जब कोई पदार्थ एक भौतिक अवस्था (जैसे ठोस) से दूसरी भौतिक अवस्था (जैसे द्रव) में परिवर्तित होता है तो एक नियत ताप पर उसे कुछ उष्मा प्रदान करनी पड़ती है या वह एक नियत ताप पर उष्मा प्रदान करता है। किसी पदार्थ की गुप्त उष्मा (latent heat), उष्मा की वह मात्रा है जो उसके इकाई मात्रा द्वारा अवस्था परिवर्तन (change of state) के समय अवषोषित की जाती है या मुक्त की जाती है। इसके अलावा पदार्थ जब अपनी कला (फेज) बदलते हैं तब भी गुप्त उष्मा के बराबर उष्मा का अदान/प्रदान करना पड़ता है।
इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन् 1750 के आसपास जोसेफ ब्लैक ने किया था। आजकल इसके स्थान पर “इन्थाल्पी ऑफ ट्रान्सफार्मेशन” का प्रयोग किया जाता है।
गुप्त उष्मा के प्रकार
चूंकि पदार्थ की मुख्य रूप से तीन भौतिक अवस्थाएँ हैं – ठोस, द्रव एवं गैस। अत: मुख्यत: दो गुप्त उष्माएँ होतीं हैं –
द्रवण की गुप्त उष्मा (heat of fusion) : ठोस <–> द्रव
वाष्पन की गुप्त उष्मा (latent heat of vaporization) : द्रव <–> गैस
गुप्त उष्मा का सूत्र
गुप्त उष्मा की मात्रा का समीकरण है –
{\displaystyle Q=mL\,}
जहाँ :
Qवस्था परिवर्तब के समय अवशोषित की गयी या मुक्त की गयी उष्मा की कुल मात्रा है (जूल में),
m पदार्थ का द्रव्यमान है,
L उस पदार्थ की उपयुक्त गुप्त उष्मा है (J kg-1).
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