हिग्स बोसॉन (Higgs boson) एक मूल कण है जिसकी प्रथम परिकल्पना 1964 में दी गई |और इसका प्रायोगिक सत्यापन 14 मार्च 2013 को किया गया।
इस आविष्कार को एक ‘यादगार’ कहा गया क्योंकि इससे हिग्स क्षेत्र की पुष्टि हो गई। कण भौतिकी के मानक मॉडल द्वारा इसके अस्तित्व का अनुमान लगाया गया है।
वर्तमान समय तक इस प्रकार के किसी भी कण के विद्यमान होने की ज्ञान नहीं है।
हिग्स बोसॉन को कणो के द्रव्यमान या भार के लिये जिम्मेदार माना जाता है। प्रायः इसे अंतिम मूलभूत कण माना जाता है।
इस मूलभूत कण का नाम मुख्यतः हिग्स बोसॉन नामक कण और हिग्स क्षेत्र नामक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।
कुछ समय के लिए इस कण को तीन वैज्ञानिकों के नाम को संयुक्त करके बनाया गया था जो इस कण से सम्बंधित प्रथम पीआरएल (भौतिकी पत्र प्रकाशन पत्रिका) पत्र के लेखक (एंडरसन सहित) हैं |
हिग्स कण को वैज्ञानिक समुदाय के बाहर और मीडिया द्वारा अक्सर “ईश्वरीय कण” से सन्दर्भित किया जाता है।
यह उपनाम फर्मीलैब के पूर्व निर्देशक, नोबल पुरस्कार विजेता लियोन लेडरमान की १९९३ में हिग्स कण और कण भौतिकी पर प्रकाशित पुस्तक से व्युत्पन्न हुआ जो उन्होंने सुपरकंडकटिंग सुपर कोलाइडर के निर्माण को अमेरिकी सरकार द्वारा रोके जाने के प्रसंग में लिखा था, जिसका लगभग निर्माण हो चुका था और वह लार्ज हैड्रान कोलाइडर का प्रतियोगी था एवं अनुमानित प्रोटोन ऊर्जा 2 × 20 TeV थी। और इसे 1993 में बन्द कर दिया गया;
यह पुस्तक इस पर कटाक्ष करते हुए लिखी गयी थी। इस शब्द का मीडिया द्वारा उपयोग व्यापक जागरूकता और रूचि में योगदान के लिए हो सकता है, लेकिन कईं वैज्ञानिकों को ये नाम अनुचित लगता है,क्योंकि ये एक सनसनीखेज़ अतिशयोक्ति है और पाठकों को गुमराह करती है |
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