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10 कारण- जिनकी वजह से पढाई में मन नहीं लगता

 पढाई में नहीं लगता”,  “पढा हुआ याद नहीं रह्ता”, “बार बार मन उचटता है”, क्या करूं??, ये वो मैसेज हैंं जो हमें प्रतिदिन प्राप्त होते हैं  इस समस्या का सामना अक्सर तैयारी करने वाले छात्रों को करना पडता है, आज हम इस समस्या को समझने का प्रयास करते हैं और आशा है बहुत हद तक आपकी समस्या का समाधान आपको मिल जायेगा, तो सबसे पहले उन कारणों को देखते हैं जिनकी वजह से अक्सर पढाई में मन नहीं लगता

1 . फोकस की कमी

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  • अक्सर हम जो पढ रहे होते है उस पर हम ठीक से फोकस नही करते, मतलब की जब हम गणित पढ़ रहे होते हैं तो मन में अंग्रेजी चल रही होती है, और अंग्रेजी के समय गणित, ध्यान रखिये कि एक समय में सिर्फ एक जगह ही मन लगाएंगे तो रिजल्ट 100 प्रतिशत मिलेगा, आपको पता है ना यदि सूर्य की किरणों को भी यदि हम लेंस से फोकस करें तो कागज़ जलने लगता है, ये है फोकस का महत्व, तो आगे से जो भी पढ़े पूरा ध्यान वहीं रखें 100 प्रतिशत ध्यान तो 100 प्रतिशत रिज़ल्ट

2. विषय पर पकड़ ना होना

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  • ध्यान दीजिये यदि किसी विषय में हमारी पकड़ कमजोर हो हमारा मन उस विषय को पढ़ने में नहीं लगता, हम उस विषय को पढ़ना चाहते हैं जिसमे हमारी पकड़ हो, क्योंकि जिसमें पकड़ होती है वो हमें अच्छे से समझ आता है, जैसे किसी किसी को सिर्फ मैथ पढ़ने में मजा आता है, तो किसी को इतिहास पढ़ना बहुत पसंद होता है, उसे पढ़ने में ना उन्हें समय का पता चलता है ना ही मन उचटता है

3. विषय में रूचि ना होना

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  • रुचि ना होना और पकड़ ना होना दोनों एक दूसरे से सम्बंधित हैं, आपको रूचि उसी विषय में आती है जिसमें आपकी बेहतर पकड़ हो और जिस विषय में आपकी रुचि हो उसमे आपकी पकड़ स्वयं ही बेहतर होती जाती है
  • किसी भी विषय को बिना रूचि के 4 -5 दिन तक लगातार नियम से पढ़ें, शुरू शुरू में हो सकता है आपको बहुत बोरीयत हो, पर 4-5 दिन बाद आपको जैसे ही विषय में थोड़ी जानकारी बढ़ेगी आपको रूचि आना शुरू हो जाएगा, और फिर जैसे जैसे जानकारी बढ़ेगी वैसे वैसे रूचि भी

4. बहुत अधिक किताबों का होना

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  • अक्सर हम ऐसा करते हैं कि हर अच्छी लगने वाली किताब को खरीदते जाते हैं और इस तरह हमारे पास किताबों का ढेर लग जाता है, माना कि किताबें सबसे अच्छी मित्र होती हैं परन्तु मत भूलिये “अधिक मित्र  और अधिक किताबें आपके दुश्मन होते हैं ” आखिर कैसे ?
  • जब आपके बहुत ज्यादा मित्र होते हैं तो कोई  भी एक आपके काम नहीं आता क्यूंकि सब सोचते हैं उसके तो बहुत सारे दोस्त हैं कोई भी आ जाएगा और कोई भी नहीं आता, इसी प्रकार जब हम पढ़ने बैठते हैं तो हम ठीक से ये निश्चित नही कर पाते की कौन सी किताब से पढ़ना है और कभी किसी से कभी किसी से पढ़ने लगते हैं तो कभी बीच से ही दूसरी किताब उठाने का मन करता है, और एक भी किताब ठीक से नही पढ़ पाते
  • इससे बचने के लिए आप एक बार में आप निश्चित किताबें चुन लें तथा बाकी किताबों को उठा कर रख दें, फिर उन्ही किताबो को पढ़ें तथा दूसरी किताबों के बारे में तब ही सोचें जब पहली वाली पूरी हो जाए

5. पढाई का कोई निश्चित क्रम या टाईम टेबल का ना होना

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  • क्या आपकी पढाई का कोई निश्चित क्रम है? या फिर आप कोई भी किताब ऐसे ही बीच से उठा कर पढने लगते हैं, यदि ऐसा करते हैं तो आप निश्चित ही एकाग्र नहीं हो पाएंगे, आपकी पढ़ाई का एक निश्चित क्रम होना चाहिए इसके लिए आप एक टाइमटेबल बनाये और उसी के आधार पर पढ़ें, उससे आपकी पढ़ाई नियमित हो जायेगी
  • कोई भी किताब ऐसे ही बीच से शुरू ना करें और ना ही बीच से छोड़ें, जो किताब पढ़ें के लिए चुनें उसे नियमित तौर पर पढ़ें, एक से ज्यादा किताबें पढने के लिए अलग अलग समय निश्चित करें तथा उसे टाईमटेबल के हिसाब से ही पढ़ें

6. कोई निर्धारित लक्ष्य ना होना

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  • क्या आपका कोई निश्चित लक्ष्य है या आप यूंही पढ़े जा रहे हैं, ये उसी प्रकार है जैसे आपको पता नहीं कि जाना कहाँ है और चले जा रहे हैं, जब लक्ष्य निर्धारित ही नहीं होगा तो मंजिल पर पहुंचेंगे कैसे?
  • ऐसे में आप ये तय ही नही कर पाते कि आखिर आपको पढना क्या है क्यूंकि आप तो सारी किताबें पढ़ना चाहते हैं, और चूंकि सभी परीक्षाओं का पैटर्न अलग अलग होता है, इसीलिये आप किसी भी एक को ठीक से नहीं पढ़ पाते और आपका मन उचटता रहता है, कभी ये एग्जाम आया तो ये पढ़ ली और वो आया तो वो पढ़ ली
  • तो अगर आपने अब तक अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है तो ये काम सबसे पहले कीजिये फिर देखिये आगे का काम आसान हो जाएगा

7. ध्यान बटाने वाले साधनों का आस पास होना

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  • आजकल के डिजिटल युग में हम हर समय मोबाईल फोन, टैबलेट, लैपटॉप इत्यादि से घिरे रहते हैं इन सब में भी ख़ास तौर पर मोबाइल फोन जो बहुत ध्यान बटाने का काम करता है, फोन पर कुछ ना भी आया हो तो भी थोड़ी थोड़ी देर बाद उसे देखते रहते हैं
  • पढाई करते समय इन सभी सामग्रीयों से दूरी बना लें, हो सके तो फोन ऑफ़ कर लें, इससे आपका ध्यान नही भटकेगा

8. समान क्षेत्र के मित्र ना होना

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  • आपके मित्र प्राइवेट सेक्टर में हैं, या उनका खुद का बिजनेस है, और आप लगे हैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में, तो उनका और आपका क्षेत्र बिलकुल अलग है, जब वे पार्टी इंजॉय करेंगे तो आपका भी मन कर सकता है की उनके साथ आप भी इंजॉय करें, जिससे आपका ध्यान भटक सकता है,
  • यदि हो सके तो कुछ ऐसे भी मित्र बनाएं जो तैयारी कर रहे हों, उससे आपको दो फायदे होंगे, पहला आपको प्रतिस्पर्धा मिलेगी जिससे आपकी तैयारी अच्छी होगी और दूसरा आपका ध्यान भी नही भटकेगा

9. प्रेरणा की कमी

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  • प्रेरणा आपको सफलता के लिए नयी ऊर्जा प्रदान करती है, कभी कभी बिना किसी प्रेरणा के तैयारी करते हुए आपको नकारात्मक सोच आ सकती है जो आपकी तैयारी को प्रभावित कर सकती है, ऐसे में कोई सकारात्मक प्रेरणा आपको नयी ऊर्जा प्रदान करती है
  • सफल व्यक्तियों से प्रेरणा लें हो सके तो उनसे मिलें, सफल लोगों के इंटरव्यू पढ़ें, ये आपको फिर से जोश से भर देगा

10. किसी और क्षेत्र में रूचि होना

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  • क्या आपकी किसी और क्षेत्र जैसे कला, विज्ञान या और किसी क्रिएटिव क्षेत्र में रुचि है, यदि हां तो फिर पढते वक्त आपको उसी का ख्याल आता होगा, या फिर उससे सम्बंधित विचार आते होंगे वैसे इसमें कुछ खराबी नहीं है, अगर आप क्रिएटिव हैं जो कि सभी लोग नहीं होते तो हो सकता है भविष्य में आप और भी बहुत कुछ अच्छा करें परंतु अभी वरीयता आपकी तैयारी है
  • अपनी रुचि को अपनी पढाई से जोड दीजिये अपनी रचनात्मकता को अपने पढाई के विषयों पर अप्लाई कर दीजिये जैसे नये प्रकार के नोट्स बनाईये, यदि कला में रुचि है तो चित्र बना कर याद कीजिये, यदि लेखन का शौक है तो जो विषय पढने हैं उन पर लिखिये कहानी बना दीजिये, यदि कम्प्यूटर में रुचि है तो कोई एप्प बना दीजिये, ई बुक बना दीजिये, इससे आपकी पढाई भी हो जायेगी और आपका शौक भी पूरा हो जायेगा

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