Post

क्या होता है क्रायोजेनिक्स ? What is Cryogenics in Hindi

 क्रायोजेनिक्स (निम्नतापिकी, तुषारजनिकी या प्राशीतनी)भौतिकी की वह शाखा है, जिसमें अत्यधिक निम्न ताप उत्पन्न करने व उसके प्रयोगों का अध्ययन किया जाता है, क्रायोजेनिक यूनानी शब्द क्रायोस से बना है जिसका अर्थ होता है शीत यानी बर्फ की तरह शीतल।


इस शाखा में (-150°से., −238°फै. या 123 कै.) तापमान पर काम किया जाता है।

इस निम्न तापमान का उपयोग करने वाली प्रक्रियाओं और उपायों का क्रायोजेनिक अभियांत्रिकी के अंतर्गत अध्ययन करते हैं। यहां देखा जाता है कि कम तापमान पर धातुओं और गैसों में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं।

कई धातुएं कम तापमान पर पहले से अधिक ठोस हो जाती हैं। सरल शब्दों में यह शीतल तापमान पर धातुओं के आश्चर्यजनक व्यवहार के अध्ययन का विज्ञान होता है।

इसकी एक शाखा में इलेक्ट्रॉनिक तत्वों पर प्रशीतन के प्रभाव का अध्ययन और अन्य में मनुष्यों और पौधों पर प्रशीतन के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

कुछ वैज्ञानिक तुषारजनिकी को पूरी तरह कम तापमान तैयार करने की विधि से जोड़कर देखते हैं जबकि कुछ कम तापमान पर धातुओं में आने वाले परिवर्तन के अध्ययन के रूप में।

इसमें -180° फारेनहाइट (-123° सेल्सियस) से नीचे के तापमान पर ही अध्ययन किया जाता है।


 

यह तापमान जल के प्रशीतन बिन्दु (0° से.) से काफी नीचे होता है और जब धातुओं को इस तापमान तक लाया जाता है तो उन पर आश्चर्यजनक प्रभाव दिखाई देते हैं।

इतना कम तापमान तैयार करने के कुछ तरीके होते हैं, जैसे विशेष प्रकार के प्रशीतक या नाइट्रोजन जैसी तरल गैस, जो अनुकूल दाब की स्थिति में तापमान को नियंत्रित कर सकती है।

धातुओं को तुषारजनिकी द्वारा ठंडे किए जाने पर उनके अणुओं की क्षमता बढ़ती है। इससे वह धातु पहले से ठोस और मजबूत हो जाते हैं।

प्रयोग

इस विधि से कई तरह की औषधियाँ तैयार की जाती हैं और विभिन्न धातुओं को संरक्षित भी किया जाता है।

रॉकेट और अंतरिक्ष यान में क्रायोजेनिक ईंधन का प्रयोग भी होता है। तुषारजनिकी का प्रयोग जी एस एल वी रॉकेट में भी किया जाता है।

जी.एस.एल.वी. रॉकेट में प्रयुक्त होने वाली द्रव्य ईंधन चालित इंजन में ईंधन बहुत कम तापमान पर भरा जाता है, इसलिए ऐसे इंजन क्रायोजेनिक रॉकेट इंजनकहलाते हैं।

इस तरह के रॉकेट इंजन में अत्यधिक ठंडी और द्रवीकृत गैसों को ईंधन और ऑक्सीकारक के रूप में प्रयोग किया जाता है।

इस इंजन में हाइड्रोजन और ईंधनक्रमश: ईंधन और ऑक्सीकारक का कार्य करते हैं।

ठोस ईंधन की अपेक्षा ये कई गुना शक्तिशाली सिद्ध होते हैं और रॉकेट को बूस्ट देते हैं। विशेषकर लंबी दूरी और भारी रॉकेटों के लिए यह तकनीक आवश्यक होती है।

मुख्य विषय

ज्ञानकोश इतिहास भूगोल 

गणित अँग्रेजी रीजनिंग 

डाउनलोड एसएससी रणनीति

अर्थव्यवस्था विज्ञान राज्यव्यवस्था

राज्यवार हिन्दी टेस्ट सीरीज़ (Unlimited)

कृषि क्विज़ जीवनी

Post a Comment

0 Comments