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ऑटोमोबाइल डिजाइनर

 ऑटोमोबाइल डिजाइनर का सम्बन्ध सड़क पर चलने वाले वाहनों के विकास से है। वह वाहन के स्वरुप  को तैयार करता है और उसके वाह्य, आंतरिक, रंग, साज-सज्जा को रूप प्रदान करता है।

ऑटोमोबाइल डिजाइनर का सम्बन्ध सड़क पर चलने वाले वाहनों के विकास से है। वह वाहन के स्वरुप  को तैयार करता है और उसके वाह्य, आंतरिक, रंग, साज-सज्जा को रूप प्रदान करता है। छोटी कार नैनो के लांच किये जाने के बाद और भारत में मध्यवर्गीय लोगों के विशाल बाजार को देखते हुए कई ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भी छोटी कार बनाने की घोषणा कर दी। इससे ऑटोमोबाइल डिजाइनरों की मांग देश-विदेश में काफी बढ़ गई हैं। यदि कोई टेक्निकल क्षेत्र में जॉब चाहता है, तो ऑटोमोबाइल डिजाइनर बनकर अपनी करियर को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है।

कोर्स और योग्यता
आईआईटी (गुवाहाटी) बीटेक इन डिजाइनिंग में (चार वर्षीय) कोर्स ऑफर करती है। नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद में इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में चार वर्षीय कोर्स उपलब्ध है। इन सभी कोर्स (बीटेक या बीई) में बारहवीं (पीसीएम) के बाद आईआईटी-जेईई या एआईईईई क्वालीफाई करके एडमिशन लिया जा सकता है। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में ग्रेजुएट स्टूडेंट के लिए एडवांस इंडस्ट्रियल प्रोग्राम भी चलाया जाता है। इसमें जिओमेट्री, मॉडल बनाना, कलर ग्राफिक कॉम्पोजिशन, डिजाइनिंग प्रॉसेस आदि की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। आईआईटी, दिल्ली से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में मास्टर डिग्री (दो वर्षीय) किया जा सकता है। आईआईटी, कानपुर भी इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में दो वर्षीय मास्टर डिग्री कोर्स ऑफर करती है। कुछ प्राइवेट इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में भी इस तरह के कोर्स संचालित किये जाते हैं।

व्यक्तिगत गुण
डिजाइनर्स को मार्केट ट्रेंड की अच्छी समझ के साथ-साथ प्रैक्टिक्ल नॉलेज और कस्टमर की डिमांड की समझ जरूरी है। साथ ही, कुछ अलग करने का जज्बा भी होना चाहिए।

अवसर
नैस्कॉम एलेन-बूज हैमिल्टन की रिपोर्ट के अनुसार, इंजीनियरिंग सर्विस का ग्लोबल आउटसोर्सिंग बाजार लगभग 10 से 15 अरब डॉलर का है। यह बाजार वर्ष 2020 तक 150 से 225 अरब तक हो जाने की संभावना है। इस ग्लोबल मार्केट में भारत का योगदान तकरीबन 25 से 30 प्रतिशत तक होगा। संभावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2020 तक ऑटोमोबाइल सेक्टर में करीब 2-5 लाख इंजीनियरों की नियुक्ति होगी। जिस तरह से ऑटो कम्पनियां भारत में निवेश कर रही हैं, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले वर्षों में भारत ऑटोमोबाइल सेक्टर में ग्लोबल हब बन सकता है।

कमाई
इस क्षेत्र में सैलॅरी योग्यता, अनुभव और प्रोजेक्ट पर निर्भर करती है। यदि किसी अच्छे प्रोजेक्ट्स से जुड़े हुए हैं, तो सैलॅरी लाखों में भी हो सकती है। शुरुआती दौर में लगभग 15 से 20 हजार रुपये प्रति माह आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

संस्थान
1. इंडस्ट्रियल डिजाइन सेंटर,आईआईटी मुंबई: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइन
2. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद: चार वर्षीय ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम इन इंडस्ट्रियल डिजाइन
3. आईआईटी, गुवाहाटी: चार वर्षीय बैचलर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
4. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, दिल्ली: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
5. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर: दो वर्षीय मास्टर डिग्री इन इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग
6. एमआईटीज इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, पुणे: साढ़े चार वर्षीय डिप्लोमा प्रोग्राम इन ट्रांसपोर्टेशन डिजाइन
7. सीएई ट्रेनिंग डिजाइन सेंटर, पुणे

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