिसिन आदि में भी रोजगार के खूब मौके हैं। कुछ ऐसे संस्थान भी हैं, जो जेनेटिक इंजीनियर को हायर करती हैं।
कमाई
जेनेटिक इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री रखने वाले स्टूडेंट्स को शुरुआती दौर में आठ से 12 हजार रुपये प्रति माह सैलॅरी मिलने लगती है। यदि डॉक्टोरलडिग्री है, तो अनुभव के आधार पर सैलरी तय होती है।
संस्थान
1. आईआईटी, दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर, गुवाहाटी
2. दिल्ली यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
3. उस्मानिया यूनिवर्सिटी, हैदराबाद
4. पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
5. राजेंद्र एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, समस्तीपुर
6. जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
7. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी
8. ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली
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