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Biography of Gopal Das Neeraj in Hindi | गोपाल दास नीरज की जीवनी

 

Biography of Gopal Das Neeraj in Hindi


कवि और गीतकार गोपाल दास नीरज नहीं रहे । वो 93 साल के थे और एम्स में भती थे। वो लंबे समय से बीमार थे और हाल ही में उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था ।  पद्म भूषण से सम्मानित गोपाल दास नीरज हिंदी फिल्मों के लिए कई शानदार गीत लिखे थे । उन्हे तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला था।

गोपाल दास नीरज संक्षिप्त जीवनी (Biography of Gopal Das Neeraj in Hindi)


  • गोपालदास सक्सेना ‘नीरज’ का जन्म 4 जनवरी 1925 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, जिसे अब उत्तर प्रदेश के नाम से जाना जाता है, में इटावा जिले के ब्लॉक महेवा के निकट पुरावली गाँव में बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना के यहाँ हुआ था। मात्र 6 वर्ष की आयु में पिता गुजर गये।
  • 1942 में एटा से हाई स्कूल परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। शुरुआत में इटावा की कचहरी में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया उसके बाद सिनेमाघर की एक दुकान पर नौकरी की।
  • लम्बी बेकारी के बाद दिल्ली जाकर सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की। वहाँ से नौकरी छूट जाने पर कानपुर के डी०ए०वी कॉलेज में क्लर्की की।
  • फिर बाल्कट ब्रदर्स नाम की एक प्राइवेट कम्पनी में पाँच वर्ष तक टाइपिस्ट का काम किया। नौकरी करने के साथ प्राइवेट परीक्षाएँ देकर 1949 में इण्टरमीडिएट, 1951 में बी०ए० और 1953 में प्रथम श्रेणी में हिन्दी साहित्य से एम०ए० किया।
  • मेरठ कॉलेज मेरठ में हिन्दी प्रवक्ता के पद पर कुछ समय तक अध्यापन कार्य भी किया किन्तु कॉलेज प्रशासन द्वारा उन पर कक्षाएँ न लेने व रोमांस करने के आरोप लगाये गये जिससे कुपित होकर नीरज ने स्वयं ही नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। उसके बाद वे अलीगढ़के धर्म समाज कॉलेज में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हो गये और मैरिस रोड जनकपुरी अलीगढ़ में स्थायी आवास बनाकर रहने लगे।
  • कवि सम्मेलनों में अपार लोकप्रियता के चलते नीरज को बम्बई के फिल्म जगत ने गीतकार के रूप में नई उमर की नई फसल के गीत लिखने का निमन्त्रण दिया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
  • पहली ही फ़िल्म में उनके लिखे कुछ गीत जैसे कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे और देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा बेहद लोकप्रिय हुए जिसका परिणाम यह हुआ कि वे बम्बई में रहकर फ़िल्मों के लिये गीत लिखने लगे।
  • फिल्मों में गीत लेखन का सिलसिला मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों में कई वर्षों तक जारी रहा।
  • किन्तु बम्बई की ज़िन्दगी से भी उनका जी बहुत जल्द उचट गया और वे फिल्म नगरी को अलविदा कहकर फिर अलीगढ़ वापस लौट आये।
  • पद्म भूषण से सम्मानित कवि, गीतकार गोपालदास ‘नीरज’ ने दिल्ली के एम्स में 19 जुलाई 2018 की शाम लगभग 8 बजे अन्तिम सांस ली।

अपने बारे में उनका यह शेर आज भी मुशायरों में फरमाइश के साथ सुना जाता है |

“इतने बदनाम हुए हम तो इस ज़माने में, लगेंगी आपको सदियाँ हमें भुलाने में।
न पीने का सलीका न पिलाने का शऊर, ऐसे भी लोग चले आये हैं मयखाने में॥”

Gopal Das Neeraj प्रमुख कविता संग्रह in Hindi

  • संघर्ष (1944)
  • अन्तर्ध्वनि (1946)
  • विभावरी (1948)
  • प्राणगीत (1951)
  • दर्द दिया है (1956)
  • बादर बरस गयो (1957)
  • मुक्तकी (1958)
  • दो गीत (1958)
  • नीरज की पाती (1958)
  • गीत भी अगीत भी (1959)
  • आसावरी (1963)
  • नदी किनारे (1963)
  • लहर पुकारे (1963)
  • कारवाँ गुजर गया (1964)
  • फिर दीप जलेगा (1970)
  • तुम्हारे लिये (1972)
  • नीरज की गीतिकाएँ (1987)

Gopal Das Neeraj को मिले पुरस्कार एवं सम्मान

  • विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार
  • पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार
  • यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
    पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार
  • फिल्म फेयर पुरस्कार
    गोपालदास नीरज को फ़िल्म जगत में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिये उन्नीस सौ सत्तर के दशक में लगातार तीन बार यह पुरस्कार दिया गया। उनके द्वारा लिखे गये पुररकृत गीत हैं-
  • 1970: काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)
  • 1971: बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म: पहचान)
  • 1972: ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)

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